वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कश्मीरियों से सार्थक संवाद
By वेद प्रताप वैदिक | Updated: September 5, 2019 12:20 IST2019-09-05T12:20:28+5:302019-09-05T12:20:28+5:30
गृह मंत्री ने अगले 15-20 दिन में संचार के सभी साधनों को खोल देने का भी संकेत दिया. कश्मीर के हर गांव के कम से कम पांच नौजवानों को रोजगार का भी भरोसा दिया गया.

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: कश्मीरियों से सार्थक संवाद
गृह मंत्री अमित शाह से जम्मू-कश्मीर के लगभग 100 लोगों के प्रतिनिधिमंडल ने कल दिल खोलकर बात की. उनमें पंचायतों के सरपंच, पंच और सेब-उत्पादक किसान आदि भी थे. यह पूछा जा सकता है कि लगभग 4500 पंचायतों के 35 हजार पंचों में से कुछ दर्जन पंचों के मिलने का क्या महत्व है?
यह प्रश्न अपनी जगह सही है लेकिन जो परिस्थितियां अभी कश्मीर में हैं, उन्हें देखते हुए इतने लोगों से भी गृह मंत्री का मिलना अपने आप में महत्वपूर्ण है. कई बार कुछ लोग ही बहुत-से लोगों की इतनी बातें कह देते हैं, जितनी वे बहुत-से लोग सब मिलकर भी नहीं कह पाते.
इस भेंट में यही हुआ. पंचों ने जब कहा कि वे डर के मारे घर से बाहर नहीं निकल पाते तो गृह मंत्री ने कहा कि सभी पंचों और ग्राम प्रधानों के लिए सरकार दो-दो लाख का बीमा करेगी. एक दुकानदार की इसीलिए हत्या कर दी गई है कि उसे आतंकवादियों ने दुकान बंद रखने की धमकी दी थी.
गृह मंत्री ने अगले 15-20 दिन में संचार के सभी साधनों को खोल देने का भी संकेत दिया. कश्मीर के हर गांव के कम से कम पांच नौजवानों को रोजगार का भी भरोसा दिया गया. राज्यपाल सत्यपाल मलिक पहले ही 50 हजार रोजगार देने की घोषणा कर चुके हैं. गृह मंत्री ने 316 खंडों में शीघ्र ही चुनाव करवाने की घोषणा की है. जम्मू में हुई फौज-भर्ती की रैली में हजारों नौजवानों ने भाग लिया है.
गृह मंत्री ने यह आश्वासन भी दिया है कि जम्मू-कश्मीर का ज्यों ही वातावरण ठीक होगा, उसे राज्य का दर्जा दिए जाने में देर नहीं की जाएगी. अमित शाह ने यह कहकर कश्मीरियों के घाव पर मरहम रख दिया है कि धारा 35 ए के खत्म होने का अर्थ यह नहीं कि कश्मीर की जमीन पर बाहरी लोग आकर कब्जा करने लगेंगे. यदि कश्मीरियों को 5 अगस्त के पूर्ण विलय के फायदे सरकार ठीक से समझा पाएगी तो जिस अशांति की आशंका से वह डरी हुई है, उसे काबू में लाना कठिन नहीं होगा.