विजय दर्डा का ब्लॉग: उद्धव जी! पेन ड्राइव बम का जवाब दे दीजिए

By विजय दर्डा | Published: March 28, 2022 08:12 AM2022-03-28T08:12:36+5:302022-03-28T08:12:36+5:30

उद्धव ठाकरे निश्छल और साफ-सुथरी छवि वाले व्यक्ति हैं. राजनीतिक रूप से काफी हिम्मती हैं इसलिए उन्हें तो 'पेन ड्राइव बम' का कोई खौफ होना ही नहीं चाहिए. उन्हें आगे आकर जांच की घोषणा कर देनी चाहिए.

Vijay Darda Blog: Uddhav Thackeray must answer allegation on pen drive bomb | विजय दर्डा का ब्लॉग: उद्धव जी! पेन ड्राइव बम का जवाब दे दीजिए

महाराष्ट्र की राजनीति में पेन ड्राइव बम का धमाका

दिवाली जब आएगी तब पटाखे फूटेंगे लेकिन महाराष्ट्र में राजनीति के पटाखे फूट रहे हैं! यूक्रेन में पुतिन बमों के वास्तविक धमाके कर रहे हैं तो दूसरी ओर पेन ड्राइव के माध्यम से महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस धमाका कर रहे हैं. होली गई लेकिन राजनीति की होली में  आरोपों के रंगों की बौछार हो रही है. महाराष्ट्र का पूरा वातावरण दूषित-प्रदूषित और संशयपूर्ण हो चुका है.  

यशवंतराव चव्हाण, वसंतराव नाईक, बैरिस्टर अंतुले और पवार साहब के जमाने में भी आरोपों के धमाके होते थे लेकिन वे तथ्यों के आधार पर होते थे. वैचारिक धमाके होते थे इसीलिए विधानसभा से बाहर निकलने के बाद लोग एक-दूसरे के साथ बैठकर खाना खाते थे. वो बात आज नदारद है.

महाराष्ट्र की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था में पहली बार ‘पेन ड्राइव बम’ का हमला सबके लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है. किसी को पता नहीं कि सच्चई क्या है लेकिन सबके मन में एक सवाल जरूर है कि इस पेन ड्राइव बम का शिकार क्या कोई होगा या फिर मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा? जैसा कि आज तक जाता रहा है! इस सवाल के पैदा होने की वजह यह है कि सरकार की ओर से इन आरोपों को निराधार तो बताया जा रहा है लेकिन गंभीर आरोपों की जांच की घोषणा अभी तक नहीं हुई है. जांच के बगैर किसी आरोप को निराधार कैसे कह सकते हैं?

पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अभी तक तीन पेन ड्राइव विधानसभा उपाध्यक्ष को सौंप चुके हैं और सरकार पर गंभीर षड्यंत्र के आरोप लगा चुके हैं. उन्होंने कहा है कि उनके पास 125 घंटों की विभिन्न रिकॉर्डिग्स हैं जिसके महज थोड़े से हिस्से, ढाई घंटे की रिकॉर्डिग को ही उन्होंने साझा किया है. रिकॉर्डिग का शेष बचा हिस्सा वे सीबीआई को सौंपेंगे. सबका यही मानना है कि पेन ड्राइव की दखल विधानसभा उपाध्यक्ष लें न लें, एजेंसियां तो लेंगी ही लेंगी. सब जानते हैं कि आरोप लगे तो सीता माता को भी परीक्षा देनी ही पड़ी थी.  

देवेंद्र बड़े दावे के साथ कह रहे हैं कि यदि इन रिकॉर्डिग्स की जांच हो जाए तो कई बड़े लोग जेल के सींखचों में होंगे. उनका आरोप है कि सरकार ने उनके अलावा गिरीश महाजन, जयकुमार रावल, सुभाष देशमुख, सुधीर मुनगंटीवार, चंद्रकांत पाटिल और चंद्रशेखर बावनकुले समेत भाजपा के बहुत सारे नेताओं को विभिन्न मामलों में गलत तरीके से फंसाने के लिए षड्यंत्र रचा है और ये रिकॉर्डिग इस बात को प्रमाणित करती है. 

वैसे शरद पवार ने यह सवाल जरूर खड़ा किया है कि ये रिकॉर्डिग फडणवीस को कहां से मिली? उनका आरोप है कि शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस के गठबंधन वाली राज्य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास भाजपा कर रही है और यह सब उसी का हिस्सा है. इतनी लंबी रिकॉर्डिग का मतलब तो यही निकलता है कि केंद्रीय एजेंसियां निगरानी कर रही होंगी. रिकॉर्डिग में दिख रहे सरकारी वकील प्रवीण चव्हाण कह रहे हैं कि वीडियो फुटेज से छेड़छाड़ की गई है.

