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वेदप्रकाश वैदिक का ब्लॉग, जासूसी मामले के दूसरे पहलू को भी देखें

By वेद प्रताप वैदिक | Updated: July 22, 2021 14:40 IST

विदेशी सरकारें हमारी जासूसी करें, यह तो समझ में आता है लेकिन हमारी अपनी सरकारें जब यह करती हैं तो लगता है कि या तो वे बहुत डरी हुई हैं या फिर वे लोगों को डरा-धमकाकर अपनी दादागीरी कायम करना चाहती हैं।

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ठळक मुद्देजो कुछ सैटेलाइट और सूक्ष्म कैमरों से रिकॉर्ड कर सकते हैं, उससे ज्यादा पेगासस जैसे संयंत्रों से किया जा सकता है। विदेशी सरकारें हमारी जासूसी करें तो समझ आता है लेकिन हमारी सरकारें जब यह करें तो लगता है कि वे डरी हुई हैं।जासूसी सघन और सर्वव्यापक हो जाए तो एक फायदा यह हो कि चोरी-छुपे गलत काम करने वाले वैसा करना बंद कर दें। 

सरकारी जासूसी को लेकर आजकल भारत और दुनिया के कई देशों में जबर्दस्त हंगामा मच रहा है। पेगासस के संयंत्र से जैसी जासूसी आजकल होती है, वैसी जासूसी की कल्पना पुराने जमाने में नहीं कर सकते थे। लेकिन जासूसी होती थी और कई-कई तरीकों से होती थी। जिनकी जासूसी होती थी, उनके पीछे लोगों को दौड़ाया जाता था, उनकी बातों को चोरी-छिपे सुना जाता था, उनके घरेलू नौकरों को पटाया जाता था, उन्हें फुसलाने के लिए वेश्याओं का इस्तेमाल भी किया जाता था।

आजकल जासूसी करना बहुत आसान हो गया है। जिसकी जासूसी करना हो उसके कमरे में, उसके कपड़ों पर या उसकी चीजों पर माइक्रोचिप फिट कर दीजिए। आपको सब-कुछ मालूम पड़ जाएगा। टेलीफोन को टेप करने की प्रथा तो सभी देशों में उपलब्ध है, लेकिन आजकल मोबाइल फोन सबका प्राणप्रिय साधन बन गया है। माना जाता था कि जो कुछ व्हाट्सएप्प पर बोला जाता है, वह टेप नहीं किया जा सकता। इसी प्रकार ई-मेल की कुछ सेवाओं के बारे में ऐसा ही विश्वास था लेकिन अब इजराइल पेगासस-कांड ने यह भ्रम भी दूर कर दिया है। जो कुछ सैटेलाइट और सूक्ष्म कैमरों से रिकॉर्ड किया जा सकता है, उससे भी ज्यादा पेगासस-जैसे संयंत्रों से किया जा सकता है। पेगासस को लेकर दुनिया के दर्जनों देश आजकल परेशान हैं। कई राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी इसकी पकड़ में जकड़ गए हैं।

आज से 52 साल पहले जब मैं पहली बार विदेश गया तो हमारे राजदूत ने पहले ही दिन जासूसी से बचने की सावधानियां मुझे बताईं। अपनी दर्जनों विदेश-यात्राओं में मुझे जासूसी का सामना करना पड़ा। अमेरिका, रूस, चीन, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में एक से एक मजेदार अनुभव हुए। मेरे घर आने वाले विदेशी नेताओं और राजदूतों की होनेवाली जासूसी भी हमने देखी। 

विदेशी सरकारें हमारी जासूसी करें, यह तो समझ में आता है लेकिन हमारी अपनी सरकारें जब यह करती हैं तो लगता है कि या तो वे बहुत डरी हुई हैं या फिर वे लोगों को डरा-धमकाकर अपनी दादागीरी कायम करना चाहती हैं। ऐसा करना नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों का हनन है, लेकिन यदि जासूसी सघन और सर्वव्यापक हो जाए तो उसका एक फायदा शायद यह भी हो कि जो लोग चोरी-छुपे गलत काम करते हैं वे वैसा करना बंद कर दें। उन्हें पता रहेगा कि उनका कोई गलत काम, अनैतिक या अवैधानिक, अब छिपा नहीं रह पाएगा।

टॅग्स :पेगासस स्पाईवेयरभारत
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