वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: विपक्ष निभाए अपनी सार्थक भूमिका

By वेद प्रताप वैदिक | Published: September 25, 2020 02:32 PM2020-09-25T14:32:29+5:302020-09-25T14:32:29+5:30

राज्य सभा में इस बार जो भी कुछ हुआ, उससे संसद की गरिमा गिराई गई है. कृषि विधेयकों का सीधा असर देश के 80-90 करोड़ लोगों पर पड़ना है. इन विधेयकों विपक्ष की भूमिका रचनात्मक होनी चाहिए थी.

Ved pratap Vedic's blog: Opposition should play its meaningful role | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: विपक्ष निभाए अपनी सार्थक भूमिका

विपक्ष को सार्थक भूमिका निभाने की जरूरत (फाइल फोटो)

Highlightsराज्यसभा में इस बार जैसा हंगामा मचा, उसने संसद की गरिमा गिराई है सरकार और भाजपा का भी कर्तव्य है कि वह किसानों और मजदूरों से सीधा संवाद करे

इस बार संसद ने 8 दिन में 25 विधेयक पारित किए. जिस तेजी से हमारी संसद ने ये कानून बनाए, वह अभूतपूर्व है. न संसदीय समितियों ने उन पर विचार किया और न ही संसद में उन पर सांगोपांग बहस हुई. बहुत दिनों बाद मैंने टीवी चैनलों पर संसद की ऐसी हड़बड़ी भरी कार्यवाही देखी. मुझे याद हैं 55-60 साल पुराने वे दिन जब संसद में डॉ. लोहिया, आचार्य कृपलानी, मधु लिमये, नाथपाई और हीरेन मुखर्जी जैसे लोग सरकार की बोलती बंद कर देते थे. प्रधानमंत्रियों और मंत्रियों के पसीने छुड़ा देते थे.

इस बार विपक्ष के कुछ सांसदों को सुनकर उनकी बहस पर मुझे बहुत तरस आया. सरकार ने तीन विधेयक किसानों और अन्य तीन विधेयक औद्योगिक मजदूरों के बारे में पेश किए थे. इन विधेयकों का सीधा असर देश के 80-90 करोड़ लोगों पर पड़ना है. इन विधेयकों की कमियों को उजागर किया जाता, इनमें संशोधन के कुछ ठोस सुझाव दिए जाते और देश के किसानों व मजदूरों के दुख-दर्दो को संसद में गुंजाया जाता तो विपक्ष की भूमिका सराहनीय और रचनात्मक होती. लेकिन राज्यसभा में जैसा हंगामा मचा, उसने संसद की गरिमा गिराई है.

अब 25 सितंबर को भारत-बंद का नारा दिया गया है. भारत तो वैसे भी बंद पड़ा है. महामारी कुलांचे मार रही है. अब किसानों और मजदूरों को अगर प्रदर्शनों और आंदोलनों में झोंका जाएगा तो वे कोरोना के शिकार हो जाएंगे. उन्हें क्या विपक्षी नेता संभालेंगे? पक्ष और विपक्ष सभी के नेता तो इतने डरे हुए हैं कि भूखों को अनाज बांटने तक के लिए वे घर से बाहर नहीं निकलते. 

खैर, ये विधेयक अब कानून बन जाएंगे. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर भी हो जाएंगे. लेकिन सरकार और भाजपा का कर्तव्य है कि वह किसानों और मजदूरों से सीधा संवाद करे, विपक्षी नेताओं से सम्मानपूर्वक बात करे और विशेषज्ञों से पूछे कि किसान और मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए वह और क्या-क्या प्रावधान कर सकती है. 

भाजपा सरकार को जो अच्छा लगता है, वह उसे धड़ल्ले से कर डालती है. उसके पीछे उसका सदाशय ही होता है लेकिन विपक्ष से मुङो यह कहना है कि वह इन कानूनों को साल-छह महीने तक लागू तो होने दे. फिर देखें कि यदि ये ठीक नहीं है तो इन्हें बदलने या सुधारने के लिए पूरा देश उनका साथ देगा. कोई भी सरकार कितनी ही मजबूत हो, वह देश के 80-90 करोड़ लोगों को नाराज करने का खतरा मोल नहींले सकती।

Web Title: Ved pratap Vedic's blog: Opposition should play its meaningful role

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