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ब्लॉग: सतर्क रहे भारत, भूटान की देहरी तक आने की कोशिश में लगा है चीन

By प्रमोद भार्गव | Updated: November 17, 2023 15:29 IST

भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने इसी माह बीते दिनों आठ दिन की यात्रा की है। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बातचीत की। भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर चल रही वार्ता और भूटान के चीन के प्रति बदलते नरम रुख के चलते इस यात्रा को अत्यंत अहम माना जा रहा है।

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ठळक मुद्देभारत और भूटान दोनों का चीन के साथ सीमा विवाद हैचीन और भूटान की 600 किमी की सीमा जुड़ी हैइसमें सबसे ज्यादा गंभीर मामला डोकलाम का है, जहां चीन, भारत और भूटान इन तीनों देशों से सीमा जुड़ती है

भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक ने इसी माह बीते दिनों आठ दिन की यात्रा की है। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से बातचीत की। भूटान और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर चल रही वार्ता और भूटान के चीन के प्रति बदलते नरम रुख के चलते इस यात्रा को अत्यंत अहम माना जा रहा है।

क्योंकि कुछ समय पहले ही भूटान के विदेश मंत्री टांडी दोरजी ने चीन की राजधानी बीजिंग की यात्रा की थी। 23 अक्तूबर 2023 को दोरजी के साथ चीनी विदेश मंत्री वांग यी और इसके अगले दिन चीन के राष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की थी। सीमा विवाद सुलझाने की बातचीत हुई थी। इसके पहले अक्तूबर-2021 में चीन और भूटान ने ‘थ्री-स्टेप रोडमैप’ के समझौते पर दस्तखत किए थे।

तभी से भारत भूटान को लेकर चिंतित है, क्योंकि भारत को लग रहा है कि चीन भूटान की देहरी तक आने की कोशिश में लगा है। दोरजी की चीन यात्रा के बाद हुई बातचीत के जो संकेत मिले थे, वे भारत के लिए स्वाभाविक रूप से चिंताजनक थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भूटान नरेश जिग्मे खेसर के बीच हुई बातचीत से साफ है, कि अब भूटान एकाएक चीन से बहुत गहरे संबंध स्थापित नहीं करेगा। 

भारत और भूटान दोनों का चीन के साथ सीमा विवाद है। चीन और भूटान की 600 किमी की सीमा जुड़ी है। इसमें सबसे ज्यादा गंभीर मामला डोकलाम का है, जहां चीन, भारत और भूटान इन तीनों देशों से सीमा जुड़ती है। भारत-डोकलाम को लेकर अत्यंत सतर्क है, क्योंकि यह संवेदनशील सिलीगुड़ी गलियारा (चिकननेक) के साथ जुड़ा हुआ है। यही गलियारा भारत को उत्तर-पूर्व क्षेत्र से जोड़ता है। चीन ने भूटान को डोकलाम में भूमि परिवर्तन यानी जमीन की अदला-बदली का प्रस्ताव दिया है। 

भारत इस प्रस्ताव से सशंकित है। क्योंकि इस बदलाव के बाद चीन का इस गलियारे तक पहुंचना तो आसान हो ही जाएगा, भारत के लिए एक खतरा भी उत्पन्न हो जाएगा। हालांकि भारत और भूटान के बीच 1949 में एक संधि हुई है, जिसके अंतर्गत भूटान की विदेश नीति, व्यापार और सुरक्षा गारंटी भारत के पास है। 2007 तक विदेश नीति भी भारत के पास थी, इस प्रावधान को अब खत्म कर दिया है। चालाकी बरतते हुए चीन ने विवादित डोकलाम क्षेत्र को नया नाम डोगलांग दे दिया था, जिससे यह क्षेत्र उसकी विरासत का हिस्सा लगे।

इस क्षेत्र को लेकर चीन और भूटान के बीच कई दशकों से विवाद जारी है। चीन इस पर अपना मालिकाना हक जताता है, जबकि वास्तव में यह भूटान के स्वामित्व का क्षेत्र है। चीन सड़क के बहाने इस क्षेत्र में स्थाई घुसपैठ की। कोशिश में है, जबकि भूटान इसे अपनी संप्रभुता पर हमला मानता रहा है।

टॅग्स :चीनभारतChina Daily
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