ब्लॉगः महाराष्ट्र में एक साथ होंगे लोकसभा, विधानसभा चुनाव !
By हरीश गुप्ता | Published: March 30, 2023 11:14 AM2023-03-30T11:14:33+5:302023-03-30T11:15:40+5:30
प्रधानमंत्री ने पिछले दो महीनों में दो बार मुंबई का दौरा किया और राज्य को बड़े पैमाने पर परियोजनाएं दी हैं। फिर भी अभी तक बीएमसी चुनाव के लिए कोई घोषणा नहीं हुई है। इसी वजह से यह पता लगाने के लिए नए सिरे से सर्वेक्षण के आदेश दिए गए थे कि क्या एक साथ चुनाव कराने से गठबंधन के सहयोगियों को मदद मिल सकती है।
अब यह स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है कि भाजपा नेतृत्व अगले वर्ष अप्रैल-मई 2024 में महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव करा सकता है। यदि सत्तारूढ़ दल के संकेतों को मानें तो भाजपा विधानसभा चुनावों को समय से पहले अर्थात लोकसभा चुनाव के साथ करा सकती है। यह मजबूत धारणा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करिश्मा महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार को विधानसभा चुनावों में भी जबरदस्त मदद करेगा। पार्टी ने कुछ आंतरिक सर्वेक्षण किए हैं जिन्होंने संकेत दिया है कि शिवसेना के जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच उद्धव ठाकरे के पक्ष में एक सहानुभूति फैक्टर काम कर रहा है। काफी हद तक इस कारण से गठबंधन सरकार बहुप्रतीक्षित बीएमसी चुनाव नहीं करा रही है।
प्रधानमंत्री ने पिछले दो महीनों में दो बार मुंबई का दौरा किया और राज्य को बड़े पैमाने पर परियोजनाएं दी हैं। फिर भी अभी तक बीएमसी चुनाव के लिए कोई घोषणा नहीं हुई है। इसी वजह से यह पता लगाने के लिए नए सिरे से सर्वेक्षण के आदेश दिए गए थे कि क्या एक साथ चुनाव कराने से गठबंधन के सहयोगियों को मदद मिल सकती है। नतीजे सकारात्मक रहे और अब राज्य इकाई की हरी झंडी मिलने के बाद इस मामले को केंद्रीय भाजपा देख रही है। दिलचस्प बात यह है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना अपने पत्ते नहीं खोल रही है। हालांकि उसे इस प्रस्ताव पर विचार करने से कोई गुरेज नहीं है।
लेकिन एक साथ चुनाव कराने के कदम ने महाविकास आघाड़ी (एमवीए) के भागीदारों को परेशान कर दिया है। शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की भागीदारी वाली महाविकास आघाड़ी लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे के फार्मूले को सौहार्द्रपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए कड़ी मेहनत कर रही थी। ऐसी चर्चा है कि इस फॉर्मूले के तहत ठाकरे गुट 21 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ सकता है, जबकि राकांपा 19 और कांग्रेस 8 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। हालांकि औपचारिक फैसला अभी दूर है। पार्टियां 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के नतीजे का इंतजार करना चाहेंगी। इस बीच, भाजपा राज्य में अन्य दलों के लोगों को आकर्षित करने में व्यस्त है। राज्य भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने साफ शब्दों में कहा है, “हमारे दरवाजे सभी के लिए खुले हैं। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जो लोग हमसे जुड़ें, उनके कद का सम्मान किया जाए।’’
रोहिणी को महंगा पड़ा ट्वीट
