लाइव न्यूज़ :

प्रेरित करता है गुमनाम नायकों का सम्मान

By विवेक शुक्ला | Updated: January 28, 2025 07:21 IST

हिंदुस्तानियों को करीब चार दशक पहले अपनी कार चलाने का सपना दिखाया था जापान के उद्यमी ओसामु सुजुकी ने. उन्होंने सुजुकी मोटर्स और भारत सरकार के उपक्रम मारुति उद्योग के साथ मिलकर मारुति-800 कार लाॅन्च की.

Open in App

गणतंत्र दिवस पर दिए जाने वाले देश के प्रमुख नागरिक सम्मान एक बार फिर से कुछ मशहूर और कुछ मीडिया की सुर्खियों से दूर रहने वाली हस्तियों को मिले. ये पहली बार हुआ कि दो विजेता सौ साल से अधिक उम्र के हैं. सौ वसंत देख चुकीं गोवा की आजादी के लिए लड़ीं लीबिया लोबो सरदेसाई को पद्मश्री सम्मान मिला है.

उन्होंने 1955 में पुर्तगाली शासन के खिलाफ जनता को एकजुट करने के लिए भूमिगत रेडियो स्टेशन ‘वोज दा लिबर्ड’ (आजादी की आवाज) की स्थापना की थी.

सरदेसाई की तरह प्रो. रामदरश मिश्र भी 100 साल से अधिक उम्र के हैं. उनका दिल्ली यूनिवर्सिटी से सन्‌ 1964 में जो संबंध बना, वह निरंतर जारी है. वे अब भी यहां के कॉलेजों में आयोजित होने वाली गोष्ठियों और अन्य कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. हिंदी के जाने-माने कवि, कथाकार, उपन्यासकार, गद्यकार, आलोचक प्रो. रामदरश मिश्र ने 1964 में पीजीडीएवी कॉलेज में पढ़ाना आरंभ किया था. प्रो. मिश्र को पद्मश्री सम्मान मिला. अब ये सम्मान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा आगामी मार्च या अप्रैल में राष्ट्रपति भवन में होने वाले भव्य कार्यक्रम में दिए जाएंगे.

हिंदुस्तानियों को करीब चार दशक पहले अपनी कार चलाने का सपना दिखाया था जापान के उद्यमी ओसामु सुजुकी ने. उन्होंने सुजुकी मोटर्स और भारत सरकार के उपक्रम मारुति उद्योग के साथ मिलकर मारुति-800 कार लाॅन्च की. कह सकते हैं कि सुजुकी ने भारत में ऑटो क्रांति की नींव रखी. उन्हीं सुजुकी को देश के 75 वें गणतंत्र दिवस पर मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया है. शारदा सिन्हा को भी पद्म विभूषण सम्मान दिए जाने से करोड़ों भोजपुरी भाषी प्रसन्न होंगे. कुछ माह पहले ही उनका निधन हुआ है.

इस बार के पद्म सम्मान कई उन विभूतियों को भी दिए गए जो मीडिया की सुर्खियों से दूर रहकर अपना काम कर रहे हैं. अब गोकुल चंद्र डे को ही लें. पश्चिम बंगाल के 57 वर्षीय ढाक वादक गोकुल चंद्र डे को पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्र ढाक वादन में बहुत बड़ी संख्या में महिलाओं को प्रशिक्षित करके लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ने के उनके प्रयासों के लिए पहचाना गया और पद्मश्री से नवाजा गया. डे ने पारंपरिक संस्करण की तुलना में 1.5 किलोग्राम कम वजन वाला हल्का ढाक वाद्य यंत्र बनाकर नवाचार भी किया.

अमेरिकी मूल की  82 वर्षीय महिला सैली होलकर ने खत्म हो रहे माहेश्वरी शिल्प को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्होंने पारंपरिक बुनाई तकनीकों में प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए महेश्वर, मध्य प्रदेश में एक हथकरघा स्कूल की स्थापना की. पारंपरिक कलाओं को बढ़ावा देने और महिलाओं को सशक्त बनाने के उनके अथक प्रयासों ने उन्हें पद्मश्री दिलाया है.

पद्म पुरस्कार 2025 उन व्यक्तियों की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हैं जिन्होंने समाज पर महत्वपूर्ण असर डाला है. 

टॅग्स :गणतंत्र दिवसभारतयेलिपेड्डी पद्मश्री वारियरपद्म श्री
Open in App

संबंधित खबरें

भारतबाबासाहब ने मंत्री पद छोड़ते ही तुरंत खाली किया था बंगला

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो ने 5वें दिन की सैकड़ों उड़ानें की रद्द, दिल्ली-मुंबई समेत कई शहरों में हवाई यात्रा प्रभावित

भारतPutin Visit India: भारत का दौरा पूरा कर रूस लौटे पुतिन, जानें दो दिवसीय दौरे में क्या कुछ रहा खास

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत