वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः पेगासस-जासूसी नया सिरदर्द

By वेद प्रताप वैदिक | Published: February 1, 2022 01:58 PM2022-02-01T13:58:11+5:302022-02-01T13:59:00+5:30

‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने ज्यों ही यह खबर उछाली कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 में अपनी इजराइल-यात्रा के दौरान जब इजराइल से दो अरब डॉलर के हथियारों का सौदा किया था तभी 500 करोड़ रु. का यह जासूसी यंत्र खरीदा था तो फिर क्या था!

Vedpratap Vaidik's Blog Pegasus-Spy new headache | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः पेगासस-जासूसी नया सिरदर्द

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉगः पेगासस-जासूसी नया सिरदर्द

पेगासस के जासूसी यंत्र को लेकर भारत सरकार फिर दलदल में फंस गई है। सारे विरोधी दलों ने उसे दलने के लिए कमर कस ली है। सरकार को नींद नहीं आ रही होगी कि संसद के इस सत्र में वह बजट पेश करेगी या इस इजराइल के जासूसी यंत्र की मार से खुद को बचाएगी। ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने ज्यों ही यह खबर उछाली कि प्रधानमंत्री मोदी ने 2017 में अपनी इजराइल-यात्रा के दौरान जब इजराइल से दो अरब डॉलर के हथियारों का सौदा किया था तभी 500 करोड़ रु. का यह जासूसी यंत्र खरीदा था तो फिर क्या था! भारत के सारे विरोधी दलों ने सरकार पर हमले शुरू कर दिए। उन्हें यह भी ध्यान नहीं रहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस सारे मामले पर पहले से जांच बिठा रखी है।

जब यह मामला संसद के पिछले सत्न में उठा था तो इतना हंगामा हुआ कि संसद ही ठप हो गई थी। सरकार की हालत इतनी पतली हो गई थी कि वह न तो संसद को और न ही अदालत को यह साफ-साफ बता सकी कि उसने इजराइल से यह जासूसी यंत्र खरीदा था या नहीं और इस यंत्र से उसने विरोधी नेताओं, पूंजीपतियों, पत्नकारों और महत्वपूर्ण नागरिकों की जासूसी की थी या नहीं। बस वह यही कहती रही कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है। वह सारे तथ्य सार्वजनिक नहीं कर सकती। अदालत इजाजत दे तो वह खुद जांच बिठा सकती है। अदालत ने सरकार के अभिमत को रद्द कर दिया और एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में अपनी जांच बिठा दी। अदालत, विरोधियों और कई प्रबुद्ध पत्नकारों का मानना था कि राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में कोई भी सरकार नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन नहीं कर सकती।

यदि सरकार आतंकवादियों, तस्करों, ठगों, हिंसकों, अपराधियों, देशद्रोहियों के खिलाफ जासूसी करे तो वह सर्वथा उचित है लेकिन यदि ऐसा ही है तो उसे लड़खड़ाने और घबराने की जरूरत क्या है? सरकार की इस घबराहट को ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने अब बड़े सिरदर्द में बदल दिया है। यदि राहुल गांधी का यह आरोप कि सरकार ने देशद्रोह किया है, बचकाना है तो भी संसद में विपक्ष के सारे हमले का शिकार प्रधानमंत्री की कुर्सी ही होगी। प्रधानमंत्री की जानकारी के बिना किसी मंत्री या अफसर की हिम्मत नहीं है कि वह देश के नागरिकों की इस तरह की जासूसी कर सके। प्रधानमंत्री को चाहिए कि वे चाहे उन सब व्यक्तियों के नाम उजागर न करें लेकिन वे संसद में बताएं कि किस तरह के लोगों के खिलाफ पेगासस-यंत्र का इस्तेमाल होता रहा है और यदि गलती से या जानबूझकर भी निदरेष, विरोधियों, पत्रकारों और उद्योगपतियों के खिलाफ उसका इस्तेमाल हुआ है तो वे सार्वजनिक तौर पर उनसे माफी मांग लें और इस मामले को यहीं खत्म करें।

Web Title: Vedpratap Vaidik's Blog Pegasus-Spy new headache

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