शशिधर खान का ब्लॉग: नगा ‘फाइनल डील’ आखिर कहां अटकी है?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: December 20, 2019 06:48 AM2019-12-20T06:48:13+5:302019-12-20T06:48:13+5:30

तीन अगस्त, 2015 को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई ‘नगा डील’ पर मुइवा ने और भारत सरकार की ओर से वार्ताकार आऱ एऩ रवि ने हस्ताक्षर किए. उस समय से लेकर अभी तक किसी को पता नहीं है कि वो नगा डील क्या हुई,

Shashidhar Khan blog: Where is Naga 'final deal' stuck? | शशिधर खान का ब्लॉग: नगा ‘फाइनल डील’ आखिर कहां अटकी है?

शशिधर खान का ब्लॉग: नगा ‘फाइनल डील’ आखिर कहां अटकी है?

नगा संकट के स्थायी समाधान के लिए हुए ‘फ्रेमवर्क एग्रीमेंट’ को फाइनल ‘नगा डील’ में बदलने का मामला एक बार फिर उसी स्थिति में पहुंच गया है, जिसमें आम चुनाव, 2019 से पहले था. दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने नगा वार्ताकार आऱ एऩ रवि को नगालैंड का राज्यपाल बनाकर ‘फाइनल डील’ के लिए 31 अक्तूबर तक का डेडलाइन दिया.

31 अक्तूबर को बीते डेढ़ महीने होने को हैं. ‘फाइनल डील’ में मुख्य अड़ंगा हार्डलाइनर नगा विद्रोही नेता नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम (एनएससीएन-आइसाक-मुइवा गुट) सुप्रीमो टी़ मुइवा को बताया जा रहा है.

तीन अगस्त, 2015 को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई ‘नगा डील’ पर मुइवा ने और भारत सरकार की ओर से वार्ताकार आऱ एऩ रवि ने हस्ताक्षर किए. उस समय से लेकर अभी तक किसी को पता नहीं है कि वो नगा डील क्या हुई, जिसे नगा संकट के खात्मे के लिए ‘फ्रेमवर्क एग्रीमेंट’ बताया गया. यहां तक कि उत्तर-पूर्व की निर्वाचित सरकारों को भी अंधेरे में रखा गया. वार्ताकार आऱ एऩ रवि और प्रधानमंत्री खुद भी इस संबंध में कुछ बोलने से परहेज करते रहे.

नगालैंड का राज्यपाल बनने के बाद जुलाई, 2019 में आऱ एऩ रवि ने अचानक यह कहकर खामोशी तोड़ी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतिम समझौते (फाइनल डील) के लिए 31 अक्तूबर तक की डेडलाइन दी है. इस डेडलाइन को पूरी करने के लिए आऱ एऩ रवि ने भरपूर प्रयास किए. वार्ता तो उन्होंने इसके पहले चार साल से जारी रखी हुई थी लेकिन राज्यपाल बनने के बाद नगा वार्ताकार आऱ एऩ रवि का तौर तरीका थोड़ा बदल गया.

उन्होंने कोहिमा से दिल्ली तक सभी नगा गुटों से कई दौर की बातचीत की.  अन्य नगा गुटों के अलावा एनएससीएन (मुइवा गुट) नेता टी़ मुइवा भी बैठकों में शामिल हुए. मुइवा अपने पहले के अड़ियल रवैये (अलग झंडा और अलग संविधान) से पीछे हटने को तैयार नहीं हुए.

अक्तूबर के अंत में एक हफ्ते के अंदर दो बैठकें बुलाने का मकसद 31 अक्तूबर तक डेडलाइन पूरा करना था, जो नहीं हो पाया. उसके बाद डेडलाइन की कोई अगली तारीख तय नहीं हुई और मामला फिर लटक गया. अब वही बयान है- फाइनल नगा डील जल्द हो जाएगी, जो 2015-2019 के बीच चल रही थी.

नगा संकट सिर्फ नगालैंड और एनएससीएन से जुड़ा नहीं है.  मणिपुर के 23 कूकी समुदाय हैं, जो अलग कूकीलैंड की मांग कर रहे हैं. इन गुटों से दस साल से संघर्ष विराम केंद्र का चल रहा है. इनसे संपर्क बनाए रखने का जिम्मा पूर्व खुफिया प्रमुख ए़ बी़ माथुर को दिया गया है, जो असम के विद्रोही गुट उल्फा यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट आॅफ असम से वार्ता चला रहे हैं.

Web Title: Shashidhar Khan blog: Where is Naga 'final deal' stuck?

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