निशान्त का ब्लॉगः 93 फीसदी भारतीय ले रहे जहरीली हवा में सांस

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: March 5, 2022 02:33 PM2022-03-05T14:33:04+5:302022-03-05T14:36:31+5:30

रिपोर्ट से पता चला कि दुनिया की बहुत बड़ी आबादी उन क्षेत्रों में रहती है जहां पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों से अधिक है, जो कि औसत वार्षिक पीएम 2.5 एक्सपोजर स्तर 5 मिलीग्राम/घन मीटर है।

Nishant's blog 93 percent Indians are breathing in toxic air pollution | निशान्त का ब्लॉगः 93 फीसदी भारतीय ले रहे जहरीली हवा में सांस

निशान्त का ब्लॉगः 93 फीसदी भारतीय ले रहे जहरीली हवा में सांस

एक ताजा जारी वैश्विक रिपोर्ट के अनुसार, 93 प्रतिशत भारतीय ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जहां वायु प्रदूषण का स्तर डब्ल्यूएचओ के मानकों से अधिक है। इस रिपोर्ट से पता चला है कि इसके परिणामस्वरूप भारत में जीवन प्रत्याशा लगभग 1.5 वर्ष कम हो गई है। इस तथ्य का खुलासा अमेरिका के  हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट द्वारा जारी वार्षिक स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर नाम की रिपोर्ट में हुआ। अध्ययन से पता चला है कि 2019 में   भारत में पीएम 2.5 को 979700 मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।

रिपोर्ट से पता चला कि दुनिया की बहुत बड़ी आबादी उन क्षेत्रों में रहती है जहां पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ की सिफारिशों से अधिक है, जो कि औसत वार्षिक पीएम 2.5 एक्सपोजर स्तर 5 मिलीग्राम/घन मीटर है। औसतन, दुनिया की 40 प्रतिशत से अधिक आबादी उन क्षेत्नों में रहती है जहां ओजोन का स्तर 2019 में डब्ल्यूएचओ के सबसे कम कड़े अंतरिम लक्ष्य से अधिक था।

कांगो, इथियोपिया, जर्मनी, बांग्लादेश, नाइजीरिया, पाकिस्तान, ईरान और तुर्की जैसे देशों के बाद, विश्व स्तर पर भारत नौवें स्थान पर है, जो ओजोन (98 प्रतिशत) के संपर्क में है और चीन 10 वें स्थान पर है। लेखकों ने अध्ययन में लिखा, ‘वायु प्रदूषण दुनिया भर में मौतों और विकलांगता के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है; अकेले 2019 में, वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से 6.7 मिलियन मौतें हुईं।’  

पीएम 2.5 के बड़े जोखिम ने देशों और क्षेत्रों के लिए जीवन प्रत्याशा को भी कम कर दिया है। यह मिस्र में 2.11 वर्ष, सऊदी अरब में 1.91 वर्ष, भारत में 1.51 वर्ष, चीन में 1.32 वर्ष और पाकिस्तान में 1.31 वर्ष कम हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार, विश्लेषण में शामिल 204 देशों में से केवल 25 देशों ने सबसे कड़े लक्ष्य को पूरा किया है। 49 देशों ने 35 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के न्यूनतम कड़े डब्ल्यूएचओ अंतरिम लक्ष्य को भी पूरा नहीं किया। ये ज्यादातर उप-सहारा अफ्रीका (25), उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व (17), और दक्षिण एशिया (7) के देश थे। इसका मतलब है कि दुनिया की आधी से अधिक आबादी उन क्षेत्नों में रहती है जहां 2019 में पीएम 2.5 का स्तर डब्ल्यूएचओ द्वारा निर्धारित सीमा से अधिक है, जबकि उच्च आय वाले देशों में, एक प्रतिशत से भी कम आबादी इससे ऊपर के स्तर के संपर्क में है।
 

Web Title: Nishant's blog 93 percent Indians are breathing in toxic air pollution

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