वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: विपक्ष का दमदार होना जरूरी

By वेद प्रताप वैदिक | Published: March 12, 2022 04:56 PM2022-03-12T16:56:40+5:302022-03-12T16:56:40+5:30

जब तक विपक्षी गठबंधन के पास भारत को महासंपन्न और महाशक्ति बनाने का ठोस वैकल्पिक नक्शा नहीं होगा, भारत की जनता इन विपक्षियों से अनुप्रेरित बिल्कुल नहीं होगी।

opposition must empower for healthy democracy | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: विपक्ष का दमदार होना जरूरी

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: विपक्ष का दमदार होना जरूरी

पांच राज्यों के चुनाव में विपक्ष को इतनी तगड़ी मार लगी है कि कुछ दिनों तक उसके होश-हवास गुम रहें तो कोई आश्चर्य नहीं है। विपक्ष के पास ऐसी कोई पार्टी या गठबंधन नहीं है जो भाजपा को अखिल भारतीय स्तर पर चुनौती दे सके। विपक्ष के पास कोई ऐसा नेता भी नहीं है जो मोदी का मुकाबला कर सके। 2024 में भाजपा का तिबारा लौटना साफ-साफ दिखाई पड़ रहा है बशर्ते कि वह आपातकाल जैसी कोई भयंकर भूल न कर दे।

वह ऐसी भूल यदि कर भी दे तो विपक्ष के पास जयप्रकाश नारायण की तरह कोई ऐसा अनासक्त शीर्ष पुरुष भी नहीं है, जो सारे विरोधी दलों को एक मंच पर ला सके। ऐसी स्थिति पर आम लोगों और खास तौर से भाजपा के करोड़ों सदस्यों की यह प्रतिक्रि या हो सकती है कि भारत की राजनीति पर मोदी और भाजपा का एकछत्र वर्चस्व देश के लिए बहुत लाभप्रद हो सकता है। कमजोर विपक्ष के फिजूल विरोध की परवाह किए बिना भाजपा अपने लोक-कल्याणकारी अभियान को काफी आगे बढ़ा सकती है।

यह सोच वैसे तो ऊपरी तौर पर ठीक ही लगती है लेकिन लोकतंत्न की रेल हमेशा दो पटरियों पर चलती है। यदि एक पटरी बेहद कमजोर हो जाए तो रेल के उलटने का डर बना रहता है, जैसा कि 1975 में हो गया था। यदि किसान आंदोलन की तरह कोई बड़ा जन-आंदोलन खड़ा हो गया तो वही नौबत अब भी आ सकती है। भाजपा की रेल पटरी पर चलती रहे और हमारा लोकतंत्र भी लकवाग्रस्त न हो जाए, इसके लिए जरूरी है कि अब देश में सशक्त विपक्ष का निर्माण हो।

इस संभावना को क्रियान्वित करने के लिए अरविंद केजरीवाल, अखिलेश यादव और ममता बनर्जी को पहल करनी होगी। यदि ये तीनों जुड़ सकें तो महाराष्ट्र, पंजाब, झारखंड, बिहार, ओडिशा, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, कश्मीर आदि की प्रांतीय पार्टियों के नेता भी इनसे जुड़ सकते हैं। समस्त गैर-भाजपा पार्टियों के वोट मिलकर आज भी देश में भाजपा से कई गुना ज्यादा हैं। 2019 के चुनाव में 91 करोड़ मतदाताओं में से भाजपा को लगभग सिर्फ 23 करोड़ वोट मिले थे।

शेष 68 करोड़ मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने की क्षमता इस समय देश के किसी नेता या पार्टी में नहीं है, लेकिन जब तक विपक्षी गठबंधन के पास भारत को महासंपन्न और महाशक्ति बनाने का ठोस वैकल्पिक नक्शा नहीं होगा, भारत की जनता इन विपक्षियों से अनुप्रेरित बिल्कुल नहीं होगी। विरोधी दलों की अशक्तता और सभी दलों में घटता हुआ आंतरिक लोकतंत्र पूरे भारत की चिंता का विषय है।

Web Title: opposition must empower for healthy democracy

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