राष्ट्रीय गणित दिवस: रामानुजन ने दिया गणित को नया अर्थ
By योगेश कुमार गोयल | Published: December 22, 2022 02:24 PM2022-12-22T14:24:37+5:302022-12-22T14:29:26+5:30
पिछले कुछ वर्षों से भारत में प्रतिवर्ष 22 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ मनाया जाता है, जो इन्हीं महान् गणितज्ञों में से एक श्रीनिवास रामानुजन को सम्मान देने के उद्देश्य से उनकी स्मृति में उनके जन्मदिवस पर मनाया जाता है।
भारत में ऐसे कई महान गणितज्ञ हुए हैं, जिन्होंने न केवल भारतीय गणित के चेहरे को बदलने में अपना अनमोल योगदान दिया बल्कि विश्वभर में अत्यधिक लोकप्रियता भी हासिल की। ऐसे ही गणितज्ञों में ब्रह्मगुप्त, आर्यभट्ट तथा श्रीनिवास रामानुजन जैसे विश्वविख्यात गणितज्ञों को भला आज कौन नहीं जानता होगा, जिन्होंने भारत में गणित के विभिन्न सूत्रों, प्रमेयों और सिद्धांतों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पिछले कुछ वर्षों से भारत में प्रतिवर्ष 22 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ मनाया जाता है, जो इन्हीं महान् गणितज्ञों में से एक श्रीनिवास रामानुजन को सम्मान देने के उद्देश्य से उनकी स्मृति में उनके जन्मदिवस पर मनाया जाता है।
रामानुजन ने गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रृंखला, संख्या सिद्धांत तथा निरंतर भिन्न अंशों के लिए आश्चर्यजनक योगदान दिया और अनेक समीकरण व सूत्र भी पेश किए, जिनके प्रयासों तथा योगदान ने गणित को एक नया अर्थ दिया। उनके द्वारा की गई खोज ‘रामानुजन थीटा’ तथा ‘रामानुजन प्राइम’ ने इस विषय पर आगे के शोध और विकास के लिए दुनियाभर के शोधकर्ताओं को प्रेरित किया।
26 दिसंबर 2011 को तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने चेन्नई में श्रीनिवास रामानुजन की 125वीं जयंती पर आयोजित समारोह में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर देश में योग्य गणितज्ञों की संख्या कम होने पर चिंता जताते हुए कहा था कि श्रीनिवास रामानुजन की असाधारण प्रतिभा ने पिछली सदी के दूसरे दशक में गणित की दुनिया को एक नया आयाम दिया।
ऐसे प्रतिभावान तथा गूढ़ ज्ञान वाले पुरूषों और महिलाओं का जन्म कभी-कभार ही होता है। गणित में रामानुजन के अविस्मरणीय योगदान को याद रखने और सम्मान देने के लिए उसी अवसर पर रामानुजन की जयंती पर प्रतिवर्ष 22 दिसंबर को ‘राष्ट्रीय गणित दिवस’ मनाए जाने का निर्णय लिया गया, साथ ही वर्ष 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष भी घोषित किया गया था।
रामानुजन ने खुद से गणित सीखा और जीवनभर में गणित के 3884 प्रमेयों (थ्योरम्स) का संकलन किया, जिनमें से अधिकांश प्रमेय सही सिद्ध किए जा चुके हैं।