राष्ट्रीय एकता दिवस: लाजवाब कौशल...गजब की रणनीति, देश की एकता के सूत्रधार थे सरदार वल्लभभाई पटेल
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: October 31, 2022 10:32 AM2022-10-31T10:32:39+5:302022-10-31T10:32:39+5:30
कई इतिहासकार सरदार पटेल की तुलना बिस्मार्क से भी कहीं आगे करते हैं. बिस्मार्क ने जर्मनी का एकीकरण ताकत के बल पर किया तो वहीं दूसरी ओर सरदार पटेल ने ये विलक्षण कारनामा दृढ़ इच्छाशक्ति व साहस के बल पर कर दिखाया.
प्रो.नृपेन्द्र प्रसाद मोदी
हर भारतीय के हृदय में बसने वाले, देश की एकता व अखंडता के अद्भुत शिल्पी लौह पुरुष सरदार पटेल के जीवन का प्रत्येक क्षण भारत में एक राष्ट्र का भाव जागृत करने हेतु समर्पित रहा. सरदार पटेल ने लाजवाब कौशल के साथ देश के समक्ष मौजूद चुनौतियों का सामना करते हुए उसे एकता के सूत्र में बांधने के कार्य को पूरा किया और एकीकृत भारत के शिल्पकार के रूप में पहचान हासिल की.
ऐसे में 31 अक्तूबर के दिन उनकी बहुमूल्य विरासत का जश्न मनाने के लिए देश उनकी जयंती को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाता है. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को वैचारिक एवं क्रियात्मक रूप में एक नई दिशा देने के कारण सरदार पटेल ने देश के राजनीतिक इतिहास में गौरवपूर्ण स्थान पाया.
स्वतंत्र भारत के पहले तीन वर्ष सरदार पटेल देश के प्रथम उपप्रधानमंत्री, गृह मंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री रहे. आजादी के बाद देश की एकता और अखंडता का उन्हें सूत्रधार भी कहा जाता है. आज जो हमारे सामने देश का भौगोलिक स्वरूप है वह उन्हीं की देन है. उन्होंने न सिर्फ आजादी की लड़ाई में भूमिका निभाई बल्कि 565 देशी रियासतों में से 562 का शांतिपूर्ण ढंग से भारत में विलय करवाया.
अपनी रणनीति की बदौलत कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद जैसी देशी रियासतों को भारत में विलय के लिए मजबूर कर दिया. 1938 में हरिपुरा कांग्रेस अधिवेशन में जब देशी रियासतों को भारत का अभिन्न अंग मानने का प्रस्ताव पारित कर दिया गया तभी से सरदार पटेल ने भारत के एकीकरण की दिशा में कार्य करना प्रारंभ कर दिया तथा अनेक देशी रियासतों में प्रजा मंडल और अखिल भारतीय प्रजा मंडल की स्थापना करवाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
इस तरह लौह पुरुष सरदार पटेल ने अत्यंत बुद्धिमानी और दृढ़ संकल्प का परिचय देते हुए नवंबर 1947 तक 565 देशी रियासतों में से 562 का भारत में शांतिपूर्ण विलय करवा लिया. भारत के 2/5 भाग क्षेत्रफल में बसी देशी रियासतों में जहां तत्कालीन भारत के 42 करोड़ भारतीयों में से 10 करोड़ 80 लाख की आबादी निवास करती थी, उसे भारत का अभिन्न अंग बना देना कोई मामूली बात नहीं थी.
इतिहासकार सरदार पटेल की तुलना बिस्मार्क से भी कहीं आगे करते हैं क्योंकि बिस्मार्क ने जर्मनी का एकीकरण ताकत के बल पर किया और सरदार पटेल ने ये विलक्षण कारनामा दृढ़ इच्छाशक्ति व साहस के बल पर कर दिखाया. उनके इस अद्वितीय योगदान के कारण 1991 में मरणोपरांत उन्हें भारत रत्न के सर्वोच्च सम्मान से अलंकृत किया गया. देश की एकता में उनके योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए गुजरात में सरदार सरोवर बांध पर 182 मीटर ऊंची उनकी विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है.