राजेश बादल का ब्लॉग: आत्मघाती फैसले बर्बाद कर देंगे पाकिस्तान को!

By राजेश बादल | Published: February 26, 2019 06:54 AM2019-02-26T06:54:07+5:302019-02-26T06:55:05+5:30

पाकिस्तान में हुकूमत के खिलाफ बरसों से दबा गुस्सा अब भड़कने लगा है. लोग अपने देश में गरीबी, बदहाली, महंगाई, बेरोजगारी और आतंकवाद के लिए फौज व आईएसआई को खुल्लमखुल्ला जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.

Pakistan is doing suicide by itself | राजेश बादल का ब्लॉग: आत्मघाती फैसले बर्बाद कर देंगे पाकिस्तान को!

राजेश बादल का ब्लॉग: आत्मघाती फैसले बर्बाद कर देंगे पाकिस्तान को!

किससे तू जंग छेड़ता, कुछ गौर से तो देख/ है दुश्मनों की फौज तेरे घर में छिपी हुई.

इन दिनों पाकिस्तान की हालत कुछ ऐसी ही है. इस आलेख में आज कोई विश्लेषण नहीं और कोई तर्क नहीं. सिर्फपाकिस्तानी विशेषज्ञों के हवाले से उन्हीं के बयान लिखूंगा - जस का तस. शुरुआत पाकिस्तान के फौजी तानाशाह रहे जनरल परवेज  मुशर्रफ से. एक टीवी इंटरव्यू में उन्होंने कहा, ‘‘हमने एक रिलीजियस मिलिटेंसी इंट्रोड्यूस की पाकिस्तान के हक में 1979 में. अफगानिस्तान से सोवियत को निकालने के लिए. हम मुजाहिदीन लाए पूरी दुनिया से. हमने तालिबान को ट्रेंड किया. उन्हें हथियार दिए. वो हमारे हीरो थे. ये जो हक्कानी है, हमारा हीरो है जी. ओसामा बिन लादेन जो था हमारा हीरो था. जवाहिरी हमारा हीरो था. अब माहौल बदल गया. अब  जो हीरो  हैं, वो विलेन बन गए. फिर कश्मीर में 1990 में स्ट्रगल शुरू हुई. तो हाफिज सईद वगैरह यहां आ गए.

पाकिस्तान में उनको हीरो रिसेप्शन दी गई. उनकी बिलकुल ट्रेनिंग भी होती थी. हम उनके सपोर्ट  में थे कि ये इंडियन आर्मी से लड़ेंगे अपने हुकूक के लिए. फिर ये लश्करे तैयबा वगैरह बनी- दस बारह और बनी. वो भी हमारे हीरो थे जी. तो ये रिलीजियस मिलिटेंसी कन्वर्ट हो गया टेररिज्म में. अब ये लोग हमारे यहां बम ब्लास्ट कर रहे हैं. हमी को मार रहे हैं. तो ये निगेटिव हो गया. इनको बंद करना चाहिए.’’

जियो टीवी पर पाकिस्तान के मशहूर पत्नकार नजम सेठी कारगिल जंग के बारे में कहते हैं , ‘‘जनवरी 99 में इन्होंने कोई 200 लोग को ट्रेनिंग देकर इंडिया भेज दिए. प्लान ये था कि इंडिया की दस पोस्ट पे कब्जा कर लें. यह सिर्फ चार लोगों की जानकारी में था. हमारी आर्मी को पता था कि मुजाहिदीन तो जा नहीं सकते तो अपने बंदों को सलवार कमीज पहना कर भेज दिया. दो महीने बाद मार्च में ये पहुंचे. वहां देखा कि दस तो क्या वहां तो सारे इंडिया के पोस्ट खाली पड़े हैं. इन्होंने 140 इंडियन पोस्ट कैप्चर कर ली. तब तक इंडियन को पता नहीं चला. ये जो टेररिज्म है स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म, लाइन ऑफ कंट्रोल को क्रॉस करना, पकड़े जाना, जिससे आप इंटरनेशनल कम्युनिटी के एजेंडे पर आ गए और हमेशा के लिए कश्मीर खो बैठे. हम एक्सपोज हो गए. हम हमेशा आइसोलेट हो जाते हैं.’’ वहां के बड़े कूटनीतिक जानकार मुनीर सामी रावल टीवी पर कहते हैं, ‘‘ये नाम क्या हैं? लश्करे झंगवी, जैशे मोहम्मद, सिपाहे सहाबा इनका मतलब क्या है भाई. आप दुनिया को बेवकूफ नहीं बना सकते.

