ब्लॉग: रेप और दहेज प्रताड़ना कानूनों का दुरुपयोग भी गंभीर अपराध
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Published: September 5, 2023 12:08 PM2023-09-05T12:08:15+5:302023-09-05T12:25:34+5:30
दहेज, बलात्कार, और जातिवाचक अपशब्दों से जुड़े कानूनों के दुरुपयोग पर देश के अधिकांश हाईकोर्टों और सर्वोच्च न्यायालय ने तीखी टिप्पणी की है।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बलात्कार तथा दहेज से संबंधित कानूनों के दुरुपयोग पर गहरी चिंता जताई है और इससे जुड़े झूठे आरोपों को क्रूरता की संज्ञा दी है. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी अदालत ने ऐसी टिप्पणी की है.
दहेज, बलात्कार तथा जातिवाचक अपशब्दों से जुड़े कानूनों के दुरुपयोग पर देश के अधिकांश हाईकोर्ट और यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय तक ने तीखी टिप्पणी की है.
दहेज प्रताड़ना और बलात्कार पर कैसे करती है पुलिस कार्रवाई
दहेज प्रताड़ना हो या बलात्कार अथवा महिलाओं पर अत्याचार से जुड़े कानून, उनमें आमतौर पर एकतरफा कार्रवाई पुलिस करती है. जिन पर आरोप लगता है, उनकी पुलिस थाने में कोई सुनवाई ही नहीं होती. दहेज प्रताड़ना के मामले में तो पति ही नहीं बल्कि पूरा परिवार कानूनी शिकंजे में फंस जाता है.
जांच और सुनवाई के बगैर ही मामला दर्ज होते ही पुलिस पति के साथ-साथ उसके बुजुर्ग माता-पिता, भाई-बहन को भी सलाखों के पीछे ठूंस देती है. इससे पूरा परिवार मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना तो झेलता ही है, समाज में उसकी प्रतिष्ठा भी धूल में मिल जाती है. बलात्कार एक भयावह अत्याचार है.
कठोर कानून के बाद भी नहीं थम रहे रेप के केस
भारत में कठोर कानून बन जाने के बावजूद हर वर्ष बलात्कार के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. दहेज प्रताड़ना तथा बलात्कार जघन्य अपराध होने के बावजूद यह भी एक हकीकत है कि व्यक्तिगत शत्रुता के चलते बदला लेने के मकसद से कानूनों का दुरुपयोग होने लगा है.
दो साल पहले दक्षिण मुंबई के एक व्यवसायी ने अपनी पत्नी पर दहेज प्रताड़ना के नाम पर उसे झूठे मामले में फंसाने का आरोप लगाते हुए बंबई हाईकोर्ट की शरण ली थी. पत्नी की शिकायत पर पहले पुलिस ने उस व्यवसायी तथा उसके पूरे परिवार के विरुद्ध कार्रवाई की थी. जमानत पर बाहर आने के बाद व्यवसायी ने पत्नी के विरुद्ध मुकदमा किया.
दहेज और बलात्कार के कुछ केस
अदालत ने व्यवसायी की शिकायत को सही पाया और पत्नी पर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगा दिया. 2021 में ही इन्फोसिस में इंजीनियर की नौकरी छोड़कर एक युवती ने दहेज और बलात्कार के झूठे मामलों के विरुद्ध अभियान चलाया.
शादी के तीन महीने बाद ही उसके भाई को दहेज प्रताड़ना के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इससे उस युवक को रोजगार से भी हाथ धोना पड़ गया था. उसके बाद युवती ने बदले की भावना से दर्ज करवाए जाने वाले महिला अत्याचार के मामलों पर शोध किया और अदालत में अपने भाई को बरी भी करवाया.
लड़कियां ऐसे बनती हैं शिकार
रेप और दहेज प्रताड़ना के मामले गैरजमानती हैं. आजकल अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं जिसमें उच्च शिक्षित युवतियां विवाह के झांसे में आकर बलात्कार का शिकार होने का दावा करती हैं. पढ़ी-लिखी लड़कियां इतनी आसानी से कैसे झांसे में आ जाती हैं. जब वह अपनी मर्जी से संबंध बनाती हैं तो उसे बलात्कार की संज्ञा कैसे दी जा सकती है.
गरीब लड़कियों को सुनहरे भविष्य का झांसा देकर मानव तस्करी का शिकार बनाया जाता है. लड़कियों को अगवा कर उनका शारीरिक शोषण किया जाता है. कई मामलों में बदला लेने की नीयत से लड़कियों को हवस का शिकार अपराधी बनाते हैं. लेकिन सहमति से संबंध बनाने या किसी युवक या व्यक्ति से बदला लेने की नीयत से रेप का आरोप लगाना भी क्रूर अपराध से कम नहीं होगा.
आरोपी के साथ पूरा परिवार झेलता है आर्थिक-मानसिक-सामाजिक प्रताड़ना
ऐसे मामलों में जमानत नहीं मिलती और निर्दोष होते हुए भी व्यक्ति को महीनों जेल में रहना पड़ता है. बरी तो वह मुकदमा लड़ने के बाद हो जाता है लेकिन इस बीच वह तथा उसका पूरा परिवार आर्थिक-मानसिक-सामाजिक प्रताड़ना झेलता है.
ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जहां संपत्ति विवाद में या अन्य पारिवारिक कलह के कारण घर के बुजुर्ग पर बलात्कार के आरोप लगा दिए जाते हैं. महिलाओं पर अत्याचार रोकने के लिए कठोर कानून बहुत जरूरी है. दोषियों को कठोर सजा मिलनी चाहिए लेकिन कानूनी प्रावधान एकतरफा नहीं होने चाहिए.
किसी के साथ न हो नाइंसाफी
कानूनी मशीनरियां कार्रवाई करने के पूर्व यह सुनिश्चित करें कि बलात्कार तथा दहेज प्रताड़ना की विस्तृत जांच हो और ठोस सबूत मिलने के बाद ही आगे कार्रवाई हो. कानून असली अपराधियों को सजा देने के लिए होते हैं, निर्दोषों की रक्षा करना भी महत्वपूर्ण कानूनी दायित्व है.