शशांक द्विवेदी का ब्लॉग: समग्र विकास में विज्ञान की भूमिका
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 6, 2020 14:19 IST2020-01-06T14:19:18+5:302020-01-06T14:19:18+5:30
देश-विदेश में वैज्ञानिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने तथा वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहन देने में भारतीय विज्ञान कांग्रेस की अहम भूमिका है. भारतीय विज्ञान कांग्रेस भारतीय वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था है. इस संस्था की स्थापना साल 1914 में हुई थी. इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत में विज्ञान को बढ़ावा देने हेतु किया गया था.

107वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में शामिल हुए पीएम मोदी (बीच में), कर्नाटक के सीएम बीएस येदियुरप्पा (बाएं) और केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन। (Image Courtesy: Twitter/@DrSundara3)
भारत में विज्ञान के सबसे बड़े वार्षिक कार्यक्रम 107वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस का बेंगलुरुमें उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने कहा कि वैज्ञानिक आम लोगों के फायदे के लिए अनुसंधान करें साथ ही वैज्ञानिक उपलब्धियों को समाज तक पहुंचाया जाए, इससे युवाओं में वैज्ञानिक चेतना जाग्रत होगी और शोध, अनुसंधान का माहौल भी बनेगा. विज्ञान कांग्रेस 2020 की थीम ‘ग्रामीण विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी’ पर बोलते हुए मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्न को सहायता करने वाली तकनीकों में क्रांति की जरूरत है.
देश-विदेश में वैज्ञानिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देने तथा वैज्ञानिक अनुसंधान को प्रोत्साहन देने में भारतीय विज्ञान कांग्रेस की अहम भूमिका है. भारतीय विज्ञान कांग्रेस भारतीय वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था है. इस संस्था की स्थापना साल 1914 में हुई थी. इसकी स्थापना का उद्देश्य भारत में विज्ञान को बढ़ावा देने हेतु किया गया था. इस संस्था के आरंभ से ही भारत के महान वैज्ञानिक, शिक्षाविद् एवं राजनेता जुड़े रहे. भारतीय विज्ञान कांग्रेस ने भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. विज्ञान कांग्रेस की एक और अहम विशेषता यह है कि इसमें विदेशों से नोबल विजेता वैज्ञानिक भी सम्मिलित होते हैं.
असल में पिछले कई सालों से चल रहे विज्ञान कांग्रेस के इस आयोजन का भी मुख्य उद्देश्य आम आदमी तक विज्ञान का लाभ पहुंचाकर सतत शोध और विकास को बढ़ावा देना है. लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि अभी भी देश में विज्ञान, वैज्ञानिक संचार और विज्ञान चेतना का अभाव दिखता है. इसीलिए पीएम मोदी ने कहा कि कृषि क्षेत्न को सहायता करने वाली तकनीकों में क्रांति की आवश्यकता है. उदाहरण के लिए क्या हम डंठल जलाने की समस्या को लेकर किसानों का समाधान कर सकते हैं? क्या हम अपने ईंट भट्टों को कम उत्सर्जन और अधिक ऊर्जा दक्षता के लिए फिर से डिजाइन कर सकते हैं.
किसी भी राष्ट्र की प्रगति विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्न में शिक्षा और अनुसंधान में हुई निरंतर वृद्धि पर निर्भर करती है. इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए हमारा अनुसंधान अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होना चाहिए. भारतीय शिक्षा व अनुसंधान की प्रमुख कमजोरी भारतीय अनुसंधान में विश्वविद्यालयों की हिस्सेदारी का अपेक्षाकृत बहुत कम होना है. सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों में अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं.