ब्लॉग: आतंकवाद का मुकाबला करने को प्राथमिकता देनी होगी
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: July 5, 2024 11:38 IST2024-07-05T11:36:59+5:302024-07-05T11:38:41+5:30
कजाकिस्तान की अध्यक्षता में अस्ताना में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद को पोषित करने वाले देशों को बेनकाब किया जाना चाहिए. ऐसा पहली बार नहीं कहा गया है.

फाइल फोटो
कजाकिस्तान की अध्यक्षता में अस्ताना में हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद को पोषित करने वाले देशों को बेनकाब किया जाना चाहिए. ऐसा पहली बार नहीं कहा गया है.
चिंता इस बात की है कि इस समस्या को बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की जरूरत पड़ती है. जाहिर है आतंकवादी किसी भी भाषा में आतंकवादी ही होता है, और किसी को भी आतंकवाद की अलग व्याख्या के आधार पर उसे माफ या बचाव करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए.
उधर, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस मौके पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के सामने भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला है. उन्होंने जोर देकर कहा कि उग्रवाद का सफाया करना आर्थिक विकास की पूर्व शर्त है.
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने कुछ दिन पहले ही भारत पर आरोप लगाया था कि भारतीय खुफिया एजेंसी बलूच आतंकियों को मदद दे रही है जो चीनी नागरिकों को निशाना बना रहे हैं. यह तो वही बात हुई, ‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’. यह बात पाकिस्तान को कब समझ में आएगी कि हम सबको मिलकर आंतकवाद का मुकाबला करना होगा, क्योंकि आतंकवाद तो पूरी मानवता के लिए खतरा है, इसलिए सिर्फ कुछ देशों की रणनीति से काम नहीं चलेगा.
आतंकवादी किसी सीमा, जाति या धर्म को नहीं जानते. उनमें कोई मानवीय हृदय नहीं है. वे मनुष्य हैं, लेकिन हृदय और आत्मा से रहित हैं. आतंकवाद किसी धार्मिक आचार संहिता का पालन नहीं करता. यह किसी धर्म से संबंधित नहीं है. यह केवल सांप्रदायिक सद्भाव को नष्ट करने और निर्दोष लोगों के मन में भय पैदा करने के लिए विनाश और हिंसा की संहिता का पालन करता है. आतंकवादी अपराधी हैं और मानवता, देश और दुनिया के लिए खतरा भी.
आतंकवाद अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है. आधुनिक समय में आतंकवाद बद से बदतर होता जा रहा है, जिसमें कई तरह के सामाजिक अपराध शामिल होने लगे हैं. नशीले पदार्थों की तस्करी से लेकर मानव तस्करी, हत्या और हिंसा से लेकर इंसानों को नुकसान पहुंचाने तक, यह कई सामाजिक पहलुओं में उलझा हुआ है.
आतंकवाद का मानव अधिकारों पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिसका असर व्यक्तियों, खास तौर पर आतंकवाद के शिकार लोगों के जीवन, स्वतंत्रता पर पड़ता है. आतंकवाद लोकतंत्र पर भी हमला करता है. कहने का अर्थ यह कि आतंकवाद के सभी कृत्य अनुचित हैं, चाहे उनका उद्देश्य कुछ भी हो, चाहे वे कहीं भी, कभी भी और किसी के द्वारा भी किए गए हों.
आतंकवाद का मुकाबला करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और यही शंघाई सहयोग संगठन के मूल लक्ष्यों में से एक है. सीमा पार आतंकवाद का निर्णायक उत्तर देने की आवश्यकता है. हमें वैश्विक रणनीति बनानी होगी, वैश्विक सहयोग लेना होगा.