पीयूष पांडे का ब्लॉग: कोरोना रिटर्न्‍स बनाम जान का फुर्र होना

By पीयूष पाण्डेय | Published: March 13, 2021 01:33 PM2021-03-13T13:33:21+5:302021-03-13T13:36:05+5:30

जिस तरह आलाकमान से टिकट न मिलने पर कुछ नेता उनके दरवाजे भूख हड़ताल की धमकी देते हैं, वैसे ही कोरोना ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ पर अटक गया है.

Piyush Pandey's blog: Corona Returns vs. Life's Failure | पीयूष पांडे का ब्लॉग: कोरोना रिटर्न्‍स बनाम जान का फुर्र होना

सांकेतिक तस्वीर (फाइल फोटो)

जिस तरह कई घरों में बेशर्म मेहमान एक बार घुस आने के बाद जाने का नाम नहीं लेते, वैसे ही कोरोना जाने का नाम नहीं ले रहा है.

एक साल में जाने कौन-कौन कहां-कहां चला गया, लेकिन कोरोना वहीं का वहीं है. अमेरिका में भयंकर बवाल कर डोनाल्ड ट्रंप साहब चले गए. उत्तराखंड में बिना किसी को भनक लगे त्रिवेंद्र सिंह रावत कुर्सी छोड़ गए.

बंगाल में सैकड़ों तृणमूल नेता बीजेपी में चले गए. हाल ये है कि कुछ दिन बाद बीजेपी में एक बंगाल तृणमूल यूनिट होगी. क्रिकेट टीम टेस्ट रैंकिंग में नंबर-एक पर पहुंच गई.

सेंसेक्स 50 हजारी हो गया. लेकिन कोरोना जस का तस. पिछले साल कोरोना आया था तो लोगों को लगा था कि होली खेलकर चला जाएगा लेकिन वो फिर होली खेलने पर आमादा है.

कोरोना वायरस ने इतने दिन टिककर अपनी इज्जत गंवाई है. एक लिहाज से लोग भी बेशर्म हो गए हैं. कोई नई बीमारी आई होती तो भी कोई बात थी. लोग उसका सम्मान कर उससे थोड़ा डरते. उन्हें लगता कि कुछ नया हो रहा है जीवन में.

लोगों को भी आदत है बदल-बदल कर चीजें ट्राई करने की. इन दिनों मियां-बीवी को छोड़कर बंदा हर चीज बदलने को उत्सुक है. या कहें कि मियां-बीवी को बदलने में कानूनबाजी बहुत है इसलिए लोग इस स्वप्न को स्वप्न मानकर स्थगित रखते हैं. वरना, चीजें बदलना अब एक फैशन है.

लोग हर साल तीन मोबाइल फोन बदलते हैं. एक जमाना था, जब बंदा जीवन में एक कार खरीद ले तो खुद को धन्य समझता था, लेकिन आजकल हर तीसरे चौथे साल कार खरीदने पहुंच जाता है. कुछ लोग नौकरी बदलने का शौक रखने लगे हैं, और कुछ घर.

हमारे जमाने में एक गर्लफ्रेंड होना किस्मत की बात थी लेकिन आजकल युवा लिव-इन में रहकर गर्लफ्रेंड-ब्वायफ्रेंड ट्राई करते हैं.लेकिन कोरोना अव्वल दर्जे का न केवल बदतमीज है बल्कि पॉलिटिक्स कर रहा है. बार-बार जाते-जाते लौट रहा है.

जिस तरह आलाकमान से टिकट न मिलने पर कुछ नेता उनके दरवाजे भूख हड़ताल की धमकी देते हैं, वैसे ही कोरोना ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ पर अटक गया है. मुंबई में तो समुंदर है. चाहे तो वहीं से बोट पर बैठकर निकल सकता है. आखिर, जब कसाब एंड टीम बोट पर बैठकर पाकिस्तान से आ सकती है तो कोरोना जा क्यों नहीं सकता? लेकिन, नहीं.

बहरहाल, कोरोना जब तक नहीं जा रहा, आप भी ज्यादा इधर-उधर मत जाइए. धन लुट जाए तो वापस मिल सकता है. जेब में पैसा हो तो आजकल गई इज्जत भी वापस आने लगी है. लेकिन, शरीर से आत्मा फुर्र हो जाए तो उसे पकड़कर लाने वाली कोई मशीन अभी तक नहीं बनी.

Web Title: Piyush Pandey's blog: Corona Returns vs. Life's Failure

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