विजय दर्डा का ब्लॉग: मोदी जी, ड्रग्स के धंधे की जड़ें आप ही खोद सकते हैं
By विजय दर्डा | Published: September 27, 2020 10:22 AM2020-09-27T10:22:33+5:302020-09-27T10:22:33+5:30
मैं धन्यवाद देना चाहूंगा कंगना रनौत का जिन्होंने ड्रग्स के मुद्दे पर प्रहार करके इसे फिर से चर्चा में ला दिया है. यह वाकई दुर्भाग्य है कि हमारी युवा पीढ़ी ड्रग्स का शिकार बन रही है. यदि युवा पीढ़ी को इससे नहीं बचाया गया तो देश बर्बाद हो जाएगा. उम्मीद केवल मोदी जी से है क्योंकि ड्रग्स के धंधे को जड़ से उखाड़ फेंकने की क्षमता उनमें है.
प्रधानमंत्री मोदी जी,
केवल आप ही ऐसे व्यक्ति हैं कि ठान लें तो ड्रग्स को भारत से समाप्त कर सकते हैं और आने वाली युवा पीढ़ी को बचा सकते हैं. युवा पीढ़ी बचेगी तो देश बचेगा. युवा पीढ़ी खत्म होगी तो देश खत्म हो जाएगा. मैं आपका नाम इसलिए ले रहा हूं क्योंकि ये ड्रग्स के धंधे के खिलाफ काम करने वाली जो एजेंसियां हैं वे केंद्र सरकार के नियंत्रण में हैं. दूसरा कारण यह है कि आप खुद इन सबके बहुत खिलाफ हैं. दूसरे कामों के दबाव में शायद इस ओर ध्यान देने का वक्त आपको नहीं मिला होगा लेकिन आज सबसे महत्वपूर्ण मसला यही है. आप चाहें तो ड्रग्स कारोबार की जड़ें उखाड़ फेंक सकते हैं क्योंकि इतनी क्षमता आप में है.
हम एक बार आर्थिक अपराधों को कुछ वक्त के लिए दरकिनार कर सकते हैं. लकड़ी से लेकर दवाई और सोने-चांदी की तस्करी को एक बार नजरअंदाज कर सकते हैं लेकिन ड्रग्स के भारत में प्रवेश को कदापि हम लोग स्वीकार नहीं कर सकते. कोई भी भारतीय नहीं चाहेगा, कोई भी मां-बाप नहीं चाहेंगे कि उनका बच्चा ड्रग्स की गिरफ्त में जाए और बर्बाद हो जाए. ड्रग्स की गिरफ्त में जो भी गए, सब बर्बाद हो गए. मैं अपने राज्य महाराष्ट्र का ही उदाहरण देता हूं. यहां तीन महत्वपूर्ण केंद्र हैं, मुंबई, पुणे और नागपुर. मैं जब मुंबई में कॉलेज में पढ़ता था तब किसी भी पान-सिगरेट वाले की दुकान पर यदि भोले बाबा का चित्र लगा होता था तो लोग समझ जाते थे कि वहां ड्रग्स मिलेगा. मैं 1968 की बात कर रहा हूं. तब से मैं देख रहा हूं कि यह धंधा बढ़ता ही गया है. आज स्कूल-कॉलेज के पास ड्रग्स आराम से बिकता है. यहां तक कि थाने और पुलिस मुख्यालय के पास भी ड्रग्स बिकने के उदाहरण सामने आते रहे हैं. बड़े दुख और दुर्भाग्य की बात है कि राज्य सरकार इसकी अनदेखी करती है. लोगों को तो यही लगता है कि पुलिस को पता होता है कि ये सब चल रहा है. पुलिस इस धंधे को क्यों नहीं रोक पाती है, वही जाने!
नागपुर भी छुपा हुआ है ड्रग्स का अड्डा
आज पुणे ड्रग्स के धंधे का बहुत बड़ा अड्डा बन गया है. पुणे में सबसे ज्यादा विद्यार्थी हैं और ज्यादातर बाहर के हैं. इनके बीच नशे के सेवन की लत बुरी तरह फैल रही है. नागपुर भी छुपा हुआ अड्डा है. यहां भी काफी अंडरग्राउंड एक्टिविटी चलती है. ऐसा कहते हैं कि नागपुर डिस्ट्रीब्यूशन का सेंटर है. नशे की यह लत इतनी बुरी है कि युवक-युवतियों को जब कुछ नहीं मिलता तो वे कोई बाम या खांसी की दवाई पी लेते हैं. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी की नजर भी नागपुर पर है, लेकिन जिस तरह की सख्त कार्रवाई होनी चाहिए वह कहीं नजर नहीं आती है.
