जीएसपी: अमेरिका से प्रभावित होंगे संबंध?

By Rahees Singh | Updated: March 11, 2019 07:25 IST2019-03-11T07:25:19+5:302019-03-11T07:25:19+5:30

Rahees singh blog : GSP Will America be affected? | जीएसपी: अमेरिका से प्रभावित होंगे संबंध?

जीएसपी: अमेरिका से प्रभावित होंगे संबंध?

नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस पूरे कार्यकाल में अमेरिका को हरसंभव खुश रखने की कोशिश की लेकिन अमेरिकी प्रशासन अंतत: अपना असली चेहरा प्रकट करता हुआ दिख रहा है. इस दृष्टि से मोदी सरकार वैदेशिक, विशेषकर अमेरिका के मोर्चे पर थोड़ी लड़खड़ाती दिख रही है, जिसे संभालने की जरूरत होगी. 

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत को मिले जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रीफरेंसेज (जीएसपी) दज्रे के साथ तरजीही कारोबार खत्म करने के लिए हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव को एक पत्र लिखा है. इस पत्र में उन्होंने भारत के साथ बढ़ते व्यापार घाटे का हवाला देते हुए यह कदम उठाने की बात कही है. ट्रम्प का कहना है कि भारत अपने बाजार में अमेरिका को बराबर और उचित भागीदारी देने को लेकर आश्वस्त करने में विफल रहा है.  

अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की स्पीकर नैंसी पैलोसी को लिखे इस पत्र में ट्रम्प ने कहा कि मैं यह कदम इसलिए उठाने जा रहा हूं क्योंकि भारत सरकार के साथ कई स्तर पर बातचीत के बाद यही निष्कर्ष निकल पाया है कि उसके साथ तरजीही कारोबार को खत्म किया जाए. उनका कहना है कि नई दिल्ली यह आश्वासन देने में विफल रही है कि अमेरिका को उसके बाजार में बराबर का मौका मिलेगा. भविष्य में हम भारत के जीएसपी दज्रे का विश्लेषण करते रहेंगे. ध्यान रहे कि नोटिफिकेशन जारी होने के एक महीने बाद यानी मई से यह नया कानून लागू हो जाएगा.

अब सवाल यह उठता है कि क्या इससे भारत के व्यापार संतुलन पर कोई खास नकारात्मक असर पड़ेगा या नहीं? 
केंद्रीय वाणिज्य सचिव अनूप वधावन का कहना है कि भारत का जीएसपी दर्जा खत्म होने से भारतीय निर्यात पर बहुत अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा. उनके अनुसार भारत ने वर्ष 2017-18 में अमेरिका को 48 अरब डॉलर मूल्यों के उत्पादों का निर्यात किया था जिनमें से सिर्फ 5़ 7 करोड़ डॉलर का निर्यात जीएसपी रूट के जरिए हुआ है.

जीएसपी रूट से हुए व्यापार में 1़ 90 करोड़ डॉलर कीमत की वस्तुएं ही बिना किसी शुल्क वाली श्रेणी में आती हैं. इससे साफ जाहिर है कि अमेरिका के इस फैसले का भारत पर बेहद मामूली असर होगा. वाणिज्य सचिव की बात अपनी जगह सही हो सकती है लेकिन यहां कुछ तथ्य हैं- पहला तथ्य यह है कि क्या अमेरिका को इससे कोई लाभ होने जा रहा है? यदि नहीं तो अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है?

यदि उसे लाभ मिल रहा है तो संगत अनुपात में भारत को हानि होगी. दूसरी बात यह है कि यदि इससे अमेरिका को आर्थिक लाभ नहीं मिल रहा है तब तो यह देखने की जरूरत और है कि फिर अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है? फिर तो इसका कूटनीतिक महत्व अवश्य होगा? ऐसे में चिंता करने योग्य बात यह है कि जो भारत और अमेरिका अब तक स्वाभाविक मित्र होने का दावा करते रहे अब वे इस छोटे से मोर्चे पर विपरीत दिशीय होते क्यों दिखना चाह रहे हैं ?

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