पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: कछुओं को बचाने की चुनौती

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: April 3, 2020 11:20 AM2020-04-03T11:20:06+5:302020-04-03T11:20:06+5:30

समुद्र में अवैध रूप से मछलीमारी कर रहे श्रीलंका, थाईलैंड के ट्रालर तो इन कछुओं के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं और वे खुलेआम इनका शिकार भी करते हैं.

Pankaj Chaturvedi's blog: the challenge of saving turtles | पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: कछुओं को बचाने की चुनौती

पंकज चतुर्वेदी का ब्लॉग: कछुओं को बचाने की चुनौती

हर साल नवंबर-दिसंबर से लेकर अप्रैल-मई तक ओडिशा के समुद्र तट एक ऐसी घटना के साक्षी होते हैं, जिसके रहस्य को सुलझाने के लिए दुनियाभर के पर्यावरणविद् और पशुप्रेमी बैचेन हैं. हजारों किलोमीटर की समुद्री यात्र कर ओलिव रिडले नस्ल के लाखों कछुए यहां अंडे देने आते हैं. इन अंडों से निकले कछुए के बच्चे समुद्री मार्ग से फिर हजारों किलोमीटर दूर जाते हैं. यही नहीं ये शिशु कछुए लगभग 30 साल बाद जब प्रजनन के योग्य होते हैं तो ठीक उसी जगह पर अंडे देने आते हैं, जहां उनका जन्म हुआ था.

वैसे तो ये कछुए समुद्र में गहराई में तैरते हैं, लेकिन चालीस मिनट के बाद इन्हें सांस लेने के लिए समुद्र की सतह पर आना पड़ता है और इसी समय ये मछली पकड़ने वाले ट्रालरों की चपेट में आ जाते थे. समुद्र में अवैध रूप से मछलीमारी कर रहे श्रीलंका, थाईलैंड के ट्रालर तो इन कछुओं के सबसे बड़े दुश्मन होते हैं और वे खुलेआम इनका शिकार भी करते हैं. सरकार का आदेश है कि समुद्र तट के 15 किलोमीटर इलाके में कोई ट्रालर मछली नहीं मार सकता, लेकिन इस कानून के क्रियान्वयन का जिम्मा लेने को कोई सरकारी एजेंसी राजी नहीं है.

वीरान द्वीपों से स्वाद के लिए अंडे चुराने वालों पर स्वयंसेवी संस्थाएं काफी हद तक नियंत्रण कर चुकी हैं, लेकिन कछुओं के आवागमन के समुद्री मार्ग पर इनके अवैध शिकार को रोकने की कोई माकूल व्यवस्था नहीं हो पाई है. फिलहाल तो प्रकृति के लिए यह बड़ा अवसर है कि एक दुर्लभ प्रजाति के जीव को कोरोना वायरस त्रसदी के कारण अपने नैसर्गिक परिवेश में फलने-फूलने का अवसर मिल रहा है लेकिन यह खतरा भी सामने खड़ा है कि 15 मई के बाद जब इन अंडों से निकले लाखों कछुए समुद्र में उतरेंगे और तब तक विश्व कोरोना के संकट से उबर जाएगा, तब इनमें से कितनों को बचाया जा सकेगा.


कछुए जल-पारिस्थितिकी के संतुलन में अहम भूमिका निभाते हैं, वैसे भी ओलिव रिडले कछुए प्रकृति की चमत्कारी नियामत हैं. अभी उनका रहस्य अनसुलझा है. मानवीय लापरवाही से यदि इस प्रजाति पर संकट आ गया तो प्रकृति पर किस तरह की विपदा आएगी? इसका किसी को अंदाजा नहीं है .

Web Title: Pankaj Chaturvedi's blog: the challenge of saving turtles

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