उद्धव ठाकरे जी, आप महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हैं और मैं जानता हूं कि इन सब चीजों से अपको नफरत है लेकिन महाराष्ट्र में हो तो रहा है बड़े पैमाने पर! यहां तक कि विदेशी लोग मुंबई में ड्रग्स का धंधा आॅपरेट कर रहे हैं. सवाल यह उठता है कि जब करण जौहर की पार्टी के या अन्य दूसरी रेव पार्टियों के वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आए तो तत्काल जांच-पड़ताल या सख्त कार्रवाई क्यों नहीं हुई? ड्रग कैरी करना या सेवन करना बड़ा अपराध है तो उस कानून के तहत इनको क्यों नहीं पकड़ा गया. मैं कंगना रनौत को इस बात के लिए धन्यवाद दूंगा कि उनके कारण फिर से यह विषय चर्चा में आ गया है. उन्होंने ड्रग्स के मुद्दे पर लगातार हमलावर रुख बनाए रखा है.
ड्रग्स की में गिरफ्त में टॉलीवुड-क्षेत्रीय फिल्मी दुनिया
केवल मुंबई की ही क्यों बात करें? टॉलीवुड और क्षेत्रीय फिल्मी दुनिया भी इसकी गिरफ्त में है. जाहिर है कि जब मिलता है तभी तो उपयोग करते हैं. ड्रग्स के कारण पंजाब बर्बाद और बदनाम हुआ लेकिन न बिहार पीछे है और न यूपी और न राजस्थान! दिल्ली के स्कूल और दिल्ली की रेव पार्टियां तो ड्रग्स के लिए मशहूर हैं ही! लोग कहते हैं कि कई राजनीतिज्ञ भी इसमें भाग लेते रहे हैं. दिल्ली के फार्म हाउस की गतिविधियां किसे पता नहीं हैं? एक समय था जब जनता राजनेता से सवाल पूछती थी और वे डरते थे. अब न कोई सवाल पूछता है और न कोई डरता है.
यह हमारा दुर्भाग्य है कि भारत ड्रग्स के अंतरराष्ट्रीय कारोबार का अड्डा बन चुका है. पाकिस्तान, म्यांमार और नेपाल सीमा से तथा मैक्सिको से भेजा गया ड्रग्स ब्राजील, अफ्रीका, दुबई होते हुए अरब सागर के रास्ते भारत पहुंच रहा है. ड्रग्स के इस कारोबार में आतंकी समूह शामिल हैं. ये हमारे युवाओं की जिंदगी खराब कर रहे हैं और हथियारों के लिए पैसा भी बना रहे हैं. पूरी दुनिया में ड्रग्स और हथियारों के सौदागरों की समानांतर सरकार चलती है. अमेरिका ने काफी हद तक इन पर काबू पाया है लेकिन भारत में इस नेक्सस को तोड़ने की तरफ यदि हमने गंभीरता से ध्यान नहीं दिया तो आने वाला वक्त बर्बादी की दर्दनाक कहानी लिखेगा. इंटरपोल, वर्ल्ड नारकोटिक्स एसोसिएशन और एंटी टेररिस्ट एजेंसियों की हर साल बैठक होती है. उन्होंने मैपिंग भी कर रखी है. हमारे अधिकारी भी उन बैठकों में भाग लेते हैं. अंतरराष्ट्रीय सहयोग के साथ यदि कार्रवाई की जाए और ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई जाए तो ड्रग्स के धंधे की जड़ें भारत से खोदी जा सकती हैं. आखिर सिंगापुर में ड्रग्स क्यों नहीं मिलता? इसलिए नहीं मिलता क्योंकि ड्रग्स का धंधा करने वालों को बिना उसकी हैसियत देखे फांसी पर लटका देते हैं.
भारत में भी हमें ऐसा ही रवैया अख्तियार करना पड़ेगा क्योंकि इस देश को बचाना है. युवा पीढ़ी बचेगी तो देश बचेगा. एक बार जो व्यक्ति ड्रग्स के नशे का आदी हो गया उसे कोई नहीं बचा सकता. उसका अंजाम क्या हो सकता है यह दिल्ली में दिखा था जब एक बच्चे ने शूटआउट किया था. देश में ड्रग्स के धंधे की तेज रफ्तार और युवा शिकार को देखकर मैं बुरी तरह डरा हुआ हूं कि कैसे मैं अपने परिवार के लोगों को बचा पाऊंगा. यह सोचकर ही रूह कांप जाती है. रूह केवल मेरी ही नहीं कांप रही है. देश के हर माता-पिता की रूह कांप रही है. आपसे बहुत उम्मीद है मोदी जी!