लाइव न्यूज़ :

निशान्त का ब्लॉग: मानसून पर जलवायु परिवर्तन का असर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 18, 2021 13:33 IST

काउंसिल फॉर एनर्जी एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) के एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि महाराष्ट्र के 80 प्रतिशत से अधिक जिले सूखे या सूखे जैसी स्थितियों की चपेट में हैं. औरंगाबाद, जालना, लातूर, उस्मानाबाद, पुणो, नासिक और नांदेड़ जैसे जिले राज्य में सूखे के हॉटस्पॉट हैं.

Open in App

हाल ही में हमने मुंबई में अत्यंत भयंकर चक्रवात तौकते को अपना कहर बरपाते देखा था. उसके बाद मुंबई में मानसून ने अपने आगमन के पहले ही दिन शहर को अस्त-व्यस्त करके रख दिया. इस बार भी ग्लोबल वार्मिग प्रमुख भूमिका निभा रही है. मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मानसून की शुरुआत के साथ ही वातावरण में भरपूर नमी होती है और समुद्र की सतह का तापमान अभी भी बहुत गर्म है. यह भारतीय घाटियों में बनने वाली गहनता प्रणाली को बढ़ावा देना जारी रखेगा.

इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मौसम विज्ञान, पुणो के जलवायु वैज्ञानिक डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कोल कहते हैं, ‘महासागर और वायुमंडलीय स्थितियां अभी भी मौसम प्रणालियों के तेज होने के लिए बहुत अनुकूल हैं. हालांकि चक्रवातों के बाद समुद्र की सतह में कुछ ठंडक आई है, लेकिन समुद्र का तापमान 30 डिग्री सेल्सियस और उससे अधिक के तापमान के साथ गर्म बना हुआ है. ये गर्म समुद्री सतह के तापमान और कम ऊध्र्वाधर पवन बंगाल की उत्तरी खाड़ी के ऊपर एक निम्न दबाव प्रणाली के निर्माण और तीव्र होने के लिए अनुकूल है. इस तरह की घटनाओं की प्रवृत्ति बढ़ रही है जिसके फलस्वरूप पश्चिमी तट और मध्य भारत में भारी बारिश हो रही है.’

जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन के कारण तटीय भारत में उष्णकटिबंधीय चक्र वात बढ़ रहे हैं, अनियोजित विकास इन शहरों की भेद्यता में इजाफा करता है. उदाहरण के लिए, पिछले एक दशक में भारत में बाढ़ से तीन अरब डॉलर की आर्थिक क्षति हुई है. कई अध्ययनों का दावा है कि भारत के सबसे बड़े तटीय शहर जैसे मुंबई और कोलकाता जलवायु-प्रेरित बाढ़ से सबसे गंभीर खतरों का सामना कर रहे हैं. 

मुंबई और कोलकाता में बाढ़ को जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण, समुद्र के स्तर में वृद्धि और अन्य क्षेत्नीय कारकों के प्रभाव के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. पृथ्वी विज्ञान मंत्नालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई क्षेत्न समुद्र के स्तर में वृद्धि, तूफान की वृद्धि और अत्यधिक वर्षा के कारण जलवायु परिवर्तन के लिए अत्यधिक संवेदनशील है. पिछले 20 वर्षो के दौरान, मुंबई ने पहले ही सन् 2005, 2014, 2017 में बड़े पैमाने पर बाढ़ की घटनाओं को देखा है. 

दूसरी ओर, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि परंपरागत रूप से सूखाग्रस्त जिलों ने पिछले एक दशक में अत्यधिक बाढ़ की घटनाओं और तूफानी लहरों की ओर एक बदलाव दिखाया है. इसके अतिरिक्त, पिछले 50 वर्षो में महाराष्ट्र में भीषण बाढ़ की घटनाओं की आवृत्ति में छह गुना वृद्धि हुई है. ये रुझान इस बात का स्पष्ट संकेत हैं कि जलवायु की अप्रत्याशितता कैसे बढ़ रही है, जिससे जोखिम मूल्यांकन एक बड़ी चुनौती बन गया है, जिसमें जटिल आपदाएं व खतरे बढ़े हैं.

टॅग्स :मौसम रिपोर्ट
Open in App

संबंधित खबरें

कारोबारसाल 2025 में 21361 अंतरराष्ट्रीय और 10.47 लाख से ज्‍यादा घरेलू पर्यटक पहुंचे, कुल पर्यटकों की संख्या 10,68,811, देखिए 12 माह रिपोर्ट कार्ड

भारतकश्मीर में ‘चिल्ला-ए-कलां’ शुरू?, घाटी में पड़ने वाली 40 दिनों की भीषण सर्दी क्या होती है?

भारतWeather Report 20 December: मौसम विभाग ने इन राज्यों में घने कोहरे के लिए रेड और येलो अलर्ट जारी किया

स्वास्थ्यस्ट्रोक, हृदय, श्वसन, अल्जाइमर और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में तेजी से वृद्धि?, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दी चेतावनी, हर पल इस प्रकोप का असर?

कारोबारदिल्ली प्रदूषण नियंत्रणः 14 अक्टूबर से 15 दिसंबर के बीच 1,56,993 चालान, प्रत्येक पर 10000 रुपये का जुर्माना

भारत अधिक खबरें

भारतहिंदू व्यक्ति दीपू चंद्र दास की पीट-पीटकर हत्या?, दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के बाहर विहिप और बजरंग दल के सैकड़ों कार्यकर्ता ने किया प्रदर्शन, अलर्ट पर पुलिस, वीडियो

भारतबृहन्मुंबई महानगरपालिका 2026ः 23 से 30 दिसंबर तक भरे जाएंगे नामाकंन पत्र, 31 दिसंबर को छंटनी और 2 जनवरी नाम वापस ले सकेंगे

भारतएक-दूसरे से लड़ेंगे भारतीय?, बर्लिन में राहुल गांधी ने कहा-भारत में 2 विजन के बीच टकराव, हरियाणा में वोटिंग लिस्ट में एक ब्राज़ीलियाई महिला का नाम 22 बार था, वीडियो

भारतChaudhary Charan Singh: गांव, गरीब और किसानों को समर्पित?,पीएम मोदी और सीएम योगी ने एक्स पर शेयर किया वीडियो

भारतनेशनल हेराल्ड मामले में दूध का दूध और पानी का पानी होगा?, पूर्व कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा-भारत में ऐसा नहीं हो सकता चोरी करके आदमी बच जाए