संतोष देसाई का ब्लॉग: रजाई, सर्दियों का अनूठा रोमांच

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 17, 2019 09:44 PM2019-03-17T21:44:52+5:302019-03-17T21:44:52+5:30

रजाई से उपन्न होने वाली भावना सर्दियों में हमें गर्म रखने से भी कहीं आगे ले जाती है। वास्तव में, शायद एयर कंडीशनिंग द्वारा हमें दिया गया सबसे बड़ा वरदान यह है कि हम गर्मियों में भी रजाई के हल्के संस्करण का उपयोग जारी रख सकते हैं।

Santosh Desai's blog: razai, sardiyo ka anootha romanch | संतोष देसाई का ब्लॉग: रजाई, सर्दियों का अनूठा रोमांच

संतोष देसाई का ब्लॉग: रजाई, सर्दियों का अनूठा रोमांच

अब जब तक कि सर्दियां लगभग खत्म हो चुकी हैं, यह समय इसके प्राथमिक आकर्षणों के पुनरावलोकन का है। एक कप गर्म चाय के साथ रजाई के भीतर लेटे होने की खुशी क्या आपने अनुभव नहीं की है? रजाई हमारी खुद की गर्मी को फिर से प्रसारित करती है। कपास से बनी रजाई के बारे में तथ्य यह है कि आंतरिक रूप से गर्म रखने वाली इसके समान और कोई चीज नहीं है।

रजाई से उपन्न होने वाली भावना सर्दियों में हमें गर्म रखने से भी कहीं आगे ले जाती है। वास्तव में, शायद एयर कंडीशनिंग द्वारा हमें दिया गया सबसे बड़ा वरदान यह है कि हम गर्मियों में भी रजाई के हल्के संस्करण का उपयोग जारी रख सकते हैं। बेशक रजाई हमें गर्म महसूस कराती है, लेकिन इसका जादू शायद उस तरीके में निहित है जिससे यह गर्मी बनाती है। रजाई में जो हम चाहते हैं उसका सुराग उसके चचेरे भाई, कंबल से तुलना में निहित है। कंबल मूल रूप से जानवरों जैसा स्वरूप रखता है। हालांकि अस्पतालों में कंबल का इस्तेमाल किया जाता है, फौज में इसका प्रयोग किया जाता है और होस्टल में भी यही दिया जाता है, लेकिन कंबल एक घुसपैठिए की तरह महसूस होता है। अपनी खुरदरी सतह के साथ यह हमें हमेशा याद दिलाता रहता है कि हम इसकी सुरक्षा के भीतर हैं। कंबल हमें पिता के खुरदरे प्यार जैसा महसूस होता है जबकि रजाई हमें मातृवत कोमल स्नेह का अहसास देती है।

कंबल जहां हमारे शरीर के अंगों को अनुशासित ढंग से अलग-अलग रखता है, वहीं रजाई हमें अपने हाथ पैर मोड़कर इकट्ठे रखने की स्वतंत्रता देती है और हम कृतज्ञतापूर्वक उसके आगे आत्मसमर्पण कर देते हैं। रजाई मां की तरह हमें अपनी छत्रछाया प्रदान करती है जिसकी गोद में हम ठंडी दुनिया से बचे रह सकते हैं।

रजाई के भीतर हमारे और ब्रांड के बीच की सीमारेखा धुंधली हो जाती है और हम खुद को कालातीत और सार्वभौमिक महसूस करने के लिए स्वतंत्र होते हैं। कड़ाके की ठंड के बीच, जीवित रहने का विचार गर्म रहने के विचार का पर्याय बन जाता है। हमारे जैसे उष्ण कटिबंधीय देश में सर्दी की सुबहों में सूरज का इंतजार बेसब्री से किया जाता है। सर्दियों में धूप सेंकना सबसे आदिम प्रकार की खुशी होती है। लेकिन उन दिनों सूरज एक चंचल दोस्त होता है और उसकी गर्मी का हर समय भरोसा नहीं किया जा सकता। जबकि रजाई के भीतर हम जब चाहे, ठंडी से निजात पा सकते हैं। सूरज गर्मी पैदा करने की क्षमता रखता है, लेकिन रजाई हमसे ही गर्मी उधार लेकर हमें वापस लौटाती है। हमारी सांसों की गर्मी को ही वापस लौटाकर रजाई हमें अनूठा सुख प्रदान करती है।

Web Title: Santosh Desai's blog: razai, sardiyo ka anootha romanch

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे