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राजिंदर सिंह महाराज का ब्लॉग: नववर्ष के उपलक्ष्य में लें यह संकल्प

By राजिंदर सिंह महाराज | Updated: January 1, 2020 09:20 IST

सकी समझ सही होगी, उसके विचार सही होंगे. जिसके विचार सही होंगे, उसके बोल सही होंगे. जिसके बोल सही होंगे, उसके कार्य सही होंगे. तो सही समझ होना बहुत जरूरी है.

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नया साल जब भी शुरू होता है तो बहुत से लोग संकल्प लेते हैं. कोई संकल्प एक दिन तक रखता है, कोई एक हफ्ते रखता है, कोई एक महीने के लिए रखता है और कोई-कोई होते हैं जो पूरे साल संकल्प बनाए रखते हैं.

हम सब अपनी-अपनी प्राथमिकता के आधार पर अपनी तरक्की व प्रगति के लिए नववर्ष संकल्प करते हैं. कुछ लोग प्रतिदिन व्यायाम का, कुछ ज्यादा मेहनत का, कुछ सुबह जल्दी उठने का, कुछ व्यावसायिक प्रगति का, जबकि कुछ शराब-सिगरेट छोड़ने का संकल्प लेते हैं. इन सभी के साथ हमें आध्यात्मिक प्रगति का भी संकल्प करना चाहिए. एक अच्छा, नेक, पवित्र और सदाचारी इंसान बनने के लिए भी प्रयत्न करना चाहिए. इसके लिए हमें बाहरी दुनिया में नहीं बल्कि अपने अंदर काम करना होगा, अपनी सोच व समझ को निखारना होगा.

हम लोग दुनिया को एक दृष्टिकोण से देखते हैं. जैसी हमारी समझ हो, जैसे संस्कार हों, जैसे-जैसे हमारी जिंदगी में कुछ ढला हो, वैसे- वैसे ही हमारी सोच बननी शुरू हो जाती है. तो उस तरह से हम सोचना और समझना शुरू कर देते हैं. कई बार आप किसी को मिलते हो. आपको लगता है ये इंसान सही नहीं. तो फिर आप उसी नजर से उनको देखना शुरू कर देते हो और ये भूल जाते हो कि उसमें  शायद कई चीजें अच्छी हों.

सोचने वाली बात यह है कि क्यों हम कुछ लोगों को पसंद नहीं करते, या क्यों कुछ लोग हमें पसंद नहीं करते? ये इसलिए क्योंकि हम अपने आसपास के लोगों का आकलन केवल अपनी भौतिक दृष्टि से करते हैं. हमें याद रखना चाहिए कि सब धर्मग्रंथ हमें यही समझाते हैं कि हम सभी पिता-परमेश्वर की संतान हैं. हमें जब ये अहसास हो जाएगा कि जो प्रभु की शक्ति हममें काम कर रही है, वही दूसरे मनुष्यों में, जानवरों में और पेड़-पौधों में भी है, तब हम सबको अपना समझने लगेंगे. हमारी संवेदनशीलता बढ़ जाएगी, हमारी सोच व समझ सही मायने में बढ़ जाएगी.

जिसकी समझ सही होगी, उसके विचार सही होंगे. जिसके विचार सही होंगे, उसके बोल सही होंगे. जिसके बोल सही होंगे, उसके कार्य सही होंगे. तो सही समझ होना बहुत जरूरी है. इस नववर्ष में अपनी संपूर्ण प्रगति के लिए आध्यात्मिक संकल्प भी करना चाहिए कि हम रोजाना भजन-अध्ययन में समय दें ताकि हमारी सोच व समझ विकसित हो सके व हमें एक अच्छा, नेक, पवित्र और सदाचारी इंसान बनने में मदद मिले. 

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