लाइव न्यूज़ :

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कमतर नहीं है भारत की पत्रकारिता

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: May 6, 2022 20:49 IST

खबर पालिका यानी अखबार, टीवी, सिनेमा, इंटरनेट आदि यदि स्वतंत्र नहीं हैं तो फिर वह लोकतंत्र खोखला है। लोकतंत्र की इस खूबी को नापनेवाली संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने अपनी इस साल की रपट में बताया है कि भारत का स्थान 142 वां था।

Open in App
ठळक मुद्देदुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में माना जाता है कि खबर पालिका लोकतंत्र का सबसे सक्षम स्तंभ हैखबर पालिका यानी अखबार, टीवी, सिनेमा, इंटरनेट यदि स्वतंत्र नहीं हैं तो वहां का लोकतंत्र खोखला हैआपातकाल (1975-77) के अलावा भारत में कभी ऐसा नहीं लगा कि पत्रकारिता पर कोई बंधन है

हम लोग बड़ा गर्व करते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और यह भी माना जाता है कि खबर पालिका लोकतंत्र का सबसे सक्षम स्तंभ है।

खबर पालिका यानी अखबार, टीवी, सिनेमा, इंटरनेट आदि। ये यदि स्वतंत्र नहीं हैं तो फिर वह लोकतंत्र खोखला है। लोकतंत्र की इस खूबी को नापनेवाली संस्था ‘रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स’ ने अपनी इस साल की रपट में बताया है कि भारत का स्थान 142 वां था। उससे नीचे खिसककर वह अब 150 वां हो गया है।

दुनिया के 180 देशों में भारत से भी ज्यादा नीचे के देशों में म्यांमार, चीन, तुर्कमेनिस्तान, ईरान, इरिट्रिया, उत्तर कोरिया, रूस, बेलारूस, पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि आते हैं।

लेकिन इस संगठन की इस रपट को हजम नहीं किया जा सकता है। इसके कुछ तथ्य तो ठीक मालूम पड़ते हैं जैसे पत्रकारों के खिलाफ हिंसा लेकिन ऐसी छुट-पुट हिंसा की घटनाएं तो हर शासन-काल में होती रहती हैं।

ऐसी घटनाएं पत्रकारिता क्या, हर क्षेत्र में ही होती हैं। यह ठीक है कि इन दिनों कई अतिवादी लोग पत्रकारों आदि के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं लेकिन भारत के अपने लोग इन्हें कोई महत्व नहीं देते हैं।

यह सही है कि नेतागण इन अतिवादी तत्वों का खुलकर विरोध नहीं करते हैं, यह कमी जरूर है लेकिन भारत के अखबार और टीवी चैनल उन्हें बिल्कुल नहीं बख्शते हैं।

जहां तक अदालतों का सवाल है, उनकी निष्पक्षता निर्विवाद है। वे उन्हें दंडित करने से नहीं चूकती हैं। मैं पिछले 50-55 साल में दुनिया के दर्जनों देशों में रहकर और भारत में भी उनके अखबारों और चैनलों को देखता रहा हूं लेकिन मुझे आपातकाल (1975-77) के अलावा कभी ऐसा नहीं लगा कि भारत में पत्रकारिता पर कोई बंधन है।

यदि पत्रकार दमदार हो तो किसी की जुर्रत नहीं कि उसे वह किसी भय या लालच के आगे झुका सके। भारत में ऐसे सैकड़ों पत्रकार, अखबार और टीवी चैनल हैं जो अपनी निष्पक्षता और निर्भीकता में विश्व में किसी से भी कम नहीं हैं। इसीलिए भारत की पत्रकारिता को कमतर बतानेवाली यह रपट मुझे एकतरफा लगती है।

टॅग्स :भारतटीवी कंट्रोवर्सी
Open in App

संबंधित खबरें

भारतबाबासाहब ने मंत्री पद छोड़ते ही तुरंत खाली किया था बंगला

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

भारत अधिक खबरें

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत

भारतउत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोगः 15 विषय और 7466 पद, दिसंबर 2025 और जनवरी 2026 में सहायक अध्यापक परीक्षा, देखिए डेटशीट

भारतPariksha Pe Charcha 2026: 11 जनवरी तक कराएं पंजीकरण, पीएम मोदी करेंगे चर्चा, जनवरी 2026 में 9वां संस्करण

भारत‘सिटीजन सर्विस पोर्टल’ की शुरुआत, आम जनता को घर बैठे डिजिटल सुविधाएं, समय, ऊर्जा और धन की बचत