ब्लॉग: नए वर्ष की सुनहरी तस्वीर के साथ चुनौतियों की रेखाएं

By आलोक मेहता | Updated: December 30, 2024 07:29 IST2024-12-30T07:28:54+5:302024-12-30T07:29:00+5:30

एक केंद्र शासित दिल्ली और दूसरे विशाल बिहार के चुनाव कई मायनों में भारत के राजनैतिक दलों की दशा-दिशा और भविष्य तय करने वाले हैं.

lines of challenges with golden picture of new year | ब्लॉग: नए वर्ष की सुनहरी तस्वीर के साथ चुनौतियों की रेखाएं

ब्लॉग: नए वर्ष की सुनहरी तस्वीर के साथ चुनौतियों की रेखाएं

लंदन से आए एक मित्र ने पिछले दिनों मुझसे जानना चाहा कि नए वर्ष 2025 में भारत की राजनीतिक, आर्थिक स्थिति और शक्ति कैसी होगी ? मेरा उत्तर था कि भारत की वर्तमान प्रगति को देखते हुए यह कह सकता हूं कि 2025 में भारत की राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक शक्ति न केवल बढ़ेगी, बल्कि दुनिया के लिए निर्णायक भूमिका निभा सकती है.

आशावादी होने के कारण हम जैसे पत्रकार यह कह सकते हैं कि सारी कमियों, गड़बड़ियों, हिंसा, आंदोलन और भ्रष्टाचार आदि के बावजूद भारत कमजोर नहीं होने वाला है. वर्ष की शुरुआत ही प्रयाग के महाकुम्भ पर्व से होने वाली है, जो धार्मिक, सांस्कृतिक आस्था के साथ करोड़ों लोगों को जोड़ने वाला है.  इसी तरह 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर रुसी राष्ट्रपति या अन्य राष्ट्राध्यक्ष के परेड समारोह में भारत की बढ़ती आधुनिक सैन्य शक्ति और भारत में तेजी से हो रही आर्थिक प्रगति, सामाजिक, सांस्कृतिक विविधता के साथ एकता के दर्शन दुनिया को होंगे.

पिछले दस वर्षों और खासकर 2024  में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार, संसद और सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए गए ऐतिहासिक फैसलों का लाभ 2025 में दिखने लगेगा. शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रादेशिक स्वायत्तता और प्रतियोगिता के कारण बेटियों को पढ़ाने-बढ़ाने और आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य की लाभकारी योजनाओं का लाभ मिलता दिखाई देगा.

लोग इस बात पर ध्यान नहीं देते कि सम्पन्न विकसित देश अमेरिका के सर्वशक्तिमान राष्ट्रपति भी ओबामा केयर स्वास्थ्य योजना लागू नहीं कर सके हैं. इसी तरह ब्रिटेन में तो सामान्य जनता की नेशनल हेल्थ सर्विस बुरी तरह चरमराई हुई है. भारत में सरकारी या प्राइवेट अस्पताल अथवा छोटे क्लीनिक के अलावा आयुर्वेदिक प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र उपलब्ध हैं. अब तो ब्रिटेन के किंग चार्ल्स  के परिवार को प्राकृतिक चिकित्सा के लिए भारत आना पड़ रहा है.

नए वर्ष का प्रारम्भ दिल्ली विधानसभा चुनाव से होगा और साल की अंतिम तिमाही में बिहार विधानसभा के चुनाव होने हैं. एक केंद्र शासित दिल्ली और दूसरे विशाल बिहार के चुनाव कई मायनों में भारत के राजनैतिक दलों की दशा-दिशा और भविष्य तय करने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने जिस तरह जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को खत्म करने और  संसद, विधानसभाओं में महिला आरक्षण के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए, उसी तरह समान नागरिक संहिता और एक देश एक चुनाव के अपने लक्ष्य को अधिकाधिक  समर्थन जुटाकर संसद से स्वीकृति लेकर नया इतिहास बनाने की चुनौती रहने वाली है. इन निर्णयों के दूरगामी परिणाम होंगे.

विश्व में अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, रुसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ भारत के समान स्तर पर घनिष्ठ संबंधों का असर नए वर्ष में दिखेगा.

Web Title: lines of challenges with golden picture of new year

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