प्रकाश जावड़ेकर का ब्लॉग: वीआईपी कल्चर मिटाने का संदेश

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 28, 2019 06:59 AM2019-05-28T06:59:33+5:302019-05-28T06:59:33+5:30

संसद के सेंट्रल हॉल में जो भाषण मोदीजी ने नेता चुने जाने के बाद एनडीए के सांसदों के सामने दिया वह प्रधानमंत्नी की दूरदर्शिता, देश के लिए उनका विजन, लोगों पर उनका अमिट विश्वास और लोकतंत्न के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दर्शाता है. मोदी जी ने उसमें चार प्रमुख नए विचार दिए. 

Prakash Javadekar blog: Message to erase VIP culture | प्रकाश जावड़ेकर का ब्लॉग: वीआईपी कल्चर मिटाने का संदेश

प्रकाश जावड़ेकर का ब्लॉग: वीआईपी कल्चर मिटाने का संदेश

 2019 के ऐतिहासिक चुनाव के बाद तीन दिनों में प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने अपनी दूरदृष्टि का परिचय देने वाले तीन भाषण दिए. पहला उद्बोधन मंत्रिमंडल बैठक में उन्होंने किया. मोदीजी ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक जीत है. यह जनता द्वारा लड़ा हुआ चुनाव है. यह सकारात्मक मतदान है. परफार्मेस को दिया वोट है और जाति नहीं, काम के आधार पर यह सरकार दुबारा आई है. 

जिस दिन निर्णय घोषित हुए, उसी दिन शाम को पार्टी दफ्तर में मोदीजी ने कहा कि दशकों के बाद दोबारा पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. यह भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता का परिचायक है. यह गरीबों को समर्पित सरकार है, ऐसा 2014 में उन्होंने कहा था और आज उसी गरीब समुदाय ने इस बार इतना भारी ऐतिहासिक बहुमत दिया. समाज के सभी वर्गो का साथ मिला. 

संसद के सेंट्रल हॉल में जो भाषण मोदीजी ने नेता चुने जाने के बाद एनडीए के सांसदों के सामने दिया वह प्रधानमंत्नी की दूरदर्शिता, देश के लिए उनका विजन, लोगों पर उनका अमिट विश्वास और लोकतंत्न के प्रति उनकी प्रतिबद्धता दर्शाता है. मोदी जी ने उसमें चार प्रमुख नए विचार दिए. 

पहला विचार यह कि हमें ‘सबका साथ, सबका विकास’ करना है ही, लेकिन इसी घोषणा का उन्होंने और विस्तार करते हुए बताया ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’. इसको स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि अनेक दशकों तक अल्पसंख्यक समुदाय को, एक डर का माहौल पैदा करके अनेक पार्टियों ने उनका वोट बैंक की तरह उपयोग किया. अब इन पांच वर्षो में हमारा लक्ष्य रहेगा हर एक का विश्वास संपादन करना, विश्वास अर्जित करना, उसका दिल जीतना काम के आधार पर, संपर्क के आधार पर.  ‘सबका साथ, सबका विकास’ होगा, लेकिन सबका विश्वास पाना यह हमारा प्रमुख काम आने वाले 5 साल में रहेगा. 

फिर उन्होंने दूसरी एक कल्पना दी. भाजपा को खुद का बहुमत मिला है, फिर भी हमारी सरकार एनडीए के सभी साथियों को साथ लेकर बनेगी, क्योंकि ‘प्रादेशिक अस्मिता और राष्ट्रीय महत्वकांक्षा’ ये एक नई कल्पना उन्होंने देश के सामने रखी. यह उनकी संघ-राज्य पद्धति के बारे में प्रतिबद्धता को दर्शाती है. और उसके आगे वह हमेशा यह कहते हैं कि सरकार बहुमत से आती है, लेकिन देश सबको साथ लेकर चलाना होता है. 

तीसरा एक बहुत बड़ा सूत्न उन्होंने दिया- अब ‘सत्ताभाव नहीं सेवाभाव’ चाहिए  और सेवाभाव में  वीआईपी कल्चर को खत्म करना है. नए जनप्रतिनिधियों को उन्होंने जो आवश्यक मार्गदर्शन जरूरी था वह किया. कहा कि ‘सत्ताभाव नहीं चाहिए, गुरूर नहीं चाहिए, अहंकार कभी नहीं स्पर्श करना चाहिए. लाल बत्ती की गाड़ी पर लगी लाल बत्ती हमने खत्म की. उसका संदेश बहुत महत्वपूर्ण है कि हम वीआईपी कल्चर को तवज्जो नहीं देते. 

उन्होंने पहले ही 2014 के चुनाव के बाद खुद को  प्रधानमंत्नी  नहीं ‘प्रधान सेवक’ कहा था. सारे सांसद भी एक तरह से जनसेवक हैं, यही वह बताना चाहते हैं. समाज के साथ व्यवहार करते समय ‘ममता और समता’ चाहिए. ‘ममभाव और समभाव’ चाहिए. सबको एक नजर से देखें व सबके साथ ममत्व से सारा व्यवहार हो ये उनकी कल्पना है, इसलिए ये उद्बोधन बहुत महत्वपूर्ण हैं.

चौथा सूत्न मोदीजी ने कहा ‘जनभागीदारी’. 2014 से मोदीजी का जोर जनभागीदारी पर है. स्वच्छ भारत अभियान इसका उदाहरण है. स्वच्छ भारत केवल सरकारी कार्यक्रम नहीं रहा, जन आंदोलन बन गया. महिलाओं ने अनेक जगह शौचालय को  इज्जतघर  नाम दिया. सरकार के सभी कार्यक्रमों में जनभागीदारी हो, समाज में सरकारी योजना को अपनाकर उसका सही अमल हो, इसके लिए जागरूक रहें, यह कल्पना है. 

इस चुनाव में सामान्य जनता ने अपने इरादे को अपनी भाषा में बहुत खूबी से रखा. जनता ईमानदारी देखती है. रोज मजदूरी करने वाला, माल ढुलाई करने वाला एक कुली मुङो राजस्थान में मिला. उसने कहा मोदीजी को वोट हम इसलिए देंगे कि न घर-बार न परिवार, 24 घंटे काम करते हैं, एक दिन की छुट्टी नहीं लेते. ऐसा ही ईमानदार प्रधानमंत्नी हमें चाहिए. एक गरीब किसान महिला ने कहा कि वह गरीबी से आए हैं इसलिए गरीब की सोचते हैं. 

मुङो लगता है कि जीत के साथ-साथ जो संदेश उन्होंने दिया है वो देश की दूरगामी राजनीति वह कैसे चलाना चाहते हैं, इसका परिचायक है. इन तीन भाषणों को सुनने के बाद सेक्युलरिज्म की बात करने वाले, लिबरल बुद्धिवादी और तथाकथित प्रागतिक विचार करने वाले समझ जाएंगे कि मोदीजी की दृष्टि उनसे कहीं ज्यादा सर्वसमावेशी, बहुसांस्कृतिक एवं 21वीं सदी की भावनाओं को समझने वाली है.

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