प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: मोदी सरकार के लिए आगामी सौ दिन ज्यादा चुनौतीपूर्ण
By Prakash Biyani | Published: September 11, 2019 07:30 AM2019-09-11T07:30:03+5:302019-09-11T07:32:48+5:30
मोदी सरकार को स्पष्ट और मजबूत बहुमत मिला है. प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी निर्णय लेते हैं, जोखिम उठाते हैं. उम्मीद करें कि आगामी सौ दिनों में भी वे दृढ़ता से फैसले लेंगे और उन्हें लागू करेंगे.
मोदी सरकार-2 के 100 दिनों के कामकाज का भाजपा खूब बखान कर रही है. निस्संदेह इन 100 दिनों में तीन तलाक कानून, अनुच्छेद 370 और 35ए हटाना, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का अकेला पड़ना या संसद का कामकाजी सत्न बड़ी उपलब्धि है, पर आगामी 100 दिन सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होंगे. ये देश की दशा और दिशा तय करेंगे
जम्मू और लेह लद्दाख में अनुच्छेद 370 और 35ए हटने पर उत्सव हो रहा है, पर कश्मीर वादी के बाशिंदों ने अभी खुलकर अपने मन की बात नहीं कही है. यह सच है कि प्रतिबंधों के कारण वहां पहले जैसी हिंसा नहीं हुई है. भारत सरकार पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव है कि कश्मीर से प्रतिबंध हटाए.
सरकार की मंशा है कि इसके पहले वादी के बाशिंदों को समझाया जाए कि देश की मुख्य धारा से जुड़ेंगे तो उनके दिन बदल जाएंगे. लोकल लीडरशिप, अलगाववादियों और पाकिस्तान ने अब तक उन्हें छला है. पाकिस्तान सीमा पार आतंकवादियों को भर्ती कर रहा है, उन्हें ट्रेंड कर रहा है. तदनुसार इस आशंका को नकारा नहीं जा सकता कि भारतीय फौज को एक बार फिर एयर स्ट्राइक करनी पड़े जो इस बार पहले जैसी आसान नहीं होगी. एयर स्ट्राइक आमने- सामने के युद्ध में बदल सकती है.
इस युद्ध का मुद्दा पाक अधिकृत कश्मीर होगा जिससे चीन का हित जुड़ा हुआ है. लेह लद्दाख को केंद्र शासित राज्य बनाने से चीन पहले ही रुष्ट है. स्पष्ट है कि अनुच्छेद 370 और 35ए के हटाने के आफ्टर इफेक्ट्स का मोदी सरकार-2 को आगामी 100 दिनों में मुकाबला करना है.
इन दिनों की दूसरी बड़ी चुनौती है देश की अर्थव्यवस्था. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी 5 फीसदी से भी कम ग्रो हुई है. यह पिछले छह वर्षो की सबसे कम वृद्धि दर है. ऑटोमोबाइल, रियल इस्टेट सेक्टर, एफएमसीजी सेक्टर मंदी की गिरफ्त से निकल नहीं पा रहे हैं.
मार्केट में नगदी की भारी कमी है. शेयर मार्केट एक दिन उछलता है तो दूसरे दिन टपक जाता है. सरकारी राजस्व की वसूली अपेक्षा से कम हो रही है. चालू खाते का घाटा बढ़ रहा है. डॉलर महंगा हो रहा है. फायनेंशियल सेक्टर ट्रैक से उतर गया है. वित्त मंत्नालय ने पिछले दिनों इन सबसे उबरने के लिए कई निर्णय लिए हैं.
रिजर्व बैंक ने ब्याज दरें घटाई हैं. विदेशी निवेशकों पर सरचार्ज वापस ले लिया है. सरकार ने बैंकों का मेगा मर्जर प्लान लांच किया है. पर क्या इन उपायों से मार्केट में लिक्विडिटी बढ़ेगी या यह सब मरहम पट्टी है, सर्जरी नहीं, जिसकी देश को सख्त जरूरत है.