दो बेटों की मां रोहिणी आचार्य के बारे में सुना है कि भारत में एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद अपने परिवार के साथ सिंगापुर में बस गईं। उन्होंने एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर समरेश सिंह से शादी की और चिकित्सा पेशे में जाने के बजाय गृहिणी बनने का विकल्प चुना। उनका नाम तब खबरों में आया जब उन्होंने अपने पिता लालू प्रसाद यादव को अपनी किडनी दी और मुश्किल दिनों में उनकी देखभाल की। सिंगापुर से जब वे दिल्ली आईं तो सीबीआई ने उनसे दोबारा पूछताछ करने के लिए उनके आवास पर दस्तक दी। गुस्से में रोहिणी ने 7 मार्च, 2023 को चेतावनी देते हुए ट्वीट किया- ‘अगर पापा को कुछ हुआ तो।।।मैं छोड़ूंगी नहीं।।।’ यह एक बेटी की त्वरित प्रतिक्रिया थी। लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि समय बदल गया है। जांच एजेंसी ने सीबीआई द्वारा नौकरी के लिए जमीन घोटाले में संदिग्धों की सूची में अचानक रोहिणी का नाम शामिल कर लिया। लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, वर्तमान में उपमुख्यमंत्री पुत्र तेजस्वी यादव, पुत्री मीसा भारती और परिवार के दो अन्य सदस्य पहले से ही भूमि-नौकरी घोटाले में आरोपी हैं, जब वे 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री थे। आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। रोहिणी का नाम कभी नहीं आया। लेकिन अब उन्हें इसका सामना करना पड़ेगा।
मनमोहन सिंह ने भी दिखाया था दम
चाणक्यपुरी में ब्रिटिश उच्चायोग और आयुक्त के कार्यालय व आवासीय परिसर के बाहर सरकार द्वारा बैरिकेड्स और सुरक्षा हटा लेने पर पीएम मोदी को प्रशंसा मिली। लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हमले और मुट्ठी भर प्रदर्शनकारियों द्वारा भारतीय ध्वज को हटाने के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की। लेकिन कुछ लोगों को याद होगा कि मोदी के पूर्ववर्ती डॉ. मनमोहन सिंह ने 2013 में भारत में अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों से सभी सुरक्षा कवर वापस ले लिए थे, जब न्यूयॉर्क में एक आईएफएस अधिकारी देवयानी खोब्रागड़े को गिरफ्तार किया गया था और उनके कपड़े उतरवाकर तलाशी ली गई थी।
अतीत में भारत तब झुक गया था, जब वरिष्ठ राजनयिकों की अपमानजनक तलाशी ली गई थी। यहां तक कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम और पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस को भी इस तरह अपमानित होना पड़ा था। अमेरिकी सरकार ने मामले को समझा और इसको सौहार्द्रपूर्ण ढंग से सुलझा लिया गया।
केजरीवाल ने क्यों बदला पाला
आप के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इतने सालों से अकेले चुनाव लड़ने के बाद अपनी रणनीति में बदलाव कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा पर अपना शाब्दिक हमला तेज कर दिया है और अब कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों से हाथ मिलाने का फैसला किया है, जिसे उन्होंने पहले छोड़ दिया था। आम आदमी पार्टी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के 27 मार्च को उनके आवास पर रात के खाने के निमंत्रण में शामिल हुई और साथ चलने का फैसला किया। हालांकि उनकी पार्टी अकेले लोकसभा चुनाव लड़ सकती है लेकिन इस बात के पर्याप्त संकेत हैं कि आम आदमी पार्टी की राज्यों में कुछ विपक्षी पार्टियों के साथ मौन सहमति हो सकती है। उदाहरण के लिए, उन्होंने कांग्रेस को दिल्ली में सात में से 2-3 लोकसभा सीटें साझा करने के संकेत दिए हैं। कांग्रेस ने अभी तक जवाब नहीं दिया है। शायद अपने कई मंत्रियों को सलाखों के पीछे डाले जाने के बाद केजरीवाल भी आंच महसूस कर रहे हैं और यह आशंका बनी हुई है कि उन्हें भी शराब घोटाले में घसीटा जाएगा। फिलहाल तो एकता दिखाई दे रही है, भले ही यह थोड़े समय के लिए हो।