पाकिस्तान आर्मी इनके साथ खेलती है. आप कश्मीरी अवाम को फंसा रहे हैं अपनी फौज को भेज भेज के.’’ बैरिस्टर हामिद बसानी रावल टीवी पर कहते हैं, ‘‘जो हमारी टेररिस्ट ऑर्गनाइजेशन हैं वो अपने टेररिस्ट अटैक्स के जरिए पीस को डीरेल कर देती हैं. अब इंडियन पार्लियामेंट पर अटैक की थी इन्होंने. तो मतलब क्या है? आप टेररिस्ट की इच्छा पर खेलते हैं. मुंबई में जब अटैक किया था तो हर आदमी जानता था कि हमारे चार-छह पागल आदमी ऐसा करते हैं. दो न्यूक्लियर पावर आमने-सामने आ गईं. यह अफसोसनाक है कि हमारी इलेक्टेड गवर्नमेंट इन छोटे-छोटे आतंकवादी गुटों का शिकार हो  जाती है.’’ 

हाफिज सईद पेशावर में इसी फरवरी में पुलवामा से पहले एक रैली करता है. यही हाफिज सईद पाकिस्तान में चुनाव भी लड़ता है. पुलवामा के बाद इसी हाफिज सईद के जमात उद दावा पर बंदिश लगाई गई. पेशावर की रैली में  वो कहता है, ‘‘पेशावर वालो! इसी फरवरी में जैश वाले पूरे पाकिस्तान में निकलो, कश्मीर में जब तक कोई बंदा जैश ए मोहम्मद को पुकारता रहेगा, पूरे मुल्क से जैश वाले कश्मीर जाते रहेंगे.’’ जैश-ए-मोहम्मद का स्थानीय कमांडर मौलाना रौफ असगर खुलेआम रैली में कहता है, ‘‘कश्मीर की जंग वहां पहाड़ों से उतर कर लड़ी जाएगी. दिल्ली में होने वाले फैसलों का उत्तर दिल्ली में दिया जाएगा.’’ कुछ समय पहले हिज्बुल मुजाहिदीन के मुखिया सलाहुद्दीन ने जमात ए इस्लामी के लीडर्स के साथ कराची में बाकायदा प्रेस कांफ्रेंस करके भारत को जंग की धमकी दी थी. उसने कहा था, ‘‘जब पाकिस्तान हमको मदद करेगा तो दोनों मुल्कों के बीच चौथी बार जंग छिड़ेगी. यह परमाणु जंग होगी.’’

पाकिस्तान के मौजूदा सेनाध्यक्ष कमर बाजवा पिछले साल जर्मनी के म्यूनिख गए.  वहां एक कांफ्रेंस में बोले, ‘‘सशस्त्न जिहाद जायज है बशर्ते उसे सरकार का  समर्थन हो. लेकिन इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि इससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है. पाकिस्तान में आज इसमें लगे लोगों को हथियार दिए जा रहे हैं. हम उन्हें इसलिए वापस नहीं भेज सकते कि उन्हें पसंद नहीं करते. हम उसी फसल को काट रहे हैं, जिसके बीज 40 बरस पहले बोए गए थे.’’ पाकिस्तान के एयर मार्शल रहे असगर खान ने एक पुराने टीवी साक्षात्कार में कहा, ‘‘हमें फौज का खर्चा कम करके तालीम पर लगाना चाहिए.’’

ये तो चंद नमूने हैं. पाकिस्तान में हुकूमत के खिलाफ बरसों से दबा गुस्सा अब भड़कने लगा है. लोग अपने देश में गरीबी, बदहाली, महंगाई, बेरोजगारी और आतंकवाद के लिए फौज व आईएसआई को खुल्लमखुल्ला जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. इसके बाद भी इमरान संदेश न समझें तो इसमें भारत की क्या गलती है?    

मल रहे क्यों हाथ, अपनी ही जलाई राख पर/खुद छिपाए आग थे, दामन में दूसरों के लिए. 

Web Title: Pakistan is doing suicide by itself

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