महिलाओं के स्वावलंबन से होगा देश का विकास

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: November 18, 2022 12:40 PM2022-11-18T12:40:09+5:302022-11-18T12:43:46+5:30

जाहिर है कि महिलाओं को अनुकूल माहौल उपलब्ध कराना सभी की जिम्मेदारी है, सभी पूरे समाज का विकास हो सकेगा।

The development of the country will be due to the self-reliance of women | महिलाओं के स्वावलंबन से होगा देश का विकास

महिलाओं के स्वावलंबन से होगा देश का विकास

Highlightsआर्थिक और सामाजिक आत्मनिर्भरता एक दूसरे के पूरक हैं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में स्वयं सहायता समूह प्रभावी योगदान दे सकते हैं।दसवीं-बारहवीं बोर्ड परीक्षा के परिणामों में लड़कियों के ही अव्वल आने की खबरें प्राय: हर साल सुर्खियां बनती हैं।आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता जैसे सभी शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने बिल्कुल सही कहा है कि महिलाओं के विकास से ही देश विकसित होगा और महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाना ही उनके सशक्तिकरण का प्रभावी तरीका है। भोपाल में बुधवार को महिला स्वयं सहायता समूहों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत को एक विकसित देश बनाने के लिए महिलाओं की अधिकतम भागीदारी की जरुरत है। इसमें कोई दो राय नहीं कि भारतीय महिलाएं आज देश में ही नहीं बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी सफलता के झंडे गाड़ रही हैं। 

यही कारण है कि अमेरिकी बिजनेस मैगजीन फोर्ब्स ने अपने ताजा अंक में बीस एशियाई पावर बिजनेसवुमन की सूची में तीन भारतीय महिलाओं नमिता थापर, सोमा मंडल और गजल अलघ को भी शामिल किया है। आर्थिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को इस आंकड़े से समझा जा सकता है कि देश के सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) में 18 प्रतिशत से ज्यादा उद्यम महिलाओं द्वारा संचालित हैं। अनेक विद्वानों का मानना है कि प्राचीन भारत में महिलाओं को जीवन के सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ बराबरी का दर्जा हासिल था। 

हालांकि मध्ययुगीन काल में उनकी स्थिति में गिरावट आई और बाल विवाह, सती प्रथा, पर्दा प्रथा जैसी कुरीतियों ने महिलाओं को समाज में दोयम दर्जे का जीवन जीवन जीने के लिए मजबूर किया। लेकिन आजादी के बाद महिलाएं अब समाज में सभी तरह की गतिविधियों में हिस्सा ले रही हैं और जीवन के सभी क्षेत्रों में अपनी सफलता का परचम लहरा रही हैं। आधुनिक भारत में महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, प्रतिपक्ष की नेता जैसे सभी शीर्ष पदों पर आसीन हुई हैं।

दसवीं-बारहवीं बोर्ड परीक्षा के परिणामों में लड़कियों के ही अव्वल आने की खबरें प्राय: हर साल सुर्खियां बनती हैं। लेकिन इसके साथ ही यह भी सच है कि एक सीमा के बाद अभी भी युवतियों को आगे बढ़ने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। जैसे दसवीं-बारहवीं में अच्छा प्रदर्शन करने के बावजूद उच्च शिक्षा में छात्राओं का प्रतिशत छात्रों की तुलना में कम हो जाता है।

हालांकि पिछले कुछ वर्षों में इसमें काफी सुधार हुआ है। लेकिन नेशनल सैंपल सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि देश के विभिन्न राज्यों में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में महिलाओं की कुल हिस्सेदारी अभी भी 14 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है। जबकि, जैसा राष्ट्रपति मुर्मु ने भी कहा है, आर्थिक आत्मनिर्भरता महिलाओं को सशक्त बनाने का एक प्रभावी तरीका है। आर्थिक और सामाजिक आत्मनिर्भरता एक दूसरे के पूरक हैं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में स्वयं सहायता समूह प्रभावी योगदान दे सकते हैं।

लेकिन यह भी सच है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा, रेप, गैंगरेप जैसी घटनाओं के कारण अभी भी अधिकांश स्थानों पर ऐसा माहौल नहीं बन पाया है कि महिलाएं स्वतंत्र और निडर होकर अपनी क्षमता का पूरा उपयोग कर सकें। जाहिर है कि महिलाओं को अनुकूल माहौल उपलब्ध कराना सभी की जिम्मेदारी है, सभी पूरे समाज का विकास हो सकेगा।

Web Title: The development of the country will be due to the self-reliance of women

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