सारंग थत्ते का ब्लॉग: चीन के साथ सीमा पर कब खत्म होगा गतिरोध?

By सारंग थत्ते | Published: August 10, 2020 12:34 PM2020-08-10T12:34:15+5:302020-08-10T12:34:15+5:30

टकराव की स्थिति को 90 दिनों से ज्यादा समय हो गया है. क्या चीन यह मानकर चल रहा है कि आपस की बातचीत के दौर चलते रहेंगे और दोनो देशों के सैनिक सितंबर के बाद से शुरू हो रहे ठंडे मौसम में भी 16000 फुट की ऊंचाई पर अपने अपने इलाकों में अलर्ट पर बने रहेंगे?

Sarang Thatte's blog: When will the deadlock end at the border with China? | सारंग थत्ते का ब्लॉग: चीन के साथ सीमा पर कब खत्म होगा गतिरोध?

सारंग थत्ते का ब्लॉग: चीन के साथ सीमा पर कब खत्म होगा गतिरोध?

भारत और चीन की उत्तरी और पूर्वी सीमा पर आपसी टकराव एवं नोकझोंक की स्थिति मई महीने की 5 और 6 तारीख को शुरू हुई लेकिन इस टकराहट का संपूर्ण हल अब तक नहीं आ पाया है. चीन ने मई महीने में इसी गलवान घाटी इलाके में अपने सैन्य अभ्यास की कार्रवाई भी की थी, जिसकी बदौलत इस इलाके में  बड़ी संख्या में चीनी सैनिक मौजूद हैं. फिलहाल 12-12 घंटे लंबी चली कोर कमांडर स्तर की वार्ता में आपसी विवाद को दूर करने और एकमत होने में समय लग रहा है. अब तक कोर कमांडर स्तर की वार्ता से कुछ हद तक आक्रामक रुख नरम जरूर हुआ है, लेकिन पूरी तरह से आग बुझी नहीं है.  

सेनाप्रमुख जनरल एम. एम. नरवणो हाल ही में पूर्वी कमान के दौरे पर गए थे. उन्होंने तेजपुर में सेना के उच्च अधिकारियों से की गई चर्चा में देश की उत्तर पूर्वी सीमा की सुरक्षा तैयारियों का जायजा लिया.  फील्ड कमांडरों से विस्तार से बातचीत के बाद उन्होंने देश की सीमा पर तैनात सैनिक कमांडरों को आदेश दिए कि  वे किसी भी किस्म के बदलते हालात से निपटने के लिए पूरी तरह चौकस रहें.

इसके तुरंत बाद वे लखनऊ पहुंचे और यहां भी मध्य कमान के उच्च सैन्य कमांडरों से भारत चीन सीमा के मध्य क्षेत्र की तैयारी का अवलोकन किया. वायुसेना के उप प्रमुख हरजीत सिंह अरोरा ने भी लद्दाख के इलाके में भारतीय लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर से लेह से दौलत बेग ओल्डी का दौरा किया है. गलवान घाटी में हुई भिड़ंत के बाद सेना प्रमुख, वायुसेना प्रमुख, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री ने भी उत्तरी लद्दाख का दौरा किया था. असम और अरुणाचल प्रदेश में मौजूद सेना की चार कोर को हाई अलर्ट पर रखा
गया है.

भारतीय सेना प्रमुख जनरल नरवणो ने अपने बयान में कहा था कि चीन के साथ इस किस्म के गतिरोध इसलिए उठ खड़े होते हैं क्योंकि दोनों देशों की आपसी सीमा की सही जानकारी और समझ में फर्क है और यह जमीन पर हलचल पैदा करती है. भारतीय सेना अपनी ओर से स्थापित सैन्य तरीके से इस किस्म के गतिरोध को दूर करने की भरसक कोशिश करती रही है.

इस सब के बीच एक अन्य पहलू ने भी सब का ध्यान आकर्षित किया है. मई माह में चीन द्वारा हमारे इलाके में घुसपैठ किए जाने का ब्योरा सेना मुख्यालय की वेबसाइट पर दर्शाया गया था. अभी हाल में इस संपूर्ण ब्योरे को हटाया गया है. क्यों? इसके जवाब में अब तक कोई खुलासा नहीं मिला है. क्या हम यह चीन को दिखाना चाहते हैं कि कागजों पर भी हम चीनी सेना की हरकत को पीछे ले रहे हैं? अब चीन की मई माह की हरकत को सीमा उल्लंघन नाम दिया जा रहा है. पहले हमने इसे घुसपैठ नाम दिया था. मई की घुसपैठ को उल्लंघन नाम दिया जाना थोड़ा अजीब और विस्मयकारी है. आखिर उस संपूर्ण दस्तावेज को हटाने के पीछे भारत सरकार की क्या मंशा थी, यह रक्षा मंत्रलय ने अभी तक स्पष्ट नहीं किया है.

टकराव की स्थिति को 90 दिनों से ज्यादा समय हो गया है. क्या चीन यह मानकर चल रहा है कि आपस की बातचीत के दौर चलते रहेंगे और दोनो देशों के सैनिक सितंबर के बाद से शुरू हो रहे ठंडे मौसम में भी 16000 फुट की ऊंचाई पर अपने अपने इलाकों में अलर्ट पर बने रहेंगे? क्या यह लड़ाई की तैयारी लंबी नहीं होगी? इसका हल जल्द से जल्द निकालना जरूरी है, पर कैसे? दोनों देश के नेताओं का आमने-सामने  मिलना नामुमकिन है. शायद वीडियो कांफ्रेंस  से कोई मिलाप हो भी - पर क्या चाय पर दोबारा चर्चा करने के लिए दोनों देशों के प्रमुख एक दूसरे के सामने आएंगे? यह यक्ष प्रश्न है - लेकिन इसका हल खोजना जरूरी है, क्योंकि एक छोटी सी चिंगारी भी दोनों देशों को युद्ध की पराकाष्ठा तक ले जा सकती है.

Web Title: Sarang Thatte's blog: When will the deadlock end at the border with China?

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