ब्लॉग: तमिलनाडु की राजनीति में नया विकल्प बन सकते हैं विजय
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 3, 2024 03:06 PM2024-02-03T15:06:16+5:302024-02-03T15:07:17+5:30
तमिल फिल्मों के महानायक रजनीकांत भी राजनीति में आना चाहते थे मगर खराब स्वास्थ्य, उम्र और भाजपा के साथ नजदीकी के कारण वह मैदान से हट गए। विजय के साथ मजबूत जनाधार है और उम्र भी उनके पक्ष में है।
तमिलनाडु की राजनीति में अन्नाद्रमुक की मुखिया जयललिता के निधन के बाद जो राजनीतिक शून्य पैदा हुआ है, उसे अब तक भाजपा, कांग्रेस या खुद अम्मा की पार्टी की दूसरी पंक्ति के नेता पलानीस्वामी नहीं भर पाए हैं लेकिन लोकप्रिय तमिल अभिनेता जोसफ विजय के राजनीति में पदार्पण के साथ ही यह उम्मीद बंधी है कि तमिल राजनीति को संभवत: नया सितारा मिल जाए।
वैसे तमिलनाडु की राजनीति पर फिल्मी हस्तियां हावी रही हैं। एम.जी. रामचंद्रन और जयललिता के अभिनय का जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोलता था जबकि अन्नादुरै तथा करुणानिधि की पैनी कलम तमिल फिल्मों की पटकथा को सशक्त बनाती थी। बीच में तमिल फिल्मों के मशहूर अभिनेता शिवाजी गणेशन भी राजनीति में आए लेकिन उनकी छवि रोमांटिक और पारिवारिक हीरो की रही।
युवा तथा गरीब तबके को लुभाने के लिए जिस व्यवस्था विरोधी क्रांतिकारी नायक की छवि एमजीआर की थी, उसका शिवाजी गणेशन में अभाव था। इसीलिए वे राजनीति में फ्लाप रहे। रोमांटिक तथा संभ्रांत शिक्षित हीरो की छवि वाले एक अन्य तमिल सुपरस्टार कमल हसन भी इसी कारण राजनीति में सफल नहीं हो पा रहे हैं।
विजय के पक्ष में सबसे बड़ी बात है उनकी युवा पीढ़ी तथा गरीब वंचित तबकों के साथ-साथ संभ्रांत वर्ग में अपार लोकप्रियता। उनमें आज तमिल दर्शक एमजीआर, शिवाजी गणेशन और कमल हासन तीनों की छवि देखता है।
विजय नोटबंदी तथा जीएसटी के प्रखर विरोधी रहे हैं लेकिन दो फरवरी को अपनी पार्टी तमिलगा वेट्री कषगम (टीवीके) को लोकसभा चुनाव से दूर रखकर उन्होंने केंद्र में सत्तारूढ़ दल से टकराव टालने तथा 2026 के विधानसभा चुनाव में अन्नाद्रमुक का विकल्प बनने पर पूरा ध्यान केंद्रित करने का स्पष्ट संकेत दिया है।
अगर विजय सफल रहे तो अन्नाद्रमुक तमिल राजनीति में महत्व खो सकती है। इसके अलावा तमिलनाडु की राजनीति में पैर जमाने के भाजपा के प्रयासों को धक्का लग सकता है। उनकी आज तमिल जनता के बीच लोकप्रियता का अंदाज इसी बात से लग जाता है कि 2021 के स्थानीय निकायों के चुनावों में उनकी पार्टी ने डेढ़ सौ से ज्यादा उम्मीदवार खड़े किए और सवा सौ से ज्यादा सीटों पर सफलता अर्जित की।
तमिल फिल्मों के महानायक रजनीकांत भी राजनीति में आना चाहते थे मगर खराब स्वास्थ्य, उम्र और भाजपा के साथ नजदीकी के कारण वह मैदान से हट गए। विजय के साथ मजबूत जनाधार है और उम्र भी उनके पक्ष में है।
तमिलनाडु की जनता को जयललिता के निधन से उत्पन्न शून्य को भरने की क्षमता विजय में नजर आ सकती है। यदि विजय अपने मिशन की ओर गंभीरता से बढ़े तो 2026 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला द्रमुक का अन्नाद्रमुक से नहीं बल्कि विजय की पार्टी से हो सकता है।