ब्लॉग: खालिस्तानियों के उभार के हो सकते हैं गंभीर परिणाम
By शशिधर खान | Published: June 16, 2023 03:16 PM2023-06-16T15:16:37+5:302023-06-16T15:21:00+5:30
कनाडा सरकार का भारत विरोधी सिखों को शह वोट बैंक राजनीति का हिस्सा है. कनाडा में सिखों की आबादी तकरीबन 800000 आंकी गई है.
अलग ‘खालिस्तान’ समर्थक सिखों ने ऑपरेशन ब्लू स्टार की बरसी अमृतसर स्वर्ण मंदिर परिसर में और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का शहादत दिवस कनाडा में साथ-साथ मनाया. ऑपरेशन ब्लू स्टार की 39वीं बरसी पर अमृतसर स्वर्ण मंदिर परिसर से निकले खालिस्तान समर्थक नारे और कनाडा में इंदिरा गांधी का शहादत ‘बदला दिवस’ उत्सव के रूप में मनाने की खबर सिख उग्रवाद की आग सुलगने का प्रमाण है.
स्वर्ण मंदिर परिसर में एक खास राजनीतिक दल के संसद सदस्य का अपने समर्थकों के साथ जरनैल सिंह भिंडरांवाले की तस्वीर युक्त तख्तियों के साथ ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ नारे लगाना चिंता का विषय है. दूसरा गंभीर मसला है, कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में इंदिरा गांधी का शहादत दिवस ‘बदला’ के रूप में मनाना.
यह खालिस्तानी उभार एक दशक से कनाडा और इंग्लैंड में चल रही भारत विरोधी गतिविधियों के बीच सामने आ रहा है. भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कनाडा सरकार को कड़ा संदेश देते हुए चेताया है, क्योंकि इंदिरा गांधी का शहादत दिवस ‘बदला’ के रूप में मनाने में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन टूडो की तरफ से खालिस्तान उग्रवादियों को खुली शह देने की खबरों की जोरदार चर्चा है. कहा जा रहा है कि कनाडा सरकार का भारत विरोधी सिखों को शह वोट बैंक राजनीति का हिस्सा है. कनाडा में सिखों की आबादी तकरीबन 800000 आंकी गई है. गत कुछ वर्षों में कनाडा में हर साल खालिस्तानी अलगाववादी सिख गुटों द्वारा ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ (1984) घटना की ‘परेड झांकी’ जारी की जा रही है और इंदिरा गांधी की हत्या को ‘बदला’ के रूप में प्रचारित किया जा रहा है.
कनाडा में सिख आबादी वहां की सरकार के लिए ‘वोट बैंक’ राजनीति हो सकती है. लेकिन खालिस्तान समर्थक नारों में ऑपरेशन ब्लू स्टार की स्वर्ण मंदिर परिसर में बरसी और इंदिरा गांधी की हत्या को उसी के ‘बदले’ के रूप में प्रचार पर सियासी राजनीति का कलेवर लग रहा है.
जनसाधारण के बीच इस पर राजनीतिक दलों को इस रूप में देखा जा रहा है, मानो खालिस्तानी उग्रवादी भारत के नहीं, बल्कि किसी कांग्रेस नेता और प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या का जश्न मना रहे हों. इससे फैल रहे संदेश का वैदेशिक से ज्यादा देश की अंदरूनी राजनीति पर असर पड़ सकता है. कांग्रेस को छोड़ अन्य किसी भी पार्टी ने इंदिरा गांधी की हत्या का कनाडा में जश्न पर तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी. भाजपा नेताओं के लिए यह एक परिवारवादी पार्टी का मामला हो सकता है. मगर 2024 लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ गोलबंद हो रहे विपक्षी दलों का इस घटना के प्रति उदासीन रवैया खटकने वाला है.