वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना के खिलाफ गहराती लड़ाई

By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 28, 2021 01:02 PM2021-04-28T13:02:10+5:302021-04-28T13:03:23+5:30

भारत में कोरोना के खिलाफ विभिन्न राज्यों और केंद्र की सरकार की ओर से भी कई कदम अब उठाए जा रहे हैं. हालांकि इसके बावजूद कई चुनौतियां अभी सामने हैं.

Vedapratap Vedic blog: India fight against coronavirus and challenges | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कोरोना के खिलाफ गहराती लड़ाई

कोरोना के खिलाफ भारत की निर्णायक जंग (फाइल फोटो)

कोरोना के विरुद्ध भारत में अब एक परिपूर्ण युद्ध शुरू हो गया है. केंद्र और राज्य की सरकारें, वे चाहे किसी भी पार्टी की हों, अपनी कमर कस कर कोरोना को हराने में जुट गई हैं. 

इन सरकारों से भी ज्यादा आम जनता में से कई ऐसे देवदूत प्रकट हो गए हैं, जिन पर कुर्बान होने को जी चाहता है. कोई लोगों को आक्सीजन के सिलेंडर मुफ्त में भर-भरकर दे रहा है, कोई मरीजों को मुफ्त खाना पहुंचा रहा है, कोई प्लाज्मा-दानियों को जुटा रहा है और कोई ऐसे भी हैं, जो मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का काम भी सहज रूप में कर रहे हैं.

हम अपने उद्योगपतियों को दिन-रात कोसते रहते हैं लेकिन कई छोटे-बड़े उद्योगपतियों ने अपने कारखाने बंद करके आक्सीजन भिजवाने का इंतजाम कर दिया है. यह पुण्य-कार्य वे स्वेच्छा से कर रहे हैं. उन पर कोई सरकारी दबाव नहीं है. 

ऑक्सीजन की रेलें चल पड़ी हैं. हजारों टन तरल आक्सीजन के टैंकर अस्पतालों को पहुंच रहे हैं. रेल मंत्री पीयूष गोयल ने ऑक्सीजन-परिवहन का शुल्क भी हटा लिया है. हमारे लाखों डॉक्टर, नर्सें और सेवाकर्मी अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचा रहे हैं. अब प्रधानमंत्री राहत कोष से 551 ऑक्सीजन-संयंत्र लगाने की भी तैयारी हो चुकी है. 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उ.प्र. के योगी आदित्यनाथ तथा कुछ अन्य मुख्यमंत्रियों ने मुफ्त टीके की भी घोषण कर दी है. फिर भी एक दिन में साढ़े तीन लाख लोगों का कोरोना की चपेट में आना और लगभग तीन हजार लोगों का दिवंगत हो जाना गहरी चिंता का विषय है. 

दिल्ली में इसीलिए एक हफ्ते तक तालाबंदी बढ़ा दी गई है. ऑक्सीजन के लेन-देन और आवाजाही को खुला करने की भी पूरी कोशिश की जा रही है. दुनिया के कई देश दवाइयां, उनका कच्चा माल, ऑक्सीजन यंत्र आदि हवाई जहाजों से भारत पहुंचा रहे हैं. लेकिन भारत में ऐसे नरपशु भी हैं जो ऑक्सीजन, रेमडेसिवीर के इंजेक्शन, दवाइयों और इलाज के बहाने मरीजों को लूट रहे हैं. 

उन्हें पुलिस पकड़ तो रही है लेकिन आज तक एक भी ऐसे इंसानियत के दुश्मन को फांसी पर नहीं लटकाया गया है. लूटपाट के बावजूद मरीज तो मर ही रहे हैं, उनके घरवाले भी जीते-जी मरणासन्न हो रहे हैं, लुट रहे हैं. बुरी खबरों को इतना उछाला जा रहा है कि उन्हें देख कर भी लोग अधमरे-जैसे हो रहे हैं. 

इसके बजाय हमारे घरेलू काढ़े, गिलोय और नीम की गोली तथा बड़ (वटवृक्ष) के दूध जैसे अचूक उपायों का प्रचार क्यों नहीं किया जाता? कोरोना को मात देने के लिए जो भी नया-पुराना, देसी-विदेशी हथियार हाथ लगे, उसे चलाने से चूकना उचित नहीं.

Web Title: Vedapratap Vedic blog: India fight against coronavirus and challenges

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