पेन ड्राइव में दर्ज रिकॉर्डिग्स में टेरर फंडिंग और सेक्स रैकेट से संबंधित मामलों के साथ ही 300 आपराधिक मामलों को बंद किए जाने को लेकर चर्चा की बात सामने आई है. बारामती के इशाक बागवान की प्रॉपर्टी को लेकर भी चर्चा है. वक्फ बोर्ड के सदस्य मुदस्सीर लांबे और एक आदमी के बीच बातचीत में पैसा कमाने से लेकर दाऊद के साथ संबंधों का जिक्र आने की बात की जा रही है. मैंने ये वीडियोज नहीं देखे हैं लेकिन जो चर्चाएं सामने आ रही हैं वे बहुत ही खतरनाक किस्म की हैं. 

फडणवीस ने प्रमाण के रूप में चूंकि रिकॉर्डिग उपलब्ध करा दी है इसलिए पूरी सच्चई सामने आना जरूरी है. इस प्रदेश के हर नागरिक को यह अधिकार है कि उसे सच्ची जानकारी मिले. यदि फडणवीस के आरोपों में दम है तो दोषियों को जेल के सींखचों में पहुंचना ही चाहिए. यदि फडणवीस के आरोपों में कोई सच्चई न निकली तो उन्हें भी कोर्ट में जवाब देना ही होगा. लेकिन यह तभी संभव है जब सरकार इन रिकॉर्डिग्स की निष्पक्षता के साथ जांच कराए. देवेंद्र सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं. प्रदेश सरकार को आगे आकर कहना चाहिए कि चलिए जांच करा लेते हैं ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए.

यह इसलिए भी बहुत जरूरी है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार इस वक्त संकट से जूझ रही है. महाराष्ट्र के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब गृह मंत्री को अवैध वसूली के आरोप में जेल की हवा खानी पड़ी है और दूसरे मंत्री नवाब मलिक भी मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जेल के सींखचों के भीतर बंद हैं. जब तक न्यायालय का निर्णय नहीं आ जाता तब तक यह कहना वाजिब नहीं है कि इन्होंने कोई गलती की ही होगी लेकिन जब सरकार के मंत्रियों को जेल जाना पड़ता है तो आम आदमी के मन में पूरी सरकार की साख पर सवाल पैदा होना स्वाभाविक है.

वैसे राजनीतिक हलकों में कहा जा रहा है कि जिन्होंने वसूली की वे तो खुलेआम घूम रहे हैं और अनिल देशमुख जैसे राजनेता जेल में हैं, यह कहां का न्याय है? बहरहाल शिवसेना के विधायक प्रताप सरनाईक पर छापा और संपत्ति जब्ती, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साले श्रीधर पाटनकर पर ईडी का छापा और संपत्ति कुर्की, अनिल परब और आदित्य ठाकरे के मित्र का ताजा मामला तो सबके सामने है ही. 

मुख्यमंत्री ठाकरे ने भले ही भाजपा की केंद्र सरकार को चुनौती दे दी हो कि लड़ना है तो मर्दानगी से लड़ो, केंद्रीय एजेंसी की आड़ में क्यों लड़ रहे हो, मेरे लोगों पर हमला क्यों कर रहे हो, चाहो तो मुझे जेल में डाल दो..! लेकिन ये सब मौखिक बातें हैं. प्रशासन मौखिक बातों से नहीं चलता और जब विपक्ष आरोपों की झड़ी लगा दे तो लड़ाई जुबान से नहीं लड़ी जाती. मैं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहुत करीब से जानता हूं. वे निश्छल और साफ-सुथरी छवि वाले व्यक्ति हैं. राजनीतिक रूप से काफी हिम्मती हैं इसलिए उन्हें तो फडणवीस के पेन ड्राइव बम का कोई खौफ होना ही नहीं चाहिए. उन्हें आगे आकर जांच की घोषणा कर देनी चाहिए. इससे उनका कद और बढ़ेगा ही. राज्य की मशीनरी यदि इसमें कहीं शामिल होगी भी तो इससे काली भेड़ों को मशीनरी से अलग करने में मुख्यमंत्री को मदद ही मिलेगी! और महाराष्ट्र की छवि भी साफ रहेगी.

और हां, मैं यहां इस बात का जिक्र जरूर करना चाहूंगा कि जब भी प्रशासनिक अधिकारियों को लगता है कि राजनीतिक नेतृत्व संघर्ष और संकट की स्थिति में है, वे अराजक हो जाते हैं और अपनी राजनीति चलाने लगते हैं. सरकार की बात नहीं सुनते, निर्णय लेने में अड़ंगे पैदा करते हैं और इसका खामियाजा पूरे प्रदेश को भुगतना पड़ता है. दुर्भाग्य से इस वक्त महाराष्ट्र इसी दौर से गुजर रहा है.

Web Title: Vijay Darda Blog: Uddhav Thackeray must answer allegation on pen drive bomb

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