प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: केन-बेतवा के जुड़ने से खुशहाल होगा बुंदेलखंड

By प्रमोद भार्गव | Published: February 4, 2022 01:48 PM2022-02-04T13:48:13+5:302022-02-04T13:48:13+5:30

इस ब्लॉग में प्रमोद भार्गव बुंदेलखंड के लिए केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के महत्व को बता रहे हैं। इस परियोजना को वर्ष 2005 में मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन पानी के बंटवारे को लेकर विवाद बना हुआ था।

Ken-Betwa river link project may prosper Bundelkhand | प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: केन-बेतवा के जुड़ने से खुशहाल होगा बुंदेलखंड

प्रमोद भार्गव का ब्लॉग: केन-बेतवा के जुड़ने से खुशहाल होगा बुंदेलखंड

केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना के लिए बजट में जो 1400 करोड़ की राशि मिली है, निश्चित रूप से उससे बुंदेलखंड में खुशहाली आएगी। भारत सरकार से स्वीकृति मिलने के बाद इसकी सभी बुनियादी बाधाएं पहले ही दूर हो गई थीं। इस परियोजना को जमीन पर उतारने के लिए 44605 करोड़ की राशि देने का प्रावधान किया गया था, जिसमें 2022-23 के बजट में पहली किस्त के रूप में 1400 करोड़ रुपए प्रस्तावित कर दिए गए हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 'नदी जोड़ो अभियान' की जो परिकल्पना की थी, उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साकार कर दिया. इस परियोजना को जमीन पर उतारने के परिप्रेक्ष्य में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश की पहली अंतरराज्यीय नदी जोड़ो परियोजना के तहत केन और बेतवा नदियों को जोड़ने वाले समझौता-पत्र पर पहले ही हस्ताक्षर कर दिए थे।

यह मंजूरी जल शक्ति अभियान ‘कैच द रन’ के तहत अमल में लाई जाएगी। साफ है, इस परियोजना से कृषि तो फले-फूलेगी ही, कृषि आधारित उद्योग भी पनपेंगे और लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध होगा। बाढ़ और सूखे से परेशान देश में नदियों के संगम की परियोजना मूर्त रूप लेने जा रही है, यह देशवासियों के लिए प्रसन्नता की बात है।

5500 अरब रुपए की यह परियोजना सफल होती है तो भविष्य में 60 अन्य नदियों के मिलन का रास्ता खुल जाएगा। दरअसल बढ़ते वैश्विक तापमान, जलवायु परिवर्तन और बदलते वर्षा चक्र के चलते जरूरी हो गया है कि नदियों के बाढ़ के पानी को इकट्ठा किया जाए और फिर उसे सूखाग्रस्त क्षेत्रों में नहरों के जरिए भेजा जाए। ऐसा संभव हो जाता है तो पेयजल की समस्या का निदान तो होगा ही, सिंचाई के लिए भी किसानों को पर्याप्त जल मिलने लग जाएगा।

वैसे भी भारत में विश्व की कुल आबादी के करीब 18 प्रतिशत लोग रहते हैं और उपयोगी जल की उपलब्धता महज 4 प्रतिशत है। कृत्रिम रूप से जीवनदायी नर्मदा और मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदियों को जोड़ने का काम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पहले ही कर चुके हैं, चूंकि ये दोनों नदियां मध्य-प्रदेश में बहती थीं, इसलिए इन्हें जोड़ा जाना संभव हो गया था।

केन और बेतवा नदियों को जोड़ने की तैयारी में मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश की सरकारें बहुत पहले से जुटी थीं। इस परियोजना को वर्ष 2005 में मंजूरी भी मिल गई थी, लेकिन पानी के बंटवारे को लेकर विवाद बना हुआ था। अब चूंकि प्रदेश और केंद्र में एक ही दल भाजपा की सरकारें हैं, लिहाजा उम्मीद की जा सकती है कि बाधाएं भी जल्दी दूर हो जाएं।

Web Title: Ken-Betwa river link project may prosper Bundelkhand

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे