विजय दर्डा का ब्लॉग: आखिर कौन है बलात्कार के आरोपी नित्यानंद का मददगार?
By विजय दर्डा | Published: March 6, 2023 09:12 AM2023-03-06T09:12:40+5:302023-03-06T09:14:19+5:30
खुद को भगवान बताने वाले भगोड़े नित्यानंद ने संयुक्त राष्ट्र की बैठक में अपने काल्पनिक देश कैलासा का प्रतिनिधि आखिर कैसे पहुंचा दिया? यह कोई छोटी घटना नहीं है. हिंदुस्तान को पूरी सख्ती के साथ इस मामले में संयुक्त राष्ट्र से जवाब तलब करना चाहिए. इसके साथ ही नित्यानंद को दबोच कर हिंदुस्तान लाना चाहिए, चाहे वो कहीं भी क्यों न छिपा हो!
एक युवा मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करता है. धीरे-धीरे स्वयं को एक संत के रूप में ढालने का ढोंग रचता है और एक दिन खुद को भगवान घोषित कर लेता है! उसके हजारों भक्त पैदा हो जाते हैं....जय जयकार होने लगती है. फिर आती है एक सीडी जिसमें दक्षिण भारत की एक मशहूर हीरोइन के साथ वह रतिबद्ध नजर आता है. देखते ही देखते शिकायतों की फेहरिस्त लंबी होने लगती है. वह गिरफ्तार होता है...छूट जाता है और इस देश से भाग खड़ा होता है...कुछ दिन बाद खबर आती है कि बाबा ने एक द्वीप खरीद लिया है. यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा नाम का एक नया देश बना लिया है. बात यहीं तक नहीं रुकती है. उसकी प्रतिनिधि यूनाइटेड नेशन की दो बैठकों में शामिल भी हो जाती है और सवाल भी करती है...!
ये जो बातें मैंने अभी आपको बताईं वो किसी फिल्मी कहानी का हिस्सा नहीं है! यह कहानी है हमारे ही देश के एक स्वघोषित भगवान नित्यानंद की! कोविड काल में बहुत सी पुरानी बातें हमारे जेहन से ओझल हो गई थीं. इनमें नित्यानंद भी था. किसी को उसकी कोई खबर नहीं थी और न कोई उसे याद कर रहा था. पिछले महीने यूनाइटेड नेशन की दो बैठकों के बाद नित्यानंद फिर से सुर्खियों में आ गया. 22 फरवरी को यूएन की कमेटी ऑन इलिमिनेशन ऑफ डिस्क्रिमिनेशन अगेंस्ट वीमेन (सीईडीएडब्ल्यू) ने निर्णायक पदों पर महिलाओं की भागीदारी को लेकर एक बैठक का आयोजन किया था.
दूसरी बैठक 24 फरवरी को विकास की दिशा को लेकर हुई. इन दोनों बैठकों में नित्यानंद के देश यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा की प्रतिनिधि के रूप में उसकी खूबसूरत महबूबा विजयप्रिया शामिल हुई. उसने अपना परिचय संयुक्त राष्ट्र में कैलासा की स्थाई राजदूत के रूप में दिया. विजयप्रिया ने नित्यानंद को हिंदू धर्म का सर्वोच्च गुरु बताया और पूछा कि कैलासा तथा नित्यानंद की प्रताड़ना रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?
विजयप्रिया ने बैठक के दौरान बहुत से महत्वपूर्ण लोगों के साथ तस्वीरें खिंचवाईं और उसे स्वघोषित देश कैलासा की वेबसाइट पर डाल कर वायरल भी कर दिया. जब हल्ला मचा तो संयुक्त राष्ट्र ने बस इतना कहा कि जिनेवा में हुए उसके दो कार्यक्रमों में एक भगोड़े भारतीय गुरु के काल्पनिक देश के प्रतिनिधि की बातों को वह नजरअंदाज करेगा क्योंकि उसका भाषण अप्रासंगिक था! सवाल यह है कि संयुक्त राष्ट्र की किसी बैठक में नित्यानंद की महबूबा विजयप्रिया पहुंची कैसे?
कहा जा रहा है कि वह एनजीओ के बहाने पहुंची लेकिन सवाल यह है कि बैठक में उसके नाम के आगे तो यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा साफ दिखाई दे रहा है! क्या बगैर किसी पंजीयन और जांच-पड़ताल के कोई व्यक्ति संयुक्त राष्ट्र की किसी सामान्य सी भी बैठक में भाग ले सकता है?
निश्चित रूप से विजयप्रिया को कहीं न कहीं से सहयोग मिला ही होगा. मैं आपको पिछले साल की एक घटना के बारे में बताता हूं. इसके बारे में ब्रिटेन के ही अखबार ‘द गार्डियन’ ने लिखा था कि नित्यानंद के प्रतिनिधियों ने हाउस ऑफ लॉर्ड्स की दिवाली पार्टी में हिस्सा लिया था. उनमें एक विजयप्रिया भी थी. उन दोनों को कंजर्वेटिव पार्टी के दो सांसदों ने न केवल आमंत्रित किया था, बल्कि उनका परिचय यूके, कनाडा और अन्य कई देशों के लिए कैलासा के राजदूत के रूप में करवाया था. उस घटना के बाद संयुक्त राष्ट्र की यह घटना सामने आई है. जाहिर है कि मददगार तो हैं! अब कौन मददगार है इसकी जांच भी होनी चाहिए क्योंकि नित्यानंद भारतीय कानून की नजर में एक भगोड़ा अपराधी है जिस पर बलात्कार व अपहरण जैसे संगीन आरोप हैं.
एक बड़ा सवाल यह भी है कि जमानत पर छूटने के बाद नित्यानंद हिंदुस्तान से भागा कैसे? निश्चित ही उसके पीछे कोई न कोई शक्ति रही होगी! हिंदुस्तान के प्रशासनिक हलकों में उसकी ताकत कैसी रही है, इसका एक उदाहरण दे रहा हूं. दक्षिण भारत के रहने वाले नित्यानंद पर दो बहनों के अपहरण का आरोप लगा था और कहा गया था कि उन बहनों को गुजरात के उसके आश्रम में रखा गया. एक महिला श्रद्धालु ने आरोप लगाया था कि नित्यानंद ने उससे बलात्कार किया.
कमाल देखिए कि जो पुलिस वाले नित्यानंद के खिलाफ बलात्कार और अपहरण की जांच कर रहे थे, उनके खिलाफ ही पॉक्सो कानून के तहत मामला दर्ज हो गया. आरोप यह था कि उन पुलिस वालों ने नित्यानंद के आश्रम के बच्चों को अश्लील सामग्री दिखाई! कितना अजीब तर्क है न! ऐसे में कोई पुलिस वाला नित्यानंद के खिलाफ कदम उठाने की हिम्मत कैसे करता? बड़े-बड़े नेता जिसके कदमों में सजदा करते हों, उसे कौन पकड़े? 2018 में उसके खिलाफ चार्जशीट भी फाइल हो गई थी, लेकिन 2019 में पुलिस ने माना कि वह गायब हो गया है! तब किसी को पता नहीं था कि वह आखिर गया कहां?
अचानक खबर आई कि भगोड़े नित्यानंद ने दक्षिणी अमेरिका के इक्वाडोर गणराज्य में एक द्वीप खरीदा है और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा नाम का देश स्थापित कर लिया है. इक्वाडोर के उत्तर में कोलंबिया, पूर्व और दक्षिण में पेरू तथा पश्चिम में प्रशांत महासागर है. इक्वाडोर ने तब इनकार करते हुए कहा था कि नित्यानंद को शरण नहीं दी है लेकिन माना जा रहा है कि नित्यानंद वहीं है. उसके कथित देश का अपना ध्वज, संविधान, बैंक और राष्ट्र चिह्न भी है! 2019 के बाद उसे देखा नहीं गया है लेकिन उसकी तस्वीरें, उसके प्रवचन कैलासा की वेबसाइट पर मौजूद हैं. बड़ा सवाल यह भी कि उसके पास पैसा कहां से आ रहा है?
संयुक्त राष्ट्र की बैठक में अपना प्रतिनिधि पहुंचाकर उसने अपनी ताकत दिखाने की कोशिश की है. अब यह बहुत जरूरी है कि हिंदुस्तान की ताकत भी उसे समझ में आए. यूएन से सख्ती से पूछा जाना चाहिए कि विजयप्रिया उसकी बैठकों में आखिर पहुंची कैसे? मुझे तो आश्चर्य हो रहा है कि नित्यानंद के प्रति आखिर सॉफ्ट कॉर्नर क्यों?
इसके साथ ही इस बात पर भी प्रशासनिक स्तर पर विचार होना चाहिए कि कोई भी बाबा, कोई अपराधी या आर्थिक तौर पर देश को लूटने वाला लुटेरा देश छोड़ कर भागने में सफल कैसे हो जाता है? हमारी एजेंसियां क्या कर रही होती हैं? इन सवालों का जवाब भी मिलना चाहिए और यह सुनिश्चित होना चाहिए कि कोई भी हिंदुस्तान को धोखा न दे पाए.