ललित गर्ग का ब्लॉग: नृत्य है अपूर्व शांति का माध्यम
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: April 29, 2022 02:49 PM2022-04-29T14:49:08+5:302022-04-29T14:53:17+5:30
नृत्य की उत्पत्ति भारत में हुई है. यहां की नृत्य कला बेहद प्राचीन है, कहते हैं नृत्य की उत्पत्ति त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने की और उन्होंने नृत्य वेद तैयार किया.
ललित गर्ग
अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस पूरे विश्व में 29 अप्रैल को मनाया जाता है. इसकी शुरुआत 29 अप्रैल 1982 को हुई. ‘बैले के शेक्सपियर’ की उपाधि से सम्मानित महान् रिफॉर्मर एवं लेखक जीन जॉर्ज नावेरे के जन्म दिवस की स्मृति में यूनेस्को के अंतर्राष्ट्रीय थिएटर इंस्टीट्यूट की डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया. जीन जॉर्ज नावेरे ने 1760 में ‘लेर्टा ऑन द डांस’ नाम से एक पुस्तक लिखी थी, जिसमें नृत्य कला की बारीकियों को प्रस्तुत किया गया.
नृत्य की उत्पत्ति भारत में ही हुई है. यहां की नृत्य कला अति प्राचीन है, कहा जाता है कि यहां नृत्य की उत्पत्ति त्रेतायुग में देवताओं की विनती पर ब्रह्माजी ने की और उन्होंने नृत्य वेद तैयार किया. तभी से नृत्य की उत्पत्ति संसार में मानी जाती है. इस नृत्य वेद में सामवेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद व ऋग्वेद से कई चीजों को शामिल किया गया और जब नृत्य वेद की रचना पूरी हो गई, तब नृत्य करने का अभ्यास भरत मुनि के सौ पुत्रों ने किया. नृत्य खुशी, शांति, संस्कृति और सभ्यता को जाहिर करने की एक प्रदर्शन-कला है.
नृत्य के प्रमुख प्रकारों में कथकली शामिल है, जो 17वीं शताब्दी में केरल राज्य से आया. इस नृत्य में आकर्षक वेशभूषा, इशारों व शारीरिक थिरकन से पूरी कहानी को दर्शाया जाता है.
मोहिनीअट्टम नृत्य भी केरल राज्य का है. यह नृत्य कलाकार के भगवान के प्रति प्रेम व समर्पण को दर्शाता है. इसमें नृत्यांगना सुनहरे बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहनकर नृत्य करती है. ओडिसी ओडिशा राज्य का प्रमुख नृत्य है. यह भगवान कृष्ण के प्रति अपनी आराधना व प्रेम दर्शाता है.
कथक लोक नृत्य की उत्पत्ति उत्तरप्रदेश में हुई है, जिसमें राधाकृष्ण की नटवरी शैली को प्रदर्शित किया जाता है. भरतनाट्यम नृत्य एक शास्त्रीय नृत्य है जो तमिलनाडु राज्य का है. जबकि कुचिपुड़ी नृत्य की उत्पत्ति आंध्रप्रदेश में हुई.