शोभना जैन का ब्लॉग: पश्चिम एशिया में संघर्ष का भारत पर प्रभाव

By शोभना जैन | Published: January 7, 2020 08:45 AM2020-01-07T08:45:02+5:302020-01-07T08:45:02+5:30

इराक की राजधानी बगदाद में नए साल की शुरुआत में हुई इस घटना से न केवल निकटवर्ती क्षेत्न बल्कि भारत सहित दुनिया भर में संकट के बादल मंडराने लगे हैं.

Impact of conflict in West Asia on India | शोभना जैन का ब्लॉग: पश्चिम एशिया में संघर्ष का भारत पर प्रभाव

शोभना जैन का ब्लॉग: पश्चिम एशिया में संघर्ष का भारत पर प्रभाव

अमेरिका द्वारा सैनिक कार्रवाई में ईरान में ‘हीरो’ जैसा दर्जा पाने वाले, देश के दूसरे सबसे शक्तिशाली सैन्य कमांडर और कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद उत्पन्न परिस्थितियों ने पहले से ही अस्थिरता ङोल रहे पश्चिम एशिया  को ‘भयावह युद्ध के से हालात’ की ओर ढकेल दिया है. इराक की राजधानी बगदाद में नए साल की शुरुआत में हुई इस घटना से न केवल निकटवर्ती क्षेत्न बल्कि भारत सहित दुनिया भर में संकट के बादल मंडराने लगे हैं. निश्चित तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव वर्ष में उलझते घरेलू मुद्दों, अफगानिस्तान में 18 वर्ष से फंसी अपनी फौजों को वहां से हटाने और महाभियोग की कार्रवाई जैसे मुद्दों से घिरे अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के इस कदम का राष्ट्रपति के चुनाव पर क्या असर पड़ेगा, इसका आकलन अभी मुश्किल है, लेकिन पूरी दुनिया के लिए इससे संकट जरूर पैदा हो गया है.

 भारत की चिंता तेल की कीमतों को लेकर है. अभी तेल की कीमत प्रति बैरल तीन डॉलर बढ़ गई है.   ईरान व भारत के सहयोग से बनने वाली ईरान स्थित चाबहार बंदरगाह परियोजना पर भी अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं. चीन की मदद से विकसित पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह से चाबहार परियोजना सौ किमी से भी कम दूरी पर है. भारत के लिए चाबहार बेहद अहम है. भारत पाकिस्तान की भूमि से गुजरे बिना मध्य एशिया और अफगानिस्तान के लिए चाबहार के जरिए वैकल्पिक व्यापारिक मार्ग तलाश रहा है. 

 इसके अलावा एक और अहम बात यह है कि इस क्षेत्न में तथा खाड़ी  क्षेत्न में लगभग 80-90 लाख भारतीय बसे हैं, जिनके हित भारत की प्राथमिकता हैं. अमेरिका जहां भारत का अहम सामरिक, रक्षा साझीदार है और उसके साथ प्रगाढ़ रिश्ते रखना सही भी है, वहीं ईरान के साथ भारत के सदियों पुराने संबंध हैं. इसके अलावा एक और अहम बात यह है कि इस क्षेत्न में तथा खाड़ी क्षेत्न में लगभग 80-90 लाख भारतीय बसे हैं, जिनके हित भारत की प्राथमिकता हैं. इस बढ़ते तनाव ने  भारत के लिए न केवल उलझनें बल्कि चिंताएं भी और बढ़ा दी हैं.

बहरहाल, यह तय है कि नई परिस्थितियों से पहले से ही अस्थिरता ङोल रहे पश्चिम एशिया  के इस हिस्से में और भी संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है. संकट की आंच की जद में भारत भी है. अच्छा यही होगा कि दोनों पक्ष युद्ध की भयावहता के नकारात्मक परिणाम को समङों और बढ़ता सैन्य तनाव युद्ध का रूप नहीं ले.

Web Title: Impact of conflict in West Asia on India

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