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Blog: ये 'सोशल मीडिया' मुझे 'अनसोशल' बना रहा है

By सुवासित दत्त | Updated: July 3, 2018 16:10 IST

मुझे 'सोशल मीडिया' से दूर जाने का गम नहीं है। गम इस बात का है कि ये 'सोशल मीडिया' मुझे 'अनसोशल' बना रहा है।

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जी हां, सही पढ़ा आपने। ये सोशल (Social Media) मीडिया मुझे अनसोशल (Un-social) बना रहा है। हालांकि, आपको ये बात बताने के लिए भी मुझे 'सोशल मीडिया' का ही सहारा लेना पड़ रहा है लेकिन, यकीन मानिए इस सोशल मीडिया से अब मुझे चिढ़ सी होने लगी है। या ये कहें कि शायद मैं डर सा गया हूं।

सोशल मीडिया 'Show Off' का एक ज़रिया हो चुका है। हमारे रिश्तों के बीच आने लगा है। कुछ लोग इसे हथियार की तरह इस्तेमाल करने लगे हैं। तो कुछ लोग इसे अपनी बात को 'Justify' करने का एक ज़रिया बना चुके हैं। मुझे ये यकीन है कि मैं ऐसा इकलौता नहीं हूं जिसे ये डर सता रहा हो।

मैं सालों से फेसबुक पर भी हूं और ट्विटर पर भी। मैं भी पहले अपनी हर खुशी और गम सोशल मीडिया पर शेयर करता था। अपनी बातें कहता था, लोगों की सुनता-पढ़ता था। लेकिन, अचानक महसूस हुआ कि ये सोशल मीडिया तो नफरत भी फैलाता है। ना सिर्फ समाज में बल्कि आपसी रिश्तों में भी। सोशल मीडिया पर किसी को ट्रोल करना अब फैशन सा हो गया है। सोशल मीडिया पर झूठी खबरों को लोग सच मानने लगे हैं। इन फर्जी खबरों को सच मानकर लोगों को जान से मार तक दिया जा रहा है।

मैंने भी अपने आसपास या अपने निजी जीवन में सोशल मीडिया के दुष्प्रभाव को महसूस किया है। ना सिर्फ अपने समाज में बल्कि अपने परिवार और रिश्तेदारों पर भी इसका असर देखा है मैंने। मुझे भी सोशल मीडिया के ज़रिए ट्रोल किया गया है। कई बार तो 'अपनों' ने ही 'ट्रोल' किया है। अब हालत ये हो गई है कि ना तो फेसबुक देखने का मन करता है और ना ही ट्विटर। मैंने पिछले एक साल में अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर शायद 3 4 पोस्ट ही किए होंगे। ये दर्शाता है कि मैं धीरे धीरे फेसबुक से दूर जा चुका हूं। अब किसी को अपने बारे में नहीं बताना चाहता। नहीं चाहता कि मैं अपनी निजी जिंदगी को किसी 'फेसबुक' का मोहताज बनाऊं।

अपने निजी अनुभव की बात करूं तो इस 'फेसबुक' रूपी 'मंथरा' ने मेरे कई रिश्तों में भी नफरत घोल दिया है। कई नज़दीकी रिश्ते जो मेरा हाथ थामकर मेरा दर्द और अपना दर्द साझा कर सकते थे, उन्होंने अपनी बात कहने के लिए फेसबुक का सहारा लिया। दर्द ये नहीं कि उनकी कही बातों ने ना जाने कितने लोगों ने पढ़ा होगा। दर्द इस बात का है कि क्या फेसबुक या 'सोशल मीडिया' का कद इस हद तक बड़ा हो गया है कि वो आपके पारिवारिक मामलों को सार्वजनिक करने में एक बड़ा रोल अदा कर रहा है।

लेकिन, सब मेरे जैसे नहीं है। लोग सोशल मीडिया के ज़रिए अब ये तक बता दे हैं कि पिछले वीकेंड उन्होंने कौन सी डिश खाई थी, किस किस से मिले थे और कौन सी मूवी कहां देखी थी। लेकिन, मैं ऐसा नहीं हूं। 'Show Off' की इस रेस में मैं पिछड़ता जा रहा हूं। लेकिन, मुझे 'सोशल मीडिया' से दूर जाने का गम नहीं है। गम इस बात का है कि ये 'सोशल मीडिया' मुझे 'अनसोशल' बना रहा है।

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