विजय दर्डा का ब्लॉग: अंधेरी सुरंग से क्या बाहर आ पाएगा पाकिस्तान ?
By विजय दर्डा | Published: December 16, 2019 08:41 AM2019-12-16T08:41:51+5:302019-12-16T08:41:51+5:30
बड़ा सवाल यह है कि क्या इस अंधेरी सुरंग से पाकिस्तान कभी बाहर निकल पाएगा? सवाल यह भी है कि इमरान खान प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहेंगे या देश के गुस्से का शिकार हो जाएंगे.
आपका पड़ोसी यदि संकट में हो तो क्या आप सुख चैन से रह सकते हैं? यह सवाल हमारे देश को भी परेशान कर रहा है. हमारा निकटतम पड़ोसी और आजादी से पहले हमारा ही अंग रहा पाकिस्तान इन दिनों भीषण संकट के दौर से गुजर रहा है. न केवल आर्थिक तौर पर बल्कि सामाजिक तौर पर भी वह अंधेरी सुरंग में पहुंच चुका है.
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस अंधेरी सुरंग से पाकिस्तान कभी बाहर निकल पाएगा? सवाल यह भी है कि इमरान खान प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बने रहेंगे या देश के गुस्से का शिकार हो जाएंगे.
इमरान खान ने राजनीति में कदम रखने के बाद जब सत्ता को ललकारा था तो उनके तेवर विश्वास पैदा करने वाले थे. पाकिस्तानी अवाम ने उनमें अपना रहनुमा देखा और उन्हें सत्ता के शिखर तक पहुंचा दिया. पाकिस्तानी फौज ने भी इमरान पर विश्वास जताया. इमरान प्रधानमंत्री बने और बेहतर तरीके से शुरुआत की कोशिश भी की लेकिन धीरे-धीरे सबकुछ जैसे खत्म होने लगा.
महंगाई तेजी से बढ़ने लगी और विपक्ष धीरे-धीरे फिर से एकजुट होने लगा. अब तो इमरान के खिलाफ करीब-करीब पूरे देश में प्रदर्शन चल रहे हैं. इस बात की पूरी आशंका पैदा हो गई है कि फौज भी शायद उनका साथ छोड़ दे. तो सवाल फिर वही पैदा होगा कि पाकिस्तान को अंधेरी सुरंग से निकालेगा कौन?
इमरान खान ने जब सत्ता संभाली तो उन्हें भुगतान संतुलन और खस्ताहाल आर्थिक स्थितियों से जूझना पड़ा. पाकिस्तानी रुपया बुरी तरह टूट गया. भुगतान संतुलन को बनाए रखने के लिए नए कर्ज लेने पड़े. चीन के कर्ज में तो वह बुरी तरह डूब गया है. अब हालत यह है कि कर्ज भी नहीं मिल रहा है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 और 2020 में पाकिस्तान की जीडीपी में वृद्धि दर तीन फीसदी से भी कम रह जाएगी.
जाहिर सी बात है कि जब अर्थव्यवस्था लड़खड़ाती है तो महंगाई कुलांचे भरने लगती है. पेट्रोल और डीजल की बात तो छोड़ ही दीजिए, सामान्य सब्जियों के दाम भी आसमान छू रहे हैं. इधर नौकरियां खत्म हो रही हैं. पाकिस्तान की कुल 22 करोड़ की आबादी में से करीब 4 करोड़ लोग बेरोजगार हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बढ़ती बेरोजगारी का ही नतीजा है कि वहां का युवा वर्ग आतंकवादी संगठनों के बहकावे में आ रहा है. एक तो धार्मिक कट्टरता और दूसरी ओर कुछ पैसे मिलने का लालच इन युवाओं को आतंकवादी बना रहा है. ये आतंकवादी भारत को तो अपना निशाना बना ही रहे हैं, खुद पाकिस्तान के लिए भी संकट का कारण बन रहे हैं.
पाकिस्तानी सेना खुद स्वीकार करती है कि आतंकवाद के कारण पाक की अर्थव्यवस्था को करीब 300 करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है. सुरक्षा बलों समेत 81 हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. पाकिस्तानी सेना के आंकड़े ही कहते हैं कि देश के भीतर उसने अभी तक करीब साढ़े सत्रह हजार आतंकवादियों को मारा है लेकिन हकीकत यह है कि जितने मारे हैं उससे कई गुना अभी भी पाकिस्तान में मौजूद हैं.
इसमें कोई दो मत नहीं कि इमरान खान ने यह कोशिश जरूर की कि वे आतंकवादियों को काबू में रखें लेकिन हकीकत यह भी है कि यह केवल उनके बूते की बात नहीं है. जब तक पाकिस्तानी सेना नहीं चाहेगी तब तक आतंकवाद खत्म हो ही नहीं सकता.
भारत विरोध और आतंकवाद का लालन-पालन पाक सेना का सबसे पसंदीदा काम है. भारत के नाम पर वहां की जनता को भी बहकाने में सफलता मिल जाती है. इतिहास गवाह है कि भारत के साथ दोस्ती की हर राजनीतिक पहल को पाकिस्तानी फौज ने आगे नहीं बढ़ने दिया. इमरान खान भी इसी के शिकार हो गए.
अब तो इमरान खान के सामने सबसे बड़ा सवाल यह पैदा हो गया है कि वे खुद कैसे बचें और अपने सपनों के अनुरूप देश को कैसे बचाएं! विपक्षी पार्टियों ने जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फजल (जेयूआई-एफ) के मौलाना फजलुर रहमान के नेतृत्व में ‘आजादी का आंदोलन’ छेड़ दिया है.
पूरे देश में रैलियां निकली हैं और फौज का भी विरोध किया जा रहा है. इस उग्र विरोध ने फौज को भी चिंतित कर दिया है. ऐसे में यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए क्या फौज इमरान खान को शिकार बना लेगी? जिस कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल इमरान ने बढ़ाया है, क्या वह कुछ काम न आएगा?
बहरहाल हालात क्या पैदा होते हैं, इस पर नजर रखना भारत के लिए बहुत जरूरी है. पाकिस्तान में जो कुछ भी घटित होता है, उससे भारत सीधे तौर पर प्रभावित होता है. भारत के लिए यह बहुत जरूरी है कि पाकिस्तान बेहतर स्थिति में आए. फौज का जब तक वहां दबदबा रहेगा तब तक भारत बेहतर संबंधों की उम्मीद नहीं कर सकता है. पाकिस्तान का अंधेरी सुरंग में होना किसी के भी हित में नहीं है लेकिन सवाल वही है कि क्या वहअंधेरी सुरंग से बाहर निकल पाएगा?