लोकमत संपादकीयः सड़क दुर्घटनाओं को आखिर रोकेगा कौन?

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: February 6, 2019 08:03 AM2019-02-06T08:03:38+5:302019-02-06T08:03:38+5:30

दुर्घटनाएं रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों का तो रावते ने ब्यौरा दिया मगर यातायात नियमों एवं कानूनों के कड़ाई से क्रियान्वयन के बारे में महाराष्ट्र सरकार ने कुछ नहीं कहा.

Lokmat Editorial: road accident should be stop now | लोकमत संपादकीयः सड़क दुर्घटनाओं को आखिर रोकेगा कौन?

लोकमत संपादकीयः सड़क दुर्घटनाओं को आखिर रोकेगा कौन?

यह आम धारणा है कि सड़कें जितनी अच्छी होंगी, दुर्घटनाएं भी उतनी ही कम होंगी. यूरोपीय तथा अन्य विकसित देशों में ऐसा होता होगा मगर भारत में हालात इसके ठीक विपरीत हैं. यहां सड़कें जितनी अच्छी बन रही हैं, हादसे भी उतनी ही तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत में कुछ सड़कें बहुत अच्छी हैं तो अधिकांश की गुणवत्ता बहुत खराब है. इन अच्छी और खराब सड़कों के बीच मानो वाहन चालकों की जान लेने की होड़ सी लगी हुई है. महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री दिवाकर रावते ने सोमवार को सड़क सुरक्षा से जुड़े एक कार्यक्रम में हादसों को लेकर जो बयान दिया, वह अत्यंत चिंतनीय है.

बयान से ऐसा लगता है कि सड़क दुर्घटनाओं में लगातार हर साल वृद्धि हो रही है लेकिन उन पर अंकुश लगाने में सरकार को सफलता नहीं मिल पा रही है. दुर्घटनाएं रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों का तो रावते ने ब्यौरा दिया मगर यातायात नियमों एवं कानूनों के कड़ाई से क्रियान्वयन के बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा. वास्तव में नियमों तथा कानूनों का कड़ाई से पालन करवाने में सरकार के संबंधित विभागों की कोई दिलचस्पी नहीं है क्योंकि उनके निहित स्वार्थ उससे जुड़े हुए हैं.

कानून का पालन ईमानदारी से करवाया जाए तो सड़क दुर्घटनाओं एवं उनमें जान गंवानेवालों या घायल होने वालों की संख्या में भारी कमी आ सकती है. मगर इससे भ्रष्ट अफसरों के निहित स्वार्थ प्रभावित होंगे. इन अफसरों के हौसले भी इसलिए बुलंद रहते हैं कि उन्हें राजनीतिक संरक्षण मिला रहता है. बहरहाल, सड़क हादसों की बात करें. महाराष्ट्र में गत वर्ष 30 हजार सड़क दुर्घटनाएं हुईं और उनमें 13 हजार से ज्यादा लोग मारे गए. मृतकों में अधिकांश की उम्र 25 से 45 वर्ष के बीच थी.

दूसरे शब्दों में राज्य में हर तीसरी सड़क दुर्घटना किसी न किसी व्यक्ति की जान ले लेती है. ज्यादातर हादसे नियमों का उल्लंघन करने के कारण होते हैं. सड़क सुरक्षा के नियमों तथा यातायात कानूनों के बारे में अधिकांश वाहन चालकों को जानकारी ही नहीं है. जिन्हें जानकारी है वे उसका पालन नहीं करने में गर्व समझते हैं. अनियंत्रित गति से वाहन चलाना, शराब पीकर गाड़ी चलाना, सिग्नल तोड़ना, गलत दिशा से गाड़ी मोड़ लेना, बीच सड़क पर भारी वाहन खड़े कर देना, निर्धारित संख्या से ज्यादा सवारी के साथ वाहनों को चलाना ऐसी बातें हैं, जो हमारे देश में आम हैं.

चौक पर खड़ा यातायात सिपाही भी इन सब गलतियों पर ध्यान नहीं देता. उसे हर साल चालान काटने का एक लक्ष्य दे दिया जाता है. वह सिर्फ चालान नहीं काटता बल्कि अपना स्वार्थ भी सिद्ध कर लेता है. यह आरोप लगते रहते हैं कि ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग में इतना ज्यादा भ्रष्टाचार है कि वे यातायात नियमों का पालन करवाने में दिलचस्पी नहीं लेते. भारी वाहनों से लेकर ऑटोवालों तक से उनका ‘अपवित्र’ गठबंधन है. जिस तरह पुलिस तथा आरटीओ की नाक के नीचे यातायात नियमों की धज्जियां उड़ाई जाती हैं, उसे देखते हुए इन आरोपों में दम लगता है.

अचानक ब्रेक फेल हो जाने और सड़कों पर गड्ढों की भरमार भी दुर्घटनाओं का बड़ा कारण है. सड़क हादसे पूरी तरह समाप्त नहीं किए जा सकते लेकिन उन्हें कम करके लाखों अमूल्य जिंदगियां जरूर बचाई जा सकती हैं. इसके लिए संबंधित महकमों में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के साथ-साथ सतत जनजागृति भी जरूरी है.

Web Title: Lokmat Editorial: road accident should be stop now

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