ब्लॉग:जमीनी हकीकत से जुड़े हुए होने चाहिए चुनावी मुद्दे

By विश्वनाथ सचदेव | Published: March 22, 2024 11:33 AM2024-03-22T11:33:36+5:302024-03-22T11:34:27+5:30

आज देश के मतदाता को सत्तारूढ़ पक्ष और विपक्ष दोनों से पूछना है कि उसकी बेहतरी के लिए उनके पास क्या योजना है? विकास का वास्तविक अर्थ है मानव-जीवन की गुणवत्ता में सुधार। सही मायनों में विकास तब होता है जब जीवन के हर स्तर में बेहतरी दिखे, जनता का आत्म-विश्वास बढ़े, स्वतंत्रता अपनी संपूर्णता में जीवन को संवारती दिखे।

Lok Sabha Election 2024 Election issues should be related to ground reality | ब्लॉग:जमीनी हकीकत से जुड़े हुए होने चाहिए चुनावी मुद्दे

ब्लॉग:जमीनी हकीकत से जुड़े हुए होने चाहिए चुनावी मुद्दे

चुनाव आयोग द्वारा आम-चुनाव की घोषणा के साथ ही चुनावी दंगल शुरू हो चुका है. जुलूस, नारे, नेताओं के बयान, रोड शो आदि का शोर जोरों से सुनाई देने लगा है। इस सबको चुनाव की विधिवत शुरुआत भले ही कह लें, पर हकीकत यह है कि अब हमारे देश में चुनाव शुरू नहीं होते, चलते रहते हैं। एक अनवरत प्रक्रिया बन गए हैं चुनाव।

देखा जाए तो यह स्थिति अपने आप में कुछ गलत भी नहीं है, आखिर चुनाव जनतंत्र का उत्सव होते हैं, और ईमानदारी से लड़ी गई चुनावी लड़ाई जनतंत्र की सफलता और सार्थकता को ही प्रमाणित करती है। पर हमारी हकीकत यह भी है कि चुनाव में सब कुछ कहने-करने को स्वीकार्य मान लिया गया है। सिद्धांतहीन राजनीतिक समझौते और आधारहीन दावे और खोखले वादे दुर्भाग्य से हमारे जनतंत्र की पहचान बनते जा रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि जनता इन दावों-वादों की पड़ताल करती रहे।

ऐसा ही एक दावा विकास का है। इसमें कोई संदेह नहीं कि विकास के मोर्चे पर हमने कई सफलताएं अर्जित की हैं। लेकिन विकास की सार्थकता तभी बनती है जब यह बेहतर जिंदगी में परिवर्तित हो. बेहतर जिंदगी का मतलब है हर क्षेत्र में आज बीते हुए कल से बेहतर दिखाई दे और आने वाले कल के लिए उम्मीदें जगाने वाला हो। यह सही है कि हमारी जीडीपी एक सम्मानजनक स्तर पर है। पर सवाल वही है-विकास की यह गति बेहतर जिंदगी में परिवर्तित हो रही है या नहीं? जनवरी 2024 में हमारी बेरोजगारी दर 6.8% थी। फरवरी में यह प्रतिशत बढ़कर आठ हो गई। महंगाई के आंकड़े भी कुछ ऐसा ही चित्र प्रस्तुत करते हैं।

महंगाई और बेरोजगारी का यह मुद्दा आम-चुनाव का बड़ा मुद्दा बनना चाहिए था। पर अभी तक विपक्ष इसे बड़ा मुद्दा बनाने में सफल नहीं हो पाया है। होना तो यह चाहिए कि चुनाव में सत्तारूढ़ पक्ष अपनी उपलब्धियों का लेखा-जोखा मतदाता के समक्ष रखे और विपक्ष सत्तारूढ़ पक्ष की कमियों-असफलताओं को उजागर करके बेहतर नीतियों के आधार पर वोट मांगे, लेकिन हो यह रहा है कि आकर्षक वादों और आधारहीन दावों के बल पर चुनाव लड़ा-लड़ाया जा रहा है। ऐसे में मतदाता का दायित्व बनता है कि वह सत्ता के लिए लड़ने वाले नेताओं और राजनीतिक दलों से उनके दावों- वादों के आधार के बारे में पूछे।

आज देश के मतदाता को सत्तारूढ़ पक्ष और विपक्ष दोनों से पूछना है कि उसकी बेहतरी के लिए उनके पास क्या योजना है? विकास का वास्तविक अर्थ है मानव-जीवन की गुणवत्ता में सुधार। सही मायनों में विकास तब होता है जब जीवन के हर स्तर में बेहतरी दिखे, जनता का आत्म-विश्वास बढ़े, स्वतंत्रता अपनी संपूर्णता में जीवन को संवारती दिखे। क्या ऐसा हो रहा है, यह सवाल मतदाता को खुद से पूछना होगा। इस प्रश्न का सम्यक उत्तर ही उसे सही के पक्ष में खड़े होने का अवसर देगा। 

Web Title: Lok Sabha Election 2024 Election issues should be related to ground reality

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