ब्लॉग: कर्नाटक में कल विधानसभा चुनाव के लिए मतदान...देश की दिशा भी बताएगा इस दक्षिणी राज्य का जनादेश

By राजकुमार सिंह | Published: May 9, 2023 11:25 AM2023-05-09T11:25:57+5:302023-05-09T11:28:29+5:30

कर्नाटक में कल चुनाव है. यह भी दिलचस्प है कि 1977 में जब पहली बार कांग्रेस केंद्र की सत्ता से बेदखल हुई और इंदिरा गांधी तक रायबरेली से लोकसभा चुनाव हार गईं, तब उन्हें कर्नाटक ने ही सहारा दिया था.

Karnataka Assembly Election 2023: mandate of this southern state will also hint of 2024 General Elections | ब्लॉग: कर्नाटक में कल विधानसभा चुनाव के लिए मतदान...देश की दिशा भी बताएगा इस दक्षिणी राज्य का जनादेश

देश की दिशा भी बताएगा कर्नाटक का जनादेश (फाइल फोटो)

दस मई को मतदान के बाद 13 मई को मतगणना से पता चल जाएगा कि प्रमुख दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में चुनावी ऊंट किस करवट बैठा. अतीत बताता है कि खुद पर कॉपीराइट की किसी की गलतफहमी कर्नाटक ने ज्यादा बर्दाश्त नहीं की. यह सही है कि कर्नाटक ने ही दक्षिण भारत में भाजपा के लिए सत्ता सिंहासन के द्वार खोले, पर सच यह भी है कि यह पहला प्रवेश द्वार अभी तक एकमात्र प्रवेश द्वार भी है. 

वैसे नजरअंदाज इस सच को भी नहीं किया जा सकता कि 1977 में जब पहली बार कांग्रेस केंद्र की सत्ता से बेदखल हुई और उसकी सर्वोच्च नेता इंदिरा गांधी तक रायबरेली से लोकसभा चुनाव हार गईं, तब उन्हें कर्नाटक ने ही सहारा दिया था. चिकमंगलूर क्षेत्र से उपचुनाव जीत कर इंदिरा गांधी लोकसभा पहुंची थीं. कर्नाटक का एक और सच यह भी है कि 1989 में कांग्रेस को दूसरी बार केंद्रीय सत्ता से बेदखल करनेवाले जनता दल का गठन भी 11 अक्तूबर, 1988 को बेंगलुरु में ही हुआ था.  

इस बार भी कर्नाटक में सत्ता के तीन परंपरागत दावेदार हैं. वैसे असल दावेदार तो दो ही हैं, तीसरे की भूमिका की गुंजाइश तभी बनेगी, जब पिछली बार की तरह खंडित जनादेश आएगा. ध्यान रहे कि 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा 104 सीटें जीत कर सबसे बड़ा दल तो बनी, पर बहुमत से पिछड़ गई. 77 सीटों के साथ कांग्रेस दूसरा बड़ा दल रही, और तब सरकार बनाने की चाबी तीसरे नंबर के दल जद (एस) के हाथ लग गई. परिणामस्वरूप जो नाटकीय घटनाक्रम चला, सबने देखा. 

कर्नाटक के सबसे बड़े समुदाय लिंगायत के सबसे बड़े नेता येदियुरप्पा चुनाव प्रचार का चेहरा तो हैं, पर मुख्यमंत्री पद के दावेदार नहीं. हालांकि भावी मुख्यमंत्री का फैसला भाजपा संसदीय दल द्वारा करने की बात कही जा रही है, लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, येदियुरप्पा की जगह तो ले ही चुके हैं. ध्यान रहे कि बोम्मई भी लिंगायत समुदाय से हैं. टिकट न मिलने पर लिंगायत समुदाय के ही एक बड़े नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार तथा उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी भाजपा को अलविदा कह कर कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं.

उधर कांग्रेस में भी सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार के परंपरागत चेहरे हैं, जो क्रमश: कुरुबा और वोक्कालिंगा समुदाय से आते हैं. कांग्रेस ने भी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया है. इसलिए अन्य दावेदार भी अपने हिसाब से चुनाव प्रचार और दांवपेंच में जुटे रहे. पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवगौड़ा के परिवार के वर्चस्ववाले जद (एस) में दावेदारों का ऐसा दंगल नहीं है. वहां देवगौड़ा के पुत्र एच.डी. कुमारस्वामी ही एकमात्र चेहरा हैं, जो अतीत में भाजपा और कांग्रेस, दोनों से ही हाथ मिला कर मुख्यमंत्री पद का सुख भोग चुके हैं.

Web Title: Karnataka Assembly Election 2023: mandate of this southern state will also hint of 2024 General Elections

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