भारत में 'हीटवेव' की तीव्रता बन रही घातक
By निशांत | Published: April 21, 2023 02:29 PM2023-04-21T14:29:23+5:302023-04-21T14:31:29+5:30
जलवायु परिवर्तन की वजह से गंभीर होती यह हीटवेव भारत के ससटेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) को हासिल करने की दिशा में प्रगति को बाधित कर सकती है।
देश की सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि और अन्य सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक प्रणालियों पर बोझ डालते हुए भारत में फिलहाल हीटवेव अपनी आवृत्ति, तीव्रता, और घातकता में बढ़ रही है।
पीएलओएस क्लाइमेट में प्रकाशित, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के रमित देबनाथ और उनके सहयोगियों द्वारा किए एक अध्ययन से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से गंभीर होती यह हीटवेवभारत के ससटेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (एसडीजी) को हासिल करने की दिशा में प्रगति को बाधित कर सकती है।
भारत सत्रह संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें गरीबी उन्मूलन, अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण, बेहतर जलवायु, और आर्थिक विकास आदि शामिल है।
वर्तमान जलवायु भेद्यता आकलन पूरी तरह सक्षम नहीं है ये बताने में कि कैसे जलवायु परिवर्तन से जुड़ी हीटवेव (एसडीजी) प्रगति को प्रभावित कर सकती है।
इसके दृष्टिगत भारत की जलवायु भेद्यता का विश्लेषण करने, और जलवायु परिवर्तन (एसडीजी) प्रगति को कैसे प्रभावित कर सकता है, इसके लिए इन शोधकर्ताओं ने भारत के ताप सूचकांक (एचआई) के जलवायु भेद्यता सूचकांक (सीवीआई) के साथ सामाजिक आर्थिक, आजीविका के लिए विभिन्न संकेतकों, और बायोफिजिकल कारक का उपयोग करते हुए एक समग्र सूचकांक का विश्लेषणात्मक मूल्यांकन किया।
उन्होंने स्थिति की गंभीरता को वर्गीकृत करने के लिए भारत सरकार के राष्ट्रीय डाटा और एनालिटिक्स प्लेटफार्म से राज्य-स्तरीय जलवायु भेद्यता संकेतकों पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डाटासेट का उपयोग किया।
शोधकर्ताओं ने फिर 20 वर्षों (2001-2021) में एसडीजी में भारत की प्रगति की तुलना 2001-2021 से चरम मौसम संबंधी मृत्यु दर के साथ की। शोधकर्ताओं ने पाया कि हीटवेव ने एसडीजी प्रगति को पहले के अनुमान से अधिक कमजोर कर दिया है और वर्तमान मूल्यांकन मेट्रिक्स जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए भारत की कमजोरियों की बारीकियों को पर्याप्त रूप से पकड़ नहीं सकते हैं।
उदाहरण के लिए, एचआई के आकलन में, अध्ययन से पता चलता है कि देश का लगभग 90% भाग हीटवेव के प्रभाव से खतरे के क्षेत्र में है। सीवीआई के अनुसार, देश का लगभग 20% भाग जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है।