शोभना जैन का ब्लॉग: परदेस में फंसे अपनों की स्वदेश वापसी बनी विषम चुनौती

By शोभना जैन | Published: May 3, 2020 09:55 AM2020-05-03T09:55:09+5:302020-05-03T09:55:09+5:30

चिंताजनक खबरें आ रही हैं कि कोरोना के इस वैश्विक संकट की वजह से दुनिया भर में बढ़ती आर्थिक बदहाली से इन प्रवासी भारतीयों में से अनेक का रोजगार खत्म हो गया है, इनके काम-धंधे वाले देश इनकी जगह अपने लोगों को रोजगार देने की जुगत में हैं. काफी जगह मालिकों ने काम-धंधा बंद कर दिया है. बदहाली के आलम में सिर्फ इंतजार ही इन प्रवासी अपनों का आसरा है.

Shobhana Jain blog: Repatriation of loved ones becomes Odd challenge who stranded in foreign countries | शोभना जैन का ब्लॉग: परदेस में फंसे अपनों की स्वदेश वापसी बनी विषम चुनौती

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

घरों से हजारों किलोमीटर दूर, सात समंदर पार रोजी-रोटी कमाने गए भारतीय कामगार और सुनहरे भविष्य की तलाश में विदेशों में पढ़ने गए भारतीय छात्न तथा ऐसे ही दूर देश में फंसे अन्य भारतीय बदहाल दुरूह हालात में पल-पल घर लौटने का इंतजार कर रहे हैं, गुहार लगा रहे हैं. चिंताजनक खबरें आ रही हैं कि कोरोना के इस वैश्विक संकट की वजह से दुनिया भर में बढ़ती आर्थिक बदहाली से इन प्रवासी भारतीयों में से अनेक का रोजगार खत्म हो गया है, इनके काम-धंधे वाले देश इनकी जगह अपने लोगों को रोजगार देने की जुगत में हैं. काफी जगह मालिकों ने काम-धंधा बंद कर दिया है. बदहाली के आलम में सिर्फ इंतजार ही इन प्रवासी अपनों का आसरा है.

देश में इस संकट से निबटने के हरसंभव प्रयासों की तरह ही सरकार हालात के अनुरूप होने पर इन लोगों की स्वदेश वापसी तक वहां इन लोगों की देखभाल करने का पूरा प्रयास कर रही है. अपने दूतावासों के साथ-साथ सरकार इन देशों से निरंतर संपर्क बना कर वापसी तक इनकी सुध लेने का आग्रह कर रही है. अनेक देश इस बारे में मदद भी कर रहे हैं. कोरोना ने ऐसे सभी लोगों की फौरी वापसी के लिए स्थितियां विषम कर दी है. देश-विदेश में फंसे कामगारों को लेकर उच्चतम न्यायालय में सरकार ने कहा है, ‘जो जहां हैं वहीं रहें, धर्य रखें’. हालात ऐसे विषम बने हैं कि लॉकडॉउन खत्म होने या ढील दिए जाने तक उनकी वापसी संभव नहीं है.

कोरोना को फैलने से रोकने के लिए भारत के साथ-साथ दुनिया के कई देशों में लॉकडाउन लागू है. भारत में 17 मई तक लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है. रेलगाड़ियों के साथ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय उड़ानें बंद हैं. जैसा कहा गया है कि स्वदेश में फंसे इन अपनों को वापस लाने के लिए सरकार ने महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है. विदेश मंत्नालय ने इसके लिए नागरिक उड्डयन मंत्नालय, एयर इंडिया, राज्य सरकारों और विदेशों में स्थित भारतीय मिशन से संपर्क कर उन भारतीयों को वापस लाने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है जो वापस स्वदेश लौटना चाहते हैं, लेकिन देशव्यापी लॉकडाउन के खत्म होने के बाद ही इन्हें वापस लाया जाएगा.

गौरतलब है कि मार्च में लॉकडाउन लागू होने के बाद से हजारों भारतीय विदेशों में फंसे हैं. विदेश में रोजगार के लिए गए लोगों की वापसी के लिए भारत में विशेष रूप से राजनीतिक मांगें आई हैं, खास तौर पर केरल से. केरल के मुख्यमंत्नी का कहना है कि केरल से परदेस गए लगभग 56,000 लोगों ने स्वदेश वापसी के लिए अपना पंजीकरण करा दिया है. उम्मीद है कि जल्द ही सरकार विदेशों में अपने दूतावासों के माध्यम से ऐसे लोगों के पंजीकरण का काम शुरू कर सकती है जो लॉकडाउन के हटने के बाद सरकारी निर्देशों को पूरा करते हुए देश लौट सकते हैं. इस मुद्दे पर विदेश मंत्नालय राज्य सरकारों और विदेश में स्थित भारतीय मिशन के साथ मिलकर काम कर रहा है.

ऐसी खबरें चिंता और भी बढ़ाती हैं कि इस वैश्विक संकट की वजह से दुनिया के काफी देशों की तरह बढ़ रहे आर्थिक दुष्चक्र  की वजह से खाड़ी देश ओमान ने सरकारी क्षेत्न के उपक्रमों से विदेशी कामगारों को जल्द से जल्द नौकरियों से हटा कर उनकी जगह ओमानी नागरिकों को काम पर रखने के दिशा निर्देश जारी किए हैं. कोरोना की वजह से दुनिया भर में आर्थिक संकट छा रहा है, बेरोजगारी बढ़ रही है. ऐसे में देशों की प्राथमिकता अपने देश के कामगारों को काम देने की रहेगी. गौरतलब है कि खाड़ी देश ओमान में ही लगभग 46 लाख विदेशी कामगार हैं जिनमें से अकेले 8 लाख भारतीय हैं. हालांकि अभी यह फैसला सरकारी क्षेत्न ने ही लिया है लेकिन लगता यही है कि बढ़ते आर्थिक संकट और बेरोजगारी के चलते निजी क्षेत्न भी इसे लागू करेगा.

Web Title: Shobhana Jain blog: Repatriation of loved ones becomes Odd challenge who stranded in foreign countries

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