वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: भारत-पाकिस्तान के पास है बेहतर मौका
By वेद प्रताप वैदिक | Published: April 20, 2022 12:32 PM2022-04-20T12:32:13+5:302022-04-20T12:35:23+5:30
शाहबाज शरीफ के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने के बाद उम्मीद की जा सकती है कि भारत-पाक रिश्तों में सुधार होगा।
पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो जवाबी खत लिखा है, उसे देखकर मुझे लगता है कि दोनों देशों के बीच पिछले तीन साल में जो संवादहीनता पनप गई थी, अब शायद वह टूट जाए़. मोदी ने शाहबाज को बधाई का जो पत्र लिखा था, उसमें यही इच्छा व्यक्त की थी कि दोनों देशों के बीच ऐसे संबंध रहने चाहिए, जिनसे दक्षिण एशिया के क्षेत्र में शांति और स्थायित्व का वातावरण बने़. शाहबाज ने एक कदम आगे बढ़कर कहा है कि दोनों देशों को मिलकर गरीबी और बेकारी के खिलाफ युद्ध लड़ना चाहिए.
दोनों प्रधानमंत्रियों ने एक-दूसरे को बहुत ही सराहनीय बातें कही हैं लेकिन शाहबाज ने अपने खत में कश्मीर का मुद्दा उठाया और नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद का. इन मुद्दों ने ही भारत-पाक संबंधों में खटास पैदा कर रखी है. इमरान खान जब सत्तारूढ़ हुए थे तो उन्होंने कहा था कि भारत-पाक संबंध सुधारने के लिए यदि भारत एक कदम आगे बढ़ाएगा तो हम दो कदम आगे बढ़ाएंगे. लेकिन 2019 में पुलवामा में पाकिस्तान के हवाई हमले और भारत के बालाकोट में जवाबी हमले ने जो तनाव पैदा किया था, उसे खतरे के निशान तक पहुंचाने में कश्मीर से धारा 370 की विदाई ने सख्त भूमिका अदा की.
ऐसा लगता है कि इमरान सरकार ने 2019 में कूटनीति का मार्ग छोड़कर अपनी सेना को खुश रखने का मार्ग ज्यादा पसंद किया. लेकिन शाहबाज शरीफ के नेतृत्व में बनी यह नई सरकार चाहे तो वह काम कर सकती है, जो आज तक पाकिस्तान की कोई भी सरकार नहीं कर सकी है़. इस नई सरकार को सेना का भी पूरा समर्थन प्रतीत होता है़.
यह तो मैं पहले ही लिख चुका हूं कि जब-जब शरीफ बंधुओं से मेरी मुलाकात हुई, शाहबाज को हमेशा मैंने ज्यादा नरम और विनम्र पाया. इसके अलावा इनके पिता मोहम्मद शरीफ मुझे बताया करते थे कि विभाजन के बाद वे कई वर्षों तक रोज सुबह अपने गांव जाति उमरा, जो कि अमृतसर में है, जाते थे और बस में भरकर उसके मजदूरों को ले आते थे़.
जैसा कि आसिफ जरदारी ने कहा था, हर पाकिस्तानी की तरह, उनके दिल में भी एक हिंदुस्तान धड़कता था. 2014 में इस्लामाबाद में जब मियां नवाज से मेरी लंबी भेंट हुई तो वे जानना चाहते थे कि हमारे नए प्रधानमंत्री के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए क्या-क्या पहल की जाए. लेकिन अब मौका पहले से भी बढ़िया है, जब दोनों देशों के संबंधों में नई शुरुआत हो सकती है.