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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: निर्यात बढ़ाने का नया परिदृश्य

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 19, 2019 06:47 IST

निर्यात का ग्राफ यह बता रहा है कि अगस्त 2018 के मुकाबले पिछले माह अगस्त 2019 में निर्यात करीब 6 प्रतिशत घटा है. इसमें कोई दो मत नहीं है कि मोदी सरकार के द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर तक पहुंचाने का जो लक्ष्य रखा गया है, उसमें देश से तेजी से निर्यात बढ़ने की अहम भूमिका संजोई गई है.

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ठळक मुद्दे14 सितंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निर्यात क्षेत्र में तेजी लाने के लिए कई अहम घोषणाएं कीं.निर्यात बढ़ाने के लिए 50 हजार करोड़ रुपए का फंड बनाया गया है.

हाल ही में 16 सितंबर को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि सरकार चालू वित्त वर्ष 2019-20 में निर्यात ऋण आवंटन 30 फीसदी बढ़ाएगी. निर्यातकों के लिए ऋण का दायरा बढ़ाया जाएगा. जांच नियमों को आसान बनाया जाएगा और निर्यातकों के प्रोफाइल को दुरुस्त किया जाएगा. साथ ही निर्यात दावों का त्वरित निपटान किया जाएगा.

इसी तरह 14 सितंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने निर्यात क्षेत्र में तेजी लाने के लिए कई अहम घोषणाएं कीं. निर्यात बढ़ाने के लिए 50 हजार करोड़ रुपए का फंड बनाया गया है. निर्यातकों के लिए ऋण प्राथमिकता वाले क्षेत्रों के लिए ऋण आवंटन के संशोधित नियम सुनिश्चित किए गए हैं. निर्यातकों को ऋण के लिए पीएसएल नियमों की समीक्षा की जाएगी. मुक्त व्यापार समझौता उपयोग मिशन की भी स्थापना होगी. इसका मकसद निर्यातकों को उन देशों से शुल्क छूट दिलाने में मदद करना है जिनके साथ भारत ने संधि की है. निर्यात ऋण गारंटी निगम, निर्यात ऋण बीमा योजना का दायरा बढ़ाया जाएगा. इस पहल की सालाना लागत 1,700 करोड़ रु. आएगी. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अंतर-मंत्रालयीन कार्य समूह बनाया जाएगा.

निश्चित रूप से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के घटते हुए निर्यात को थामने और निर्यात की बेहतरी के लिए जिस नई प्रोत्साहन योजना का ऐलान किया है वह विश्व व्यापार संगठन के नियमों के अनुकूल है. एक ऐसे समय में जब चालू वित्त वर्ष 2019-20 में  निर्यात का ग्राफ तेजी से घट रहा है तब निर्यात बढ़ाने के नए ऐलान लाभप्रद होंगे. 

निर्यात का ग्राफ यह बता रहा है कि अगस्त 2018 के मुकाबले पिछले माह अगस्त 2019 में निर्यात करीब 6 प्रतिशत घटा है. इसमें कोई दो मत नहीं है कि मोदी सरकार के द्वारा देश की अर्थव्यवस्था को वर्ष 2024-25 तक पांच हजार अरब डॉलर तक पहुंचाने का जो लक्ष्य रखा गया है, उसमें देश से तेजी से निर्यात बढ़ने की अहम भूमिका संजोई गई है. पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में भारत के निर्यात नौ फीसदी बढ़कर 331 अरब डॉलर पर पहुंच गए, यद्यपि निर्यात का यह रिकॉर्ड स्तर है लेकिन निर्यात के 350 अरब डॉलर के लक्ष्य से कम ही है. स्थिति यह है कि अब घटता हुआ निर्यात देश की विकास दर को प्रभावित कर रहा है.

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