ब्लॉग: बढ़ते तापमान से ‘ऊष्मा-द्वीप’ में बदल रहे देश के अनेक शहर
By प्रमोद भार्गव | Updated: May 28, 2024 11:06 IST2024-05-28T11:02:26+5:302024-05-28T11:06:11+5:30
राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और मध्यप्रदेश में पारा 43 से 47 डिग्री के बीच बना हुआ है। राजस्थान के बाड़मेर में दिन का तापमान 48 डिग्री और हिमालय की शीतल घाटी कश्मीर में गरम हवाओं के चलते तापमान 34 डिग्री तक पहुंच गया है।

फाइल फोटो
श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार तेज गर्मी या प्रलय आने पर सांवर्तक सूर्य अपनी प्रचंड किरणों से पृथ्वी, प्राणी के शरीर, समुद्र और जल के अन्य स्रोतों से रस यानी नमी खींचकर सोख लेता है। नतीजतन उम्मीद से ज्यादा तापमान बढ़ता है, जो गर्म हवाएं चलने का कारण बनता है। यही हवाएं लू कहलाती हैं परंतु अब यही हवाएं देश के पचास से ज्यादा शहरों को ‘ऊष्मा-द्वीप’ (हीट आइलैंड) में बदल रही हैं।
राजस्थान, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश और मध्यप्रदेश में पारा 43 से 47 डिग्री के बीच बना हुआ है। राजस्थान के बाड़मेर में दिन का तापमान 48 डिग्री और हिमालय की शीतल घाटी कश्मीर में गरम हवाओं के चलते तापमान 34 डिग्री तक पहुंच गया है।
मौसम विभाग ने अगले कुछ और दिन यही तापमान बने रहने की घोषणा कर दी है। आमतौर से गरम हवाएं तीन से आठ तीन चलती हैं और एक-दो दिन में बारिश हो जाने से तीन-चार दिन राहत रहती थी, लेकिन इस बार गरम हवाएं चलने की निरंतरता बनी हुई है, जिसने कई शहरों को ऊष्मा-द्वीप में बदलकर रहने लायक नहीं रहने दिया है। इसके प्रमुख कारणों में शहरीकरण का बढ़ना और हरियाली का क्षेत्र घटना माना जा रहा है।
ज्यादातर ऊष्मा-द्वीप घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में आमद दर्ज करा रहे हैं। ऐसे इलाकों में बाहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक तापमान का सामना करना पड़ता है। ऊंची इमारतें और अन्य बुनियादी ढांचागत विकास इसके लिए दोषी हैं। यह विकास जल निकायों जैसे प्राकृतिक परिदृश्यों की तुलना में सूर्य की गर्मी को अधिक अवशोषित कर, फिर इस गर्मी का उत्सर्जन करते हैं। ऐसे में हरियाली कम होने के कारण ये उच्च ताप वाले क्षेत्र ऊष्मा-द्वीप में परिवर्तित हो जाते हैं। इन क्षेत्रों में दिन का तापमान लगभग 1-7 डिग्री और रात्रि का तापमान लगभग 2-5 डिग्री तक बढ़ जाता है। इस तापमान के बढ़ने के कारणों में कारों और अन्य वाहनों का दिन-रात आग उगलते रहना भी माना जा रहा है।
एसी और फ्रिज भी निरंतर कार्बनडाई ऑक्साइड उगल रहे हैं। वैसे सामान्य स्थिति में द्वीप का अर्थ समुद्री या नदी-घाटियों में पानी से घिरे उस ऊंचे स्थल से लिया जाता है, जिसके चारों ओर जल भरा होता है। लेकिन अब ऊष्मा-द्वीप वह शहरी इलाके कहलाने लगे हैं, जो बड़े तापमान से झुलस रहे हैं।
सीएसई ने देश में अलग-अलग जलवायु वाले नौ शहरों के अध्ययन में पाया कि जयपुर जैसे शहर में ज्यादा तापमान वाले दिनों में शहर का 99.52 प्रतिशत हिस्सा गर्म हवाओं के केंद्र में आकर ऊष्मा-द्वीप बन जाता है। सतत आवास कार्यक्रम (सस्टेनेबल हैबिटैट प्रोग्राम) के निदेशक रजनी सरीन का कहना है कि हीट सेंटर उस क्षेत्र को कहते हैं जहां जमीनी सतह का तापमान छह साल या उससे अधिक समय में बार-बार मैदानी इलाकों में 45 डिग्री से ऊपर दर्ज किया जा रहा है।