कभी सफल नहीं हो सकती पाकिस्तान की नापाक साजिशें

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 15, 2023 11:46 AM2023-09-15T11:46:16+5:302023-09-15T11:47:04+5:30

सन् 1947 में विभाजन के बाद से ही कश्मीर पर पाकिस्तान की बुरी नजर रही है। कश्मीर के तत्कालीन राजा हरिसिंह ने अपनी विरासत का भारत में विलय कर दिया था लेकिन पाकिस्तान को उनका यह फैसला रास नहीं आया।

Pakistan's nefarious conspiracies can never succeed | कभी सफल नहीं हो सकती पाकिस्तान की नापाक साजिशें

कभी सफल नहीं हो सकती पाकिस्तान की नापाक साजिशें

जम्मू-कश्मीर में बुधवार को आतंकवादियों की नापाक हरकत को विफल करते हुए सेना और पुलिस के पांच जांबाजों ने अपने प्राणों का बलिदान कर दिया। यह शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। इन वीरों की शहादत पाकिस्तान के लिए स्पष्ट संदेश है कि भारत का एक-एक जवान देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर करने से पीछे नहीं हटता और कश्मीर को हड़पने की पड़ोसी मुल्क की कोई भी साजिश कभी सफल नहीं होगी। भारत माता की रक्षा के लिए शहीद पांचों सपूतों की शहादत भारतीय जवानों के बलिदानों की अप्रतिम शौर्य गाथा की गौरवशाली विरासत को आगे बढ़ाती है। बुधवार को जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ का प्रयास कर रहे आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में सेना के एक कर्नल, मेजर रैंक के एक अधिकारी, एक डीएसपी तथा दो सैन्य जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी।

 सन् 1947 में विभाजन के बाद से ही कश्मीर पर पाकिस्तान की बुरी नजर रही है। कश्मीर के तत्कालीन राजा हरिसिंह ने अपनी विरासत का भारत में विलय कर दिया था लेकिन पाकिस्तान को उनका यह फैसला रास नहीं आया। 1947 से पाकिस्तान लगातार युद्ध, घुसपैठ और आतंकवाद के जरिये कश्मीर को हड़पने की साजिश रचता रहा लेकिन विफल रहा। कश्मीर उसके हाथ कभी आएगा भी नहीं लेकिन अपनी भारत विरोधी हरकतों पर पाकिस्तान ने इस तरह धन तथा देश के अन्य संसाधन बर्बाद किए कि आज वह अपने अस्तित्व के लिए जूझ रहा है। एक ओर भारत दुनिया में डंका बजा रहा है, वहीं पाकिस्तान पर आतंकवाद का पोषक होने का ठप्पा लग गया है। कश्मीर के लिए पाकिस्तान ने भारत से 1965, 1971 में युद्ध लड़े और अपने दो टुकड़े करवा लिए। पाकिस्तान से अलग होकर बना 52 साल पुराना देश बांग्लादेश आर्थिक समृद्धि की राह पर चल रहा है। युद्ध से कश्मीर को हासिल करने में विफल होने के बाद पाकिस्तान ने आतंकवाद के जरिये अपनी हसरत को पूरा करना चाहा लेकिन 1999 में उसे कारगिल में भी मुंह की खानी पड़ी। कश्मीर में आतंकवादियों की जड़ें उखड़ गई हैं।

 एक वक्त आतंकवाद के खौफ से गुजर रहा कश्मीर अब एक बेहद सुरक्षित राज्य बन गया है। राज्य में सैलानियों की लगातार बढ़ती संख्या इसका प्रमाण है। पाकिस्तान का यह दावा खोखला है कि कश्मीर की जनता उसके साथ रहना चाहती है। पाकिस्तान ने कश्मीर के जिस हिस्से पर धोखे से कब्जा कर लिया था, वहां की जनता भी अब भारत के साथ जुड़ना चाहती है क्योंकि पाकिस्तान ने उसके विकास की घोर उपेक्षा की। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोग जम्मू-कश्मीर में विकास देखकर चकित हैं और उनके मन में यह भावना पनपती जा रही है कि भारत के साथ जुड़ने से उनका विकास तेजी से हो सकता है। कश्मीर में बुधवार को पांच जवानों की शहादत के बाद राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला तथा महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान से बातचीत की वकालत कर रहे हैं। महबूबा मुफ्ती शायद भूल गईं कि उनकी बहन को पाकिस्तान परस्त आतंकवादियों ने ही बंधक बना लिया था और उन्हें छुड़ाने के लिए भारत को बहुत बड़ी कुर्बानी देनी पड़ी थी। पाकिस्तान की ओर भारत ने हमेशा दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तो सदाशयता दिखाते हुए पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के घर विवाह समारोह में शामिल हुए थे। इसके बावजूद पाकिस्तान ने पीठ में छुरा घोंपने का ही काम किया। डॉ। अब्दुल्ला तथा महबूबा शांति स्थापना के भारत के प्रयासों से अनजान नहीं हैं। उन्होंने यह भी देखा है कि पकिस्तान किस तरह विश्वासघात करता आया है। इसके बावजूद जवानों की शहादत को सलाम करने के बजाय पाकिस्तान के साथ बातचीत की वकालत करना दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर वे यह समझते हैं कि ऐसी मांग कर वे कश्मीर की जनता की सहानुभूति बटोर लेंगे तो वे गलतफहमी में हैं। कश्मीर की जनता चाहती है कि पाकिस्तान को उसकी नापाक हरकतों का सर्जिकल स्ट्राइक की तरह करारा जवाब दिया जाए। भारत के जांबाज सैनिक और देश का हर नागरिक पाकिस्तान या अन्य किसी पड़ोसी की नापाक हरकतों को कुचल देने के लिए सतर्क और हर तरह की कुर्बानी देने को तैयार है। पाकिस्तान समझदारी से काम ले तो ठीक, वरना भारत से टकराने पर उसका अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है।

Web Title: Pakistan's nefarious conspiracies can never succeed

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