ब्लॉग: बदलते समीकरणों में रूस के साथ संबंधों में लौटती मजबूती
By शोभना जैन | Published: December 11, 2021 10:55 AM2021-12-11T10:55:16+5:302021-12-11T10:58:02+5:30
रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन हाल ही में भारत-रूस की 21वीं वार्षिक शिखर बैठक में हिस्सा लेने भारत आए. इस यात्रा से ऐसा लगा कि बदलते सत्ता समीकरणों में अनेक वैश्विक मुद्दों पर बढ़ते फासलों को दोनों ही द्विपक्षीय संबंधों पर हावी नहीं होने देने के लिए प्रयासरत हैं और इस चुनौती से निपटने को लेकर उनकी साझी प्रतिबद्धता है.
भारत और रूस के संबंध एक दौर में दोस्ती का पर्याय माने जाते थे. ‘सर पे लाल टोपी रूसी..’ गाने वाले फिल्म अभिनेता राजकपूर और भारतीय फिल्मों का वहां क्रेज था. दोनों देशों की जनता के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंध द्विपक्षीय संबंधों की धुरी में थे.
यह दौर नया है, वैश्विक सत्ता समीकरण लगातार बदल रहे हैं, इन सबके बीच भारत-रूस संबंध एक बार फिर सुर्खियों में है. रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन हाल ही में भारत-रूस की 21वीं वार्षिक शिखर बैठक में हिस्सा लेने भारत आए.
हालांकि उनकी यह भारत यात्रा मात्र छह घंटों की थी लेकिन इस यात्रा से ऐसा लगा कि बदलते सत्ता समीकरणों में अनेक वैश्विक मुद्दों पर बढ़ते फासलों को दोनों ही द्विपक्षीय संबंधों पर हावी नहीं होने देने के लिए प्रयासरत हैं और इस चुनौती से निपटने को लेकर उनकी साझी प्रतिबद्धता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शिखर बैठक में कहा कि वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अनेक बदलावों के बावजूद भारत-रूस मैत्री बनी रही. उन्होंने कहा, ‘दोनों देश न केवल एक दूसरे के साथ बेहिचक सहयोग कर रहे हैं बल्कि साथ ही एक दूसरे के सरोकारों/ संवेदनाओं पर भी खास ध्यान देते हैं.’
राष्ट्रपति पुतिन ने भी शिखर बैठक में भारत को एक बड़ी शक्ति, मित्र देश बताते हु्ए भारत के साथ दोस्ती की अहमियत पर जोर दिया, लेकिन एशिया के इस इलाके में अमेरिका के बढ़ते प्रभाव पर अपनी चिंता सहित अनेक असहमति वाले मुद्दों को भी भारत के सामने रखा.
इस यात्रा की बड़ी उपलब्धि शिखर वार्ता से ऐसे मुद्दों पर एक दूसरे के सरोकारों को समझने का मौका दोनों शिखर नेताओं को मिलने के साथ ही भारत और रूस के बीच अहम 2+2 संवाद शुरू होना भी है जो कि भारत का अब तक अमेरिका सहित केवल तीन देशों के साथ ही है.
भारत और रूस के बीच विशेष सैन्य सहयोग साझीदारी को नई गति देते हुए इस 2+2 वार्ता में रूस से एके-203 राइफलों के भारत के मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत बनाए जाने का समझौता और दोनों देशों के बीच सैन्य व तकनीकी सहयोग बढ़ाए जाने संबंधी समझौते राजनयिक संतुलन की दृष्टि से खासे अहम माने जा रहे हैं.
बहरहाल, जिस तरह से पुतिन पिछले दो साल में गत 16 जून को राष्ट्रपति बाइडेन के साथ जेनेवा में हुई शिखर वार्ता की यात्रा को छोड़ एक बार भी देश से बाहर नहीं गए हैं, उसके चलते माना जा रहा है कि रूस के लिए भी पुतिन की भारत यात्रा खासी अहम थी.
इससे दोनों शिखर नेता द्विपक्षीय रिश्तों को एक नई गति देने की प्रतिबद्धता जाहिर करने के साथ ही अफगानिस्तान, पाकिस्तान, एशिया, प्रशांत और अमेरिका-रूस रिश्तों, चीन पर उपजी असहमति जैसे अनेक वैश्विक मुद्दों पर एक दूसरे का पक्ष बेहतर तरीके से जान सके.इससे तमाम वैश्विक चुनौतियों के बीच दोनों शिखर नेताओं की एक दूसरे के सरोकारों को बेहतर समझने के लिए आपसी समझ बढ़ेगी.
दरअसल, जिस तरह से वैश्विक सत्ता समीकरण तेजी से बदल रहे हैं, उसमें भारत और रूस अनेक स्थानों पर दो धुरी पर खड़े हैं. एक नया सुपर पावर बनने का ख्वाब पाले चीन के साथ भारत का फिलहाल काफी तल्ख सीमा विवाद चल रहा है, दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे के आमने सामने डटी हैं.
गलवान घाटी के खूनी संघर्ष के बाद अक्सर छिटपुट संघर्ष के अलावा अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे गैर चिन्हित सीमा क्षेत्र के गांवों में चीन जिस तरह से अपनी नई रिहायशी बस्तियां बसा रहा है, वह न केवल भारत के लिए बल्कि इस समूचे क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है.
इधर, अमेरिका के साथ निहायत ही तल्ख रिश्तों के दौर से गुजर रहे चीन की इन दिनों रूस के साथ खासी मैत्री है. इन बदलते या यूं कहें नित उलझते सत्ता समीकरणों में रूस की सीमा पर यूक्रेन को लेकर मौजूदा सैन्य संघर्ष को लेकर उसकी अमेरिका और नाटो देशों से काफी तल्खियां चल रही हैं.
उधर भारत की अमेरिका से नजदीकियां तेजी से बढ़ रही हैं ऐसे में भारत के भरोसेमंद दोस्त रहे रूस के साथ उसके रिश्तों की चुनौतियों को लेकर सवाल उठना स्वाभाविक है. सैन्य सहयोग के अलावा दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते उस गति से नहीं बढ़े हैं, जैसे बढ़ने चाहिए थे.
दोनों देशों ने अब 2025 तक व्यापार बढ़ाकर 10 अरब डॉलर से 30 अरब डॉलर करने और निवेश 50 अरब डॉलर तक करने का लक्ष्य रखा है. यहां यह बात अहम है कि चीन के साथ तल्ख संबंधों के बावजूद भारत का चीन के साथ व्यापार लगभग 100 अरब डॉलर यानी रूस के मुकाबले कहीं ज्यादा है. जरूरी है कि सामरिक खरीद फरोख्त के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी व्यापार को बढ़ावा मिले.