शशांक द्विवेदी का ब्लॉग: हेल्थ कोड स्कैनिंग तकनीक का हो इस्तेमाल  

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 29, 2020 10:19 AM2020-04-29T10:19:01+5:302020-04-29T10:19:01+5:30

कोरोना से जंग में चीन ने न सिर्फलॉकडाउन बल्कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी बखूबी किया. कल्पना कीजिए कि आपके जीवन की दैनिक गतिविधियां मसलन आप घर से निकलते हैं, काम पर जाते हैं, दोस्तों के साथ रेस्तरां या शॉपिंग मॉल में घूमते हैं, लेकिन आपकी हर गतिविधि मोबाइल के स्क्रीन पर दिखने वाले रंग से तय होती है. 

Shashank Dwivedi's blog: Use of health code scanning technology | शशांक द्विवेदी का ब्लॉग: हेल्थ कोड स्कैनिंग तकनीक का हो इस्तेमाल  

शशांक द्विवेदी का ब्लॉग: हेल्थ कोड स्कैनिंग तकनीक का हो इस्तेमाल  

पूरी दुनिया इस समय कोरोना संकट से जूझ रही है, अधिकांश देशों में अभी लॉकडाउन की स्थिति चल रही है लेकिन आश्चर्य की बात है कि चीन के वुहान शहर से जहां कोरोना संकट शुरू हुआ था, अब वहां के हालात सामान्य हैं. लॉकडाउन हट गया है और वहां के बाजारों में कारोबारी गतिविधियां जारी हैं. यह मानना पड़ेगा कि चीन तकनीक की सहायता से कोरोना वायरस पर काबू पाने में कामयाब रहा है.

कोरोना से जंग में चीन ने न सिर्फलॉकडाउन बल्कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल भी बखूबी किया. कल्पना कीजिए कि आपके जीवन की दैनिक गतिविधियां मसलन आप घर से निकलते हैं, काम पर जाते हैं, दोस्तों के साथ रेस्तरां या शॉपिंग मॉल में घूमते हैं, लेकिन आपकी हर गतिविधि मोबाइल के स्क्रीन पर दिखने वाले रंग से तय होती है. 

अगर हरा रंग दिखता है, तो कुछ भी करने की आजादी है. लेकिन जैसे ही मोबाइल की स्क्रीन पर लाल रंग नजर आता है, तो कहीं भी आपकी एंट्री बंद कर दी जाती है. दरअसल, चीन ने कोरोना पर निगरानी रखने की एक ऐसी मोबाइल प्रणाली विकसित की, जिसकी नजरों से बचकर निकल पाना कोरोना वायरस के लिए नामुमकिन नहीं तो बेहद मुश्किल जरूर है. चीन की सरकार ने कोरोना वायरस को रोकने और लोगों की गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए रंग आधारित हेल्थ कोड का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.


इसके लिए मोबाइल में मौजूद क्यूआर कोड का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह क्यूआर कोड ही चीन के लोगों को हेल्थ कार्ड के रूप में दिया जा रहा है. हालांकि अभी तक पूरे चीन में हेल्थ कोड्स को अनिवार्य नहीं बनाया गया है, लेकिन इस पर तेजी से काम हो रहा है. हेल्थ कोड हासिल करने के लिए लोगों को अपनी निजी जानकारी साझा करनी पड़ती है. 
नाम, राष्ट्रीय पहचान नंबर, पासपोर्ट नंबर और फोन नंबर को साइन अप पेज पर भरना होता है. फिर उन्हें अपनी पिछली यात्ना के बारे में बताना होता है. इसके साथ ही उनसे 14 दिनों के बारे में पूछा जाता है कि क्या इस दौरान उनका संपर्ककोविड-19 के मरीजों से हुआ. रूस ने भी लोगों की गतिविधियों का पता लगाने के लिए क्यूआर कोड को लागू कर दिया है.

इस कोरोना महामारी के भारत के लिए दो बड़े सबक हैं. पहला यह कि दुनिया के किसी भी देश पर हमारी व्यावसायिक निर्भरता कम हो, सभी मामलों में हम आत्मनिर्भर बनें और दूसरा, स्वदेशी तकनीक पर ज्यादा ध्यान देना होगा, क्योंकि प्रौद्योगिकी और तकनीक के सही प्रयोग से ही हम कोरोना संकट से काफी हद तक बच सकते हैं.

Web Title: Shashank Dwivedi's blog: Use of health code scanning